स्मार्ट सिटी देहरादून की सफाई व्यवस्था एवं घर घर से कूड़ा उठान वाहनों की कार्य प्रणाली कब सुधरेगी?
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रिपोर्ट प्रभुपाल सिंह रावत
प्रदेश के एकमात्र स्मार्ट सिटी व अस्थायी राजधानी देहरादून की साफ सफाई व्यवस्था व नगर निगम देहरादून द्वारा संचालित अनुबंधित कूड़ा उठान वाहनों की कार्य प्रणाली कयी बार शिकायत करने के बावजूद सुधरने का नाम नहीं ले रही है।वे कहते हैं कि चाहे कुछ भी कर लो,हम नहीं सुधरेगें।
ये वाक्या नगर निगम देहरादून के वार्ड संख्या 73 विद्या विहार का है,जिसमें मुख्यतः वसुन्धरा एन्कलेव, अवंतिका विहार, बहुगुणा कॉलोनी, नारायण विहार, विद्या विहार तीनों फेज आदि कॉलोनियां बसी हैं। नगर निगम देहरादून द्वारा प्रत्येक वार्ड में सैकडों कूड़ा उठान वाहन लगाये गये हैं, लेकिन वे नियमित कूड़ा उठान नहीं करते हैं बामुश्किल महीने मेें 11से 13 दिन ही घरों से कूड़ा उठा रहे हैं। जबकि घरों में प्रतिदिन कूड़े का ढ़ेर जमा होता है।कूड़ा उठान के लिए क्या नियम व दिन निश्चित किये हैं, ये नगर निगम ही जानें। जबकि कूड़ा घरों से प्रतिदिन उठना चाहिए, वरन कयी गम्भीर बीमारियां जन्म ले सकती हैं। घरों से नियमित कूड़ा न उठाने से लोग रात के अंधेरे में सड़क किनारे या खाली प्लॉट में अंधेरे का फायदा उठाकर फेंक दे रहे हैं। या फिर जहाँ पहले कूड़ेदान रखे थे,वहाँ डालते हैं। जबकि वहां से कूड़ेदान पहले ही हटा दिये गये हैं। कूड़ा बिखरने में रही सही कसर ऑवारा कुत्ते, व मवेशी कर दे रहे हैं। कहने का तात्पर्य ये हैं कि कूड़ेदान तो हटा दिये गये लेकिन कूड़ा अपनी जगह नहीं छोड़ रहा है।ये तुगलकी फरमान भी परवान नहीं चढा।
अब बात करते हैं कि सडकों के किनारे कूड़ा कौन डालते हैं, जो वाहन में कूड़ा नहीं देते हैं या फिर जो 3-4 दिन तक गाड़ी न आने से परेशान होते हैं। वे कूड़ा सड़क किनारे या पूर्व में रखे कूड़ेदान की जगह डालते हैं।
अब बारी आती है कि इस अप्रैल माह में इस वार्ड के उपरोक्त कॉलोनियों में कितने दिन व किस किस तारीख को नगर निगम देहरादून के कूड़ा वाहन ने अपनी सुलभ सेवायें दी है।इसका ब्यौरा इस प्रकार दर्ज किया गया है।
01 अप्रैल,04,07,08,10,13,16,18,22,24 और 28 अप्रैल। अब अगले माह ही दर्शन होगें। ये गिनती के कुल 11 दिन होते हैं। जबकि शुल्क 70/- मार्च 2024 तक दिया गया है।
अब बात करते हैं झाड़ू सफाई कर्मचारियों की,वे भी इलाके में कभी कभी महिने दो महीने में देखे जा सकते हैं। वे मुख्य सड़क तक या किसी खास रसूखदार के घर के आसपास ही मंडराते देखे गये हैं। वे गली,मोहल्ले तक घुसने की जहमत नहीं करते,इनमें ज्यादातर महिला सफाई कर्मी होते हैं। यदि कभी कॉलोनियों में आ भी गये तो, वे झाड़ू के सीक से चिरोड मारकर अपने काम की इति श्री करते हैं। ताकि चिरोड मारने से पता लगे कि झाड़ू लगाया है।कभी कभी ये कर्मचारी सड़क के आसपास लगे अमरूद, पपीता आदि तोड़ने में भी देखे गये हैं।
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