प्रकृति के सम्मान से ही आपदा से बचाव संभव -उत्तरायणी महोत्सव द्वारका
नई दिल्ली ! सारे भौतिक साधनों से संपन्न होकर,सुखों को भोगकर पश्चिम के संपन्न और बौद्धिक व्यक्ति सनातन की ओर क्यों आकर्षित हो रहे हैं,क्योंकि भारत का समय दर्शन ही है जो प्रकृति का सम्मान करना और प्राणिमात्र के प्रति उदार भाव सिखाता है।यदि उत्तरायणी जैसे अभियानों के माध्यम से देशभर में इस जागरूकता को बढ़ाया जाए तो केदारनाथ जैसे आपदा और जोशीमठ जैसा संभावित खतरा उपस्थित ही नहीं हो सकता।
ये विचार उत्तराखंड एकता मंच द्वारा डीडीए ग्राउंड,सेक्टर -8,द्वारका में आयोजित उत्तरायणी महोत्सव का उद्घाटन करते हुए शीर्ष पत्रकार,संघ विचारक और महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी के सदस्य श्री जगदीश थपलियाल ने व्यक्त किए।
समारोह के अतिविशिष्ट अतिथि वरिष्ठ पत्रकार और प्रसिद्ध कवि श्री बृजेश द्विवेदी ने कहा कि संस्कृति,धर्म और समाज की गौरव थाती को
साहित्य और संगीत संरक्षित करते हैं। एक श्रेष्ठ कवि अथवा रचनाधर्मिता से युक्त व्यक्तित्व पूर्वाग्रह से मुक्त होकर देधकाल और परिस्थिति के परिप्रेक्ष्य में सृजन करता है जो कालजयी सिद्ध होता है।
विशिष्ट अतिथि बिजवासन के पूर्व विधायक और वरिष्ठ कांग्रेस नेता श्री विजय लोचव ने कहा कि दिल्ली में उत्तराखंडी समाज ने पिछले एक डेढ़ दशक में उत्तरायणी दिल्ली और देवभूमि का ही नहीं पूरे देश का पर्व बनाने का सफल प्रयास किया है।
उत्तरायणी समारोह की अध्यक्षता करते हुए पर्वतीय लोकविकास समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष,प्रसिद्ध उद्योगपति और भारतीय जनता पार्टी उत्तराखंड के कार्यकारिणी सदस्य श्री वीरेंद्र दत्त सेमवाल ने कहा कि केंद्र सरकार और उत्तराखंड सरकार जोशीमठ के प्रभावितों के लिए पहले दिन से प्रभावी प्रयास कर रहे हैं। दिल्ली के द्वारका में हमारे हजारों लोगों के साथ विभिन्न समाजों के लोग यदि फरवरी में भी उत्तरायणी उत्सव में उत्साह दिखा रहे हैं तो ये उत्तरायणी अभियान का सुफल है।
समारोह के प्रारंभ में सृष्टि रक्षा समरसता महायज्ञ किया गया और इसके बाद सर्वभाषा कवि सम्मेलन। प्रो.सुषमा चौधरी,बृजेश द्विवेदी,प्रदीप वेदवाल,कैलाश धस्माना,श्रीमती चंपा पांडे, जे.पी. डिमरी और वीर सिंह राणा ने क्रमशः संस्कृत,हिंदी,गढ़वाली,
कुमाऊनी और जौनसारी की कविताएं प्रस्तुत की। उपरांत बच्चों ने सांस्कृतिक प्रस्तुति दी।
उत्तराखंड एकता मंच की अध्यक्ष श्रीमती लक्ष्मी नेगी ने आगंतुकों का स्वागत करते हुए कहा कि 15 वर्ष पूर्व स्थापित उत्तराखंड एकता मंच ने उत्तरायणी अभियान को बढ़ाने के साथ कोरोना काल में जरूरतमंदों की सहायता की और अब हमारा लक्ष्य सरकारों के माध्यम से उत्तराखंडी बहुल और द्वारका से सटे राजनगर क्षेत्र में सामूहिक आयोजनों के लिए एक सरकारी समुदाय निर्माण का है। मंच के महासचिव श्री महेंद्र रावत ने संस्था की उपलब्धियों का वृत्त प्रस्तुत किया।
इस अवसर पर उत्तराखंड एकता मंच की ओर से जिन लोगों को उत्तराखंड गौरव सम्मान से सम्मानित किया गया उनमें सुरेंद्र सिंह रावत, राखी बिष्ट,मनमोहन धोनी,किरण लखेड़ा,सोहन सिंह भंडारी,एडवोकेट पंकज कांडपाल,सुरु सुरेंद्र रावत,सुधीर ममगाई,प्रेमा धोनी,दर्शन सिंह रावत और बिजेंद्र ध्यानी प्रमुख हैं।
इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि रूप में उत्तराखंड सरकार के पूर्व मंत्री और उत्तराखंड कांग्रेस उपाध्यक्ष श्री धीरेंद्र प्रताप,राजनगर की निगम पार्षद श्रीमती पूनम भारद्वाज,दिल्ली सरकार के सफाई आयोग के चेयरमैन संजय गहलौत,शिक्षाविद विनोद कुमार यादव,पूर्व पार्षद और दक्षिण दिल्ली नगर निगम स्थाई समिति के अध्यक्ष डॉ.भूपेंद्र गुप्ता,दिल्ली छावनी के पूर्व पार्षद अनिल मित्तल,गुरु आर.पी.सिंह,प्रवीण राणा और सुनील डागर आदि ने भी लोगों को उत्तरायणी की बधाई दी। उत्तरायणी महोत्सव में उत्तराखंडी लोकगायक जगमोहन रावत चौंदकोटी के सांस्कृतिक ग्रुप द्वारा रंगारंग पहाड़ी गीत संगीत के भव्य कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए। सुरु सुरेंद्र रावत द्वारा प्रस्तुत मां नंदादेवी राजजात्रा की झांकी ने सभी दर्शकों को प्रभावित किया।
समारोह का संचालन करते हुए उत्तराखंड एकता मंच के संयोजक प्रो. सूर्य प्रकाश सेमवाल ने कहा कि दिल्ली के सर्वसमाज और जनता के द्वारा मिनी इंडिया कहलाने वाले द्वारका में सभी वर्ग के लोगों और सब राजनीतिक विचार से जुड़े लोगों ने इतनी बड़ी संख्या में इस भव्य उत्सव को सफल बनाकर राष्ट्रीय उत्तरायणी अभियान को सार्थक सिद्ध किया है। दिल्ली में मातृशक्ति द्वारा संचालित उत्तराखंड एकता मंच द्वारका से सटे क्षेत्रों के कल्याण के लिए बेजोड़ कार्य करेगा।
समारोह को सफल बनाने में मंच की उपाध्यक्ष कल्पना उनियाल, सचिव अंजलि रावत, कोषाध्यक्ष मालती नेगी और समन्वयक जीवन चमियाल की विशेष भूमिका रही।
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