रिखणीखाल-ये कैसा राजकीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र/ आयुष्मान सेवा केंद्र है?
रिपेर्ट प्रभुपाल सिंह रावतरिखणीखाल प्रखंड के अन्तर्गत राजकीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र/आयुष्मान सेवा केंद्र द्वारी है।यह अस्पताल 45 सालों से ग्राम पंचायत भवन द्वारी के भवन पर चल रहा है,तथा पंचायत की बैठकें खुले आसमान व किसी के निजी आवास में होती हैं। इन 45 सालों से इस स्वास्थ्य केंद्र में विद्युत संयोजन तक नहीं लगा है,जबकि यह प्रदेश ऊर्जा प्रदेश के नाम से भी जाना जाता है।इस पंचायत भवन का स्वास्थ्य भी दिन प्रतिदिन गिरता जा रहा है।भवन की हालत जर्जर व जीर्ण शीर्ण अवस्था में पहुंच गई है।छत व दीवारों का प्लास्टर गिरता रहता है।मरीज के लेटने पर उसकी ऑंखों में घुस जाता है।अब इसी से अंदाजा लगाइये कि जिस भवन की हालत खराब हो तो वहां के मरीजों का स्वास्थ्य कैसे ठीक होगा।मरीज अस्पताल का रुख तक नहीं करते।दवाइयों/उपकरण आदि की बात तो दूर की बात है।
यह आयुष्मान सेवा केंद्र एक एम बी बी एस डॉक्टर के भरोसे चल रहा है।न वहाँ फार्मासिस्ट, न वार्ड ब्वाय, न सफाई वाला।एम बी बी एस डॉक्टर स्वयं झाड़ू लगाते देखा गया है व जर्जर भवन की चौकीदारी कर रहा है।बिजली कनेक्शन के अभाव में कोई मरीज रात को आ गया तो कैसे उपचार होगा।मोबाइल टार्च की रोशनी या मोमबत्ती, क्याडा जलाकर ही हो सकता है।अब इस राजकीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के नाम के साथ आयुष्मान सेवा केंद्र भी जोड़ा गया है,नाम बदलने से कुछ नहीं होगा,कामकाज होना आवश्यक है।
अब इन हालतों में मरीज अपने को झोलाछाप डॉक्टर व बंगाली डॉक्टर के पास ही उपचार कराने में दिलचस्पी रखते हैं। जबकि देखा गया है कि स्वास्थ्य केंद्र में नियुक्त एम बी बी एस डॉक्टर अनुभवी,योग्य नवयुवक ,व्यवहार कुशल हैं।
स्वास्थ्य केंद्र के भवन निर्माण के वाबत कयी बार मुख्य मंत्री हेल्पलाइन मेें शिकायत दर्ज की गई हि।जिसका पंजीकरण संख्या 448104 दिनांक 26 सितम्बर, 2023 है।उप केंद्र (ए एन एम) भी किराये के भवन से संचालित हो रहा है।उसका भी भवन 12-15 साल पहले बना था,लेकिन गृह प्रवेश न हो सका।अब वह भी वीरान व खंडहर में तब्दील हो गया है।कोई सुध लेने वाला नहीं है।उसकी भी सी एम हेल्पलाइन मेें शिकायत दर्ज है,उसका क्रमांक 447452 दिनांक 25 सितम्बर, 2023 है।लेकिन शासन, प्रशासन व जनप्रतिनिधियों की उदासीनता, हीलाहवाली से जर्जर हो गया है। सरकार दावे,घोषणाएं तो बहुत अच्छी करती हैं लेकिन जमीनी हकीकत यही है जो लिखा जा रहा है।प्रशासन को मौका मुआयना करने की फुर्सत नहीं है।अब न जाने किस बात का इन्तजार किया जा रहा है।
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