गढ़वाली कुमाऊनी संविधाना सूचीम शामिल करणा दगड़ उतराखण्डा समेकीकृत प्रतिनिधि भाषा
रिपोर्ट विनोद मनकोटी
दिल्ली डीपीएमआई म दिनांक 22/01/23 कणि उतराखण्डी लोकसