उत्तराखंड

कैसे होगी किसानों की आय दोगुनी*??

 

डा० राजेन्द्र कुकसाल।

प्रधानमत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने 28 फरवरी 2016 को आयोजित किसानो की एक रैली में वर्ष 2022-23 तक, किसानो की आय को दोगुना करने का संकल्प लिया,लक्ष्य की प्राप्ति के लिए प्रधानमंत्री जी ने ‘सात सूत्रीय’ रणनीति का आह्वान किया ।

* प्रति बूंद अधिक फसल के सिद्धांत पर प्रयाप्त संसाधनों के साथ सिंचाई पर विशेष बल।

* प्रत्‍येक खेत की मिटटी गुणवत्ता के अनुसार गुणवान बीज एवं पोषक तत्वों का प्रावधान।

* कटाई के बाद फसल नुक्सान को रोकने के लिए गोदामों और कोल्डचेन में बड़ा निवेश।

* खाद्य प्रसंस्‍करण के माध्‍यम से मूल्‍य संवर्धन को प्रोत्साहन ।

* राष्ट्रीय कृषि बाज़ार का क्रियान्वन एवं सभी केन्द्रों पर विकृतियों को दूर करते हुए ई प्लेटफार्म की शुरुआत।

* जोखिम को कम करने के लिए कम कीमत पर फसल बीमा योजना की शुरुआत।

* डेयरी-पशुपालन, मुर्गी-पालन, मधुमक्‍खी–पालन, मेढ़ पर पेड़, बागवानी व मछली पालन जैसी सहायक गतिविधियों को बढ़ावा देना।

किसानों की आय दोगुनी (डबलिंग फारर्मस इनकम DFI) करने के लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु किसानों के हित में केन्द्र सरकार द्वारा राज्य सरकारों के लिए कई महत्वाकांक्षी योजनाओं की घोषणा भारी भरकम बजट के साथ की गई।

* प्रधान मंत्री कृषि सिंचाई योजना , (पीएमकेएसवाई) के प्रति बूंद अधिक फसल घटक, में सिंचाई की उन्नत पद्धति के तहत क्षेत्र को बढ़ाने के लिए शुरू किया गया । योजना के तहत ड्रिप एवं स्प्रिंकलर सिस्टम लगाने के लिए सहायता प्रदान की जाती है।

* बागवानी मिशन की योजना।
इस योजना का मुख्य उद्देश्य औद्यानिक फसलौं का कल्सटर मैं उत्पादन कर स्थानीय कृषकों को आर्थिक रूप से सुद्रिण करना है । योजना के अन्तर्गत कृषकों से उन्नत किस्मौं के फल पौध, मसाला विकास एवं सव्जी बीजौं का उत्पादन करवाकर आत्म निर्भर बनाना है।अब तक इह योजना में सात सौ ( रूपये 700) करोड़ से भी अधिक का व्यय किया जा चुका है।

* परम्परागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई) : जैविक खेती को बढ़ावा देने का उद्देश्य पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक विज्ञान के मिश्रण के माध्यम से दीर्घकालिक मिट्टी की उर्वरता निर्माण को सुनिश्चित करने के लिए जैविक खेती के टिकाऊ मॉडल का विकास करना है।योजना के माध्यम से सतत प्राकृतिक कृषि प्रणालियों को बढावा देने का भी प्रस्‍ताव है। प्रस्‍तावित योजना का उद्देश्‍य खेती की लागत में कटौती करना, किसानों की आय में वृद्धि करना और संसाधन संरक्षण और सुरक्षित एवं स्वस्थ मृदा, पर्यावरण तथा भोजन सुनिश्चित करना है इस योजना में एक हजार सात सौ करोड़ का बजट रखा गया।

* फार्म मशीनीकरण योजना
कृषि केआधुनिकीकरण और खेती कार्यों के कठिन परिश्रम को कम करने के लिए
फार्म मशीनीकरण योजना शुरू की गई। योजना के अन्तर्गत उन मशीनों के विकास और उपयोग से है जो कृषि प्रक्रियाओं में मानव और पशु शक्ति का स्थान ले सकती हैं। कृषि मशीनीकरण भूमि की तैयारी, रोपण, उर्वरक आवेदन, निराई और फसल की कटाई एवं मशीनों का उपयोग कृषि उपज के प्रसंस्करण और भंडारण के लिए लागू होता है। जिससे किसान अधिक लाभ प्राप्त कर सकें और अपनी उपज की उत्पादकता बढ़ाने में सक्षम हो सकेंगे।

* फसल बीमा योजना: प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत बागवानी फसलों के लिए पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना लागू की जा रही है। इस योजना के तहत 13 बागवानी फसलें (सेब, आड़ू, माल्टा, मौसंबी, संतरा, आम, लीची, आलू, अदरक, टमाटर, मटर, फ्रेंच बीन्स और मिर्च) निर्धारित हैं।

*पीएम किसान सम्मान निधि।
इस योजना के माध्यम से किसानों को 6000 रुपये प्रतिवर्ष तीन समान किस्तों में प्रदान करने वाली आय सहायता योजना है।

* किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड उपलब्ध कराना।
पोषक तत्वों के न्यूनतम उपयोग के लिए मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना शुरू की गई ।

* परागण के माध्यम से फसलों की उत्पादकता बढ़ाने और आय के अतिरिक्त स्रोत के रूप में शहद उत्पादन में वृद्धि के लिए आत्मनिर्भर भारत अभियान के हिस्से के रूप में 2020 में एक राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन और शहद मिशन (एनबीएचएम) शुरू किया गया।

*प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यम उन्नयन योजना (पीएम एफएवाई)।
माननीय प्रधान मंत्री द्वारा घोषित “आत्म निर्भर भारत अभियान” के तहत सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए योजना शुरू की गई है। इस योजना के तहत व्यक्तिगत, स्वयं सहायता समूह और एफपीओ को सूक्ष्म खाद्य उद्यमों के लिए 35 प्रतिशत अधिकतम 10 लाख रुपये की सब्सिडी प्रदान की जाती है।

केन्द्र सरकार की इन योजनाओं में राज्य के कृषकों के लिए हजारों करोड़ बजट का प्रावधान रखा गया तथा अनुदान राशि *डीबीटी योजना* के माध्यम से सीधे किसानों के खाते में डालने के निर्देश दिए गए।

*डीबीटी योजना का राज्य में नहीं किया गया अनुपालन*।

प्रधानमंत्री माननीय मोदी जी का संकल्प है कि भारत सरकार द्वारा योजनाओं में दी गई अनुदान की राशि डीबीटी (D BT) के माध्यम से सीधे कृषकों के खाते में जमा हो ।

भारत सरकार के कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्रालय ने दिनांक 28 फरबरी- 2017 के द्वारा कृषि विभाग की योजनाओं में कृषकों को मिलने वाला अनुदान डी वी टी के अन्तर्गत सीधे कृषकों के खाते में डालने के निर्देश सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के कृषि उत्पादन आयुक्त, मुख्य सचिव, सचिव एवं निदेशक कृषि को किये गये।

उत्तरप्रदेश हिमाचल आदि सभी भारतीय जनता पार्टी शासित राज्यों में बर्ष 2017 से ही कृषकों को योजनाओं में मिलने वाला अनुदान डी बी टी के माध्यम से सीधे कृषकों के खाते में जा रहा है।

अक्षम नेतृत्व के कारण दलालों ( बीज दवा खाद आदि निवेश आपूर्ति करने वाले एजेंट ) ने निदेशालय एवं शासन में बैठे नौकरशाहों से मिल कर योजनाओं में डीबीटी को राज्य में अभी तक लागू नहीं होने दिया।

राज्य में 8.38 लाख कृषकों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि प्रति बर्ष 06 हजार रुपए की धनराशि डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के माध्यम से प्रदान की जा रही है। किन्तु अन्य योजनाओं में उत्तराखंड राज्य में ऐसा नहीं होता यहां पर कृषि विभाग एवं उद्यान विभाग टेंडर प्रक्रिया दिखा कर निम्न स्तर का सामान उच्च दरों पर क्रय कर कृषकों को बांटते है। इससे कृषकों की आय तो दुगनी होने से रही “हां ” नौकशाह व दलालों ( निवेश आपूर्ति क्रताऔ ) की आय कई गुना बढ़ रही है।

कृषकों को योजनाओं में स्वयं अपनी इच्छा अनुसार उच्च गुणवत्ता के निवेश (दवा बीज खाद आदि) क्रय करने की अनुमति होनी चाहिए तथा मिलने वाला अनुदान डी बी टी के माध्यम से सीधे कृषकों के खाते में जमा होना चाहिए तभी कृषकों को योजनाओं का लाभ मिल सकता है। कृषि सचिव ने डीबीटी लागू करने के आदेश निर्गत किए हैं किन्तु शासनादेश कर देने भर से डीबीटी लागू नहीं होगी।

योजनाओं में बीडीटी लागू होने से कई लाभ होंगे।

* उद्यान / कृषि विभाग में दलाली पर रोक लगेगी।

* किसानों को उचित दरों पर अच्छी गुणवत्ता वाला सामान मिलेगा जिससे किसान अधिक उत्पादन कर सकेंगे।

* क्षेत्र विशेष में दवा बीज खाद आदि कृषि निवेश आपूर्ति हेतु स्थानीय पढ़ें लिखे बेरोजगारों को व्यवसाय करने एवं रोजगार के अवसर मिलेंगे।
*योजनाओं में मिलने वाले अनुदान का विभाग कैसे दुर्पयोग कर रहे हैं , पढिए मीडिया /सोसल मीडिया में कुछ कृषकों व जागरूक नागरिकों की कृषि एवं उद्यान विभाग पर की गई टिप्पणियां* –

श्री जगमोहन राणा उद्यान पति, पुरोला उत्तरकाशी।
आपको बता दूं कि मेरे पिताजी स्वर्गीय श्री भरत सिंह राणा कई वर्षों से कृषि बागवानी में कार्य कर रहे थे । जिसको आगे अब मैं नया रूप दे रहा हूं मैं भी पिछले कई वर्षों से देख रहा हूं की विभागीय दवाइयां, घटिया किस्म के एंटी हेलमेट , व कृषि यंत्र कृषि में या बागवानी में दोनों में किसी भी प्रकार से कोई कार्य नहीं कर रहे हैं होता यह है की विभाग जो बड़े-बड़े डीलर हैं उनसे अपने लिए मोटी रकम वसूल कर लेता है जिसके बदले जो कंपनियां है जो हमको दवाइयां प्रोवाइड करवाती हैं वह उस दवाई को एकदम निम्न और घटिया किस्म की बनाते हैं। क्योंकि उन्होंने पहले ही विभाग को वह पैसा दे रखा है जिससे दवाइयां अच्छी बन सकती थी।
ठीक ऐसे ही अब सेब के पेड़ों में भी कर रहे हैं आज तक किसान किसी भी प्रमाणित फॉर्म से अपने लिए पौधे लाता था वह उसका जिम्मेदार भी खुद किसान होता था । कि वह कैसे पौधे लगाना है और विभाग उसे उसके खाते में डायरेक्ट पैसा भेज देता था। जिससे विभाग को कोई लाभ नहीं हो पा रहा था । इसलिए विभाग चाह रहा है कि अब वह पेड़ों से भी अपने लिए मोटी कमाई कर सकता है वह नर्सरी फार्मो से अब मोटी रकम लेगा । गुप्त जानकारी के अनुसार विभाग की लेन देन की बात फार्म मालिकों से चल भी रही है । और ठीक वही होगा जो दवाइयों में होता आ रहा था। इसलिए हमको संगठित रहने की जरूरत नहीं तो विभाग व सरकार अपनी मनमानी चलाते रहेंगे और किसानों के नाम से पैसा खाते रहेंगे।

