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कारगिल युद्ध की वीरगाथा!18 गढ़वाल राइफल्स के रिटायरड हवलदार विनोद सिंह नेगी के मन की बात।

कारगिल युद्ध की वीरगाथा
कारगिल युद्ध में पाकिस्तान के खिलाफ भारत की जीत को 20 साल पूरे हो पूरे  चुके हैं।कारगिल विजय दिवस के मौके पर एक तरफ शहीदों को श्रद्धांजलि दी जा रही है कारगिल युद्ध’ जिसे ऑपरेशन विजय के नाम से भी जाना जाता है. भारत और पाकिस्तान के बीच मई और जुलाई 1999 के बीच कश्मीर के करगिल जिले में हुए सशस्त्र संघर्ष का नाम है। पाकिस्तान की सेना और कश्मीरी उग्रवादियों ने भारत और पाकिस्तान के बीच की नियंत्रण रेखा पार करके भारत की ज़मीन पर कब्ज़ा करने की कोशिश की। कारगिल युद्ध में 26 जुलाई’1999 को भारत को विजय मिली थी  इसलिए हर साल 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस मनाया जाता है.वर्ष 1999 में कारगिल की दुर्गम पहाड़ियों पर पाकिस्तानी घुसपैठियों के कब्जे के बाद भारतीय सेना ने ऑपरेशन विजय चला कर 80 दिनों में विजय हासिल की ऑपरेशन विजय आठ मई से शुरू होकर 26 जुलाई तक चला था।पाक को आखिरी में भारतीय सैनिकों के साहस और अंतरराष्ट्रीय स्तर बने राजनयिक दबाव के आगे झुकना पड़ा था।कहा जाता है कि इस युद्ध में करीब 500 से ज्यादा भारतीय सैनिक शहीद हुए।करीब 1363 घायल हुए थे वहीं करीब 600 से 4000 पाकिस्तानी आतंकवादी और सैनिक मारे गए थे।कारगिल श्रीनगर से 205 किलोमीटर दूर है। यहां का मौसम काफी अलग है। गर्मियों में रात की ठंडी हवाओं से बड़ा सुकून मिलता है। वहीं सर्दियों में तो यहां और ज्यादा ठंडा रहता है। यहां शीतकाल में तापमान करीब 4 डिग्री सेल्सियस तक रहता है। भारतीय सेना को कारगिल के युद्ध में बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था। पाकिस्तानी सैनिक ऊंची पहाड़ियों पर बैठे थे और हमारे सैनिकों को गहरी खाई में रहकर उनसे मुकाबला करना था. भारतीय जवानों को आड़ लेकर या रात में चढ़ाई कर ऊपर पहुंचना पड़ रहा था जोकि बहुत जोखिमपूर्ण था।परमाणु बम बनाने के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच हुआ यह पहला सशस्त्र संघर्ष था। भारत ने कारगिल युद्ध जीता।
शहीद वीर सपूतों के सम्मान में राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर ने लिखा था।
जला अस्थियाँ बारी-बारी, चिटकाई जिनमें चिंगारी, जो चढ़ गये पुण्यवेदी पर, लिए बिना गर्दन का मोल
कलम, आज उनकी जय बोल।,जो अगणित लघु दीप हमारे,तूफानों में एक किनारे,,जल-जलाकर बुझ गए किसी दिन
माँगा नहीं स्नेह मुँह खोल,कलम, आज उनकी जय बोल। पीकर जिनकी लाल शिखाएँ,उगल रही सौ लपट दिशाएं,
जिनके सिंहनाद से सहमी,धरती रही अभी तक डोल,कलम, आज उनकी जय बोल।
कारगिल युद्ध में जवानों का नेतृत्व करने वाले सेना अधिकारियों से लेकर उन जांबाज़ों तक जिन्होंने अपनी जान गंवाकर भारत भूमि की रक्षा की थी। सभी जांबाज़ों शहीदों के प्रति सम्मान ज़ाहिर करते हुए श्रद्धांजलि।
कारगिल युद्ध करते वक़्त लगी थी गोली-काशीपुर- 18 गढ़वाल राइफल्स के रिटायरड हवलदार विनोद सिंह नेगी का कहना है। पहली पोस्टिंग 1993 में 16 बिहार रेजिमेंट में हुई थी,जबकि 1999 में 18  गढ़वाल राइफल्स  में आ गया। इसके कुछ समय बाद ही कारगिल युद्ध शुरू हो गया।तोलोलिंग पहाड़ी को पाकिस्तान से अपने कब्जे में लेने के लिए दुश्मन के साथ लड़ाई में मेरे बाएं घुटने और नाक में बम  के टुकड़े लगे और में घायल हो गया इस लड़ाई में मेरे 18 साथी शहीद हो गए, 58 साथी घायल हुए और अगस्त 2017 को अपनी 24 साल की सैन्य सेवा करके मानपुर रोड काशीपुर उत्तराखंड में रहता हू। सैनिक अपना सर्वस्व देश के लिए देता है, मैं आज भी देश के लिए मोर्चा ले सकता हूं, लेकिन मुझे कई बार टीस उठती है। मुझे आज तक कोई सम्मान नहीं मिला। मेरी एक मांग यह है कि राज्य सरकार युद्ध में सैनिकों के परिवारों को सम्मान-सहायता और बच्चो उनके को नौकरियों में छूट दे।

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