नैनीडांडा स्वतंत्रता सेनानीयो की कर्म भुमि। कहां गए अब लोग
नैनीडांडा एक ऐसा क्षेत्र जो कभी सवतंत्रता सेनानीयों की कर्म भूमि के नाम से प्रसिद् रहा बात दे उत्तराखण्ड मे यह ब्लाक एक मात्र ऐसा क्षेत्र जहां पर सबसे ज्यादा आजादी के मतवाले स्वतंत्रता सेनानी रहे है आप यदि आंकडे उठाऐगे तो ताजुब करेगे पर बात यहां तक की नही आज इसी क्षेत्र मे लोगो की सोच को जनप्रतिनिधियों ने ऐसी कर दी की लोग अपने को ही भूल गए की कभी नैनीडांडा का नाम रोशन करने वाले क्या आज यह सोच सकते है पर सोच तो रहे है मरे संज्ञान की बात करु तो आजादी के पलायन रोजगार शिक्षा चिकित्सा के काम न होना समझ के परे है जीवन काल मे कुछ लोग आए पर वह जितना कर सके किया पर राजनीति की भेट चढते चले गए सबसे पहले यदि देखा जाए इस ब्लाक मे काम किया
प्रथम ब्लाक प्रमुख स्व शिश राम पोखरियाल जी जो आजादी मे हमारे क्षेत्र के स्वतंत्रता सेनानी थे और प्रथम ब्लाक प्रमुख बने उस समय के उनके कार्य को देखा जाए तो उन्होने अपने गांव नही नैनीडांडा स्तर की सोच पर कार्य किया धुमाकोट स्कूल का यदि इतिहास देखा जाए उनकी देन पर किस तरह से बनाया गया उसके लिए जमीन नही उपलब्ध हो रही किस तरह से उन्होने क्षेत्र के लोगा को समझाया की क्षेत्र का केंद्र है आपके बच्चो का भविष्य बनेगा उनके कामो का आज ब्यान करना आसान नही धुमाकोट अदालीखाल शीशराम पोखरियाल जी ने न केवल दीबा पब्लिक हाई स्कूल धूमाकोट, बल्कि अदालीखाल, किनगोड़ी व ज्यूंदाल्यूं की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। साथ ही क्षेत्र में सड़कों के निर्माण में भी उनकी भूमिका अग्रणीय रही, लेकिन अफसोस की बात है कि नैनीडांडा क्षेत्र में उनके नेतृत्व में स्थापित पहले हाई स्कूल दीबा पब्लिक स्कूल का नाम ही बदल दिया गया। आज क्षेत्र में उनके नाम से कोई भी संस्थान मौजूद नहीं है आखिर हम इतने परले दर्जे के कृतध्न कैसे हो गए? इसी गांव से आजादी की अलग जगाने वाले गीताराम पोखरियाल नैनीडांडा ही नहीं दुसांध क्षेत्र में आजादी की जंग की अलख जगाने वाले गीताराम पोखरियाल जी थे पर हम भुल गए शीशराम पोखरियाल जी, थानसिंह रावत जी जैसे स्वाधीनता सैनानियों के प्रेरणा स्त्रोत गीताराम जी पोखरियाल की स्मृति जनता इंटर कालेज अदालीखाल में पिछले पांच दशकों से आयोजित बालीबाल प्रतियोगिता के माध्यम से जीवित रखने का प्रयास चल रहा था लेकिन कोविड आपदा के चलते वह भी दो वर्षों से बंद पड़ी है।
काफी समय बाद आए स्व भारत सिंह रावत जी जो विधायक बने उनकी खासयित थी वह जनसंवाद मे माहिर थे और आम जनता से जुडाव था याद आता है जब मोबाईल नही होते थे मैने शिक्षा ग्रामीण विकास योजनाओ पर पर कार्य करना आरंभ ही किया था तक मोबाईल न होकर लेंडलाईन हुआ करती थी मेरा समय घर पर 5 बजे के बाद पहूंचना होता था पर विधायक जी के पी ए का फोन 5 बजे से बजना शुरू हो जाता था मे किसी पार्टी न होने पर पर उनका फोलोटअप दिवाना हो गया उनके साथ फोन पर ओर क्षेत्र मे मिलते थे तो पहाड की जो सोच बदल रही थी उसपर चर्चा होती थी बेबाकी से वह अपनी बात हमारे साथ रखते थे आज आप नही है याद तो आते ही हो।
फिर आए क्षेत्र मे विधायक ले ज रि टी पी एस रावत जी जो राजनीति से दुर दुर तक कोई सरोकार नही था पर सोच जिन्होने आर्मी मे रहते क्षेत्र के हर किसी को नौकरी पर लगाया आसान नही था उनसे जब सेवानिवृत के पश्चात उनके घर पर मुलाकात मे काफी बाते शेयर होती थी उन्होने काफी काम किया अपने स्तर पर पर उनके जो प्रतिनिधी थे उन्होने उनकी प्रशासनिक सोच पर राजनीति कैसी फेरी हम सब ने देखा है पर हम काम करने वाले की नही जनप्रतिनिधीयो के पीछे धुम कर काम करवाने वाले लोग हो गए जन संवाद तो जनप्रतिनिधीयो का है नही
आज समय ऐसा एक समय जन संवाद से काम होता था आज जनप्रतिनि अपने सहायक बना रहे उत्तराखण्ड मे देखा जाए जो पलायन है उसका मुख्य कारण भी रोजगार ओर विकास न होना है बंदर सुअरो का आंतक है वैसे ही प्रतिनिधी हो गए है फर्क है की बंदर सुअरो को भगाना पडता है और इनका पकडना पढता है हाथ काेई नही आता फोन करो तो पागल कहा जाता है । जैसे हम कीढे मकोडे है
पर हम भूल रहे है प्रधान से लेकर बजट पर बात करे जिला पंचायत क्षेत्र पंचायत विधायक लोकसभा सदस्य कितना बजट हर साल होता है यदि सही से लगे तो क्या नही हो सकता बात जरुरत है जागरुकता की क्षेत्र मे काम करने वालो को याद तो करना बनता है उनका नाम समय समय पर लेना तो बनता है अच्छे लोगो को कौन याद नही करता हां याद हर किसी को बात तरीका अपना अपना विकास पर अपना विकास हावी या हम लोगो की नादानी अपनी प्रतिक्रिया अवश्य दे
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