फील्ड कर्मचारी-
आज औजार-संयंत्र वाली डीलरशिप कंपनियों या फर्म के मालिकों का यह आलम है कि इन्होने सीधे मंत्रियों अधिकारीयों से पकड़ बना रखी है. यदि कोई फील्ड कर्मचारी अपने क्षेत्र मे अच्छा काम करना चाहता है. तो इसके बदले उसे यह इनाम दिया जाता है की उसे तरह तरह से परेशान किया जाता है. यंहा तक की उसे शासन प्रशासन से फोन कराकर डराया धमकाया जाता है. व गलत काम कराने का दबाव बनाया जाता है. सब कहने वाली बातें है सरकार व नेताओं को किसी को किसान के हितों से कोई सरोकार नहीं है. सबको अपनी जेब बरने से मतलब है। सबसे ज्यादा बजट पी. एम. के. एस. वाई. के माध्यम से ठिकाने लगाया जा रहा है. आलम यह है की ड्रिप इरिगेशन के नाम पर कश्तकारों को केवल 200 मीटर पाइप पकड़ाया जा रहा है. चाहे उनके डॉक्युमेंट 0.4 hect के हो या 1.00 hec के. वेंडर के हौसले इतने बुलंद है कि यदि कोई फील्ड कर्मचारी इनके गलत काम करने के तौर तरीकों का विरोध करता है. तो ये वेंडर / फर्म के मालिक विभागीय मंत्री और निदेशक के कान भरते है कि उक्त कर्मचारी हमारा सहयोग नहीं कर रहा है और विभागीय कार्यों मे व्यवधान उत्पन्न कर रहा है. बिना वास्तविकता को जाने ही माननीयों द्वारा उस कर्मचारी को अपनी हद मे रहने कि हिदायत देने के साथ -साथ अग्रिम कार्यवाही कि बात कही जाती है. पुरस्कार के बदले तिरस्कार कैसे बदलेगी राज्य की तस्वीर कैसे आएंगे किसानो के अच्छे दिन.विभाग मे 50% सब्सिडी के बावजूद किसी मशीन की कीमत खुले बाजार मे व विभाग मे बराबर होती है. सब्सिडी के नाम पर लूट. कैसे संवरेगी किसानो की तकदीर कैसे बदलेगी राज्य की तस्वीर। जिस ओला अवरोधक जाली की कीमत खुले बाजार मे ₹6000.00 के लगभग है माप 8×30 मीटर. उसकी कोटेशन वेंडरों / कॉम्पीनियों द्वारा विभाग को ₹ 8400.00 भेजी गई है.75% सब्सिडी पर. कृषक अंश 25%=₹2100.00. जबकि वास्तविक कृषक अंश ₹1500.00 होना चाहिए था. सब्सिडी के नाम पर लूट. किस तरह से भोले भाले किसानो का शोषण हो रहा है. ऐसे ही तो होगी किसानो की आय दुगनी.

श्री दिनेश जोशी कर्ण प्रयाग चमोली।
जैविक प्रदेश वने या न वने परन्तु जैविक कार्यक्रम चलाने वाली ऐजेन्सी और उसके अधिकारियों, क्षेत्रीय कर्मचारियों की निजि आय दोगनी से चारगुनी अवश्य हौ जायेगी, यह गारन्टी के साथ कह सकते हैं, इसमे मंत्री से लेकर संतरी तक सभी हैं, पहाड के विशेष कर 10 जनपदों मै यदि ईमानदारी से सच्चाई सामने लाई जाय तो 70% खेती लोग छोड चुके हैं, जो लोग खेतीबारी कर रहे है वे परम्परागत खेती मै जैविक खाद का प्रयोग आज से नही बरसों से करते आ रहे हैं, परन्तु जैविक के नाम पर मुख्य कृषि अधिकारियों से लेकर निदेशालय के अधिकारियों द्वारा कैसे सरकारी धन का बंदरबाट किया जाता है एक नजर
1:- जैविक कम्पोस्ट पिट रुद्रप्रयाग चमोली जनपद सहित 8 जिलों मै तिरपाल और बांस की वल्लिया क्रय की गई, और बांटना दिखा, कम्पोस्ट पिट के गढे वने, परन्तु ऐसी जगह और परिवार मै जहा पशु ही नहीं, खरीदने मै कमीशन, माल कम लाने मै कमीशन,
2:- फार्म किसान बैंक मै 10 लाख गाव मै समिति वना कर 10% पर कृषि यंत्र को करोडो का बजट आया अब बन्दर बांट, क्षेत्रीय कर्मचारियों ने फर्जी समिति वनाई , उससे एक लाख अंशदान दिखाना लिया, और 10 लाख के माल की जगह धटिया कमीशन का माल 2 लाख का लिया , और बाकी माल का पैसा तथा कमीशन हडप लिया,
ऐसे सभी योजनाओ के हाल न कृषि निदेशक देखने, न मण्डलीय निदेशक, न कृषि अधिकारियों को फुरसत, यदि मुख्य मत्री एस आई टी जाच करैं तो वर्तमान और पूर्व सभी जेल मै हों परन्तु जब राजा ही लिप्त हो तो प्रजा के क्या हाल।

श्री विजेन्द्र सिंह रावत उद्यान पति /बरिष्ठ पत्रकार, उत्तरकाशी दिनांक- 09 जुलाई 2021

