देहरादून

देहरादून-अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में उत्तराखंड आशा हैल्थ वर्कस युनियन ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी को अपनी जल्वत मांगों के निराकरण हेतू ज्ञापन सौंपा।

रिपोर्ट  प्रभाप सिंह नेगी

अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में उत्तराखंड आशा हैल्थ वर्कस युनियन ने बीडी पांडे मुख्य चिकित्सा अधिकारी को अपनी जल्वत मांगों के निराकरण हेतू ज्ञापन सौंपा।
उत्तराखंड आशा हैल्थ वर्कस युनियन ने नराजी जताते हुए बताया। सन् 2005से आशा कर्मचारी स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत हैं। तत्कालीन सरकार व वर्तमान सरकार को अपने न्यूनतम मानदेय के बड़ोतरी के लिए गुहार लगाती रही लेकिन ना तत्कालीन सरकार ने हम आशा कर्मचारियों के लिए ध्यान दिया और न वर्तमान सरकार ने ध्यान दिया।
आशा हैल्थ वर्कस युनियन प्रदेश अध्यक्ष कमला कुंजवाल शासन प्रशासन को दोषी ठहराया एक तरफ सरकार बोलती है हम उत्तराखंड में महिला सशक्तिकरण के लिए ये कर रहे व कर रहे हैं।
उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों व दुर्गम स्थानों में रह रही आशा कमर्चारियों के लिए यही महिला सशक्तिकरण हो रहा है।
आज के महंगाई के समय में एक आम मजदूर भी पंद्रह से बीस हजार रुपए कमा रहा है।
उत्तराखंड सरकार के द्धारा हमें एक मजदूर के बराबर भी मानदेय नहीं जा रहा है। इतने न्यूनतम मानदेय में उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों व दुर्गम स्थानों की महिलाओं को अपने घर परिवार का दिन चर्या चलाने में बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
आशा कर्मचारियों की छै सूत्री मांगे।
1=आशा कर्मचारियों को राज्य कर्मचारी घोषित किया जाय।
2=रिटायरमेंट बैनीफिट व पैशन लागू किया जाय।
3=साल में सर्दी व गरमी की अलग-अलग वर्दी लागू की जाय।
4=आशाओं का डीजी हेल्थ के द्धारा नियमित मानदेय 2021का प्रस्ताव लागू करके नियमित मानदेय दिया जाय।5=आशा कर्मचारियों को 18000रुपये प्रतिमाह वेतन दिया जाय।
6=महिला सशक्तिकरण के अंतर्गत आशा कर्मचारियों को लाभांवित किया जाय।

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