उत्तराखंड में बागवानी विभाग की अंधेर नगरी……..
वस्तु की उपयोगिता पर नहीं, कमिशन की राशि पर तय होती है करोड़ों की खरीद………….
हिमाचल प्रदेश की तरह उत्तराखंड में बागवानी, मट्टर, टमाटर, जैविक सब्जियां व जड़ी बूटी उत्पादन जैसी व्यापारिक फसलें पहाड़ की काया कल्प कर सकती है पर विगत बीस वर्षों में विभाग लूट और भ्रष्टाचार ने बागवानी के पैरों पर जंजीरें डाल रखी है।
यह लूट नीचे नहीं बल्कि मंत्रालय से शुरू होती है। आप गांव में जाएंगे तो विभागीय मदद के नाम पर पाईप के बंडल व त्रिपाल सड़ते मिलेंगे।
यह पाईप ट्रिप सिंचाई योजना के हैं, जिन पर एक प्रतिशत ड्रिप भी जमीन पर नहीं है और यहीं से भ्रष्टाचार शुरू होता है।
कम्पनी और विभागीय समझौते के अनुसार कम्पनी को सिस्टम खेत में लगाकर देना होता है पर नब्बे फीसदी उन लोगों को योजना दी जा रही है जिनके पास पानी नहीं है और बस यहीं से भ्रष्टाचार का खेल है।
जितना एक ट्रिप सिस्टम को लगाने में कम्पनी का खर्च आता है उतने पैसे में लोगों को पाईप देकर दस ड्रिप योजनाएं बंट जाती है, नकली फोटो खिंचे जाते हैं, लोग भी फ्री का चंदन घिसे रघुनंदन….यानी भागते भूत की लंगोटी हाथ….समझकर पाइप के टुकड़े लेकर चल पड़ते हैं, पर उन्हें क्या पता कि लूट उनके पैसे की हो रही है।
विभाग द्वारा अनुदान में मिलने वाले अधिकांश खाद, बीज व कीटनाशक बेहद ही घटिया स्तर की होते हैं, यही कारण है कि प्रगतिशील बागवान इन अनुदान की चीजों को छूते तक नहीं हैं।
हिमालय में टाप कम्पनियों की चीजें खरीदी जाती है पर उत्तराखंड में घटिया कम्पनियों से खरीदी जाती है जो भारी कमिशन मंत्री व सचिवों को देती हैं।
यदि करोड़ों की इन खरीदों की सीबीआई जांच हो जाए तो प्रदेश की जेलों में बड़े बड़े सफेदपोश होंगे, आज नहीं तो कल गरीबों के पैसे की इस लूट का खुलासा जरूर होगा। इसलिए प्रदेश के लुटेरों सावधान जनता सब जानती है!!
किसान व बागवान से पूछा जाना चाहिए कि उन्हे किस चीज व ब्रांड की जरूरत है और वही उसे मिले ।

पद्म श्री प्रेम चन्द्र शर्मा चकराता दिनांक 10 जनवरी 2022

सभी किसान भाइयों को मेरा प्रणाम प्रदेश में खेती किसानी तभी सफल हो सकती है जब सभी राज सहायता डी बी टी के माध्यम से किसानों को भुगतान होगा चाहे फलपौध हो कृषि यन्त्र व सब्ज़ी बीज आदि सरकार द्वारा क्रय की गई सामग्री सिर्फ़ दिखावा है इसीलिए उत्तराखण्ड में खेती बागवानी सफल नहीं है हम सभी किसान बन्धुओं को सरकार से यही निवेदन करना है कि खेती किसानी हित में यह लागू करें ताकि किसान सरकार व दुसरों को दोषी नहीं बना सकता सरकार यह देखें कि राजसहायता का दुरुपयोग तो नहीं हो रहा है।

सामाजिक कार्यकर्ता श्री दीपक करगेती रानीखेत ने आरोप लगाया है कि बर्ष 2021-22 में कृषकों की आय दोगुनी करने हेतु केन्द्र सरकार की योजनाओं यथा बागवानी मिशन, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्यम उन्नयन योजनाओं में आंवटित धन देहरादून, हरिद्वार,मुनीकीरेती एवं हल्द्वानी में अन्तर्राष्ट्रीय महोत्सव के नाम पर खर्च कर दिया गया।

प्रधानमंत्री मोदी जी का कृषकों की आय दोगुनी करने का संकल्प पूरा करने हेतु केन्द्र सरकार द्वारा संचालित योजनाओं में उत्तराखंड राज्य को आंवटित हजारों करोड़ रुपए के बजट में हुये व्याप्त भ्रष्टाचार के कारण कृषकों की आय तो दुगनी होने से रही “हां ” नौकशाह व दलालों ( निवेश आपूर्ति क्रताऔ ) की आय कई गुना बढ़ रही है।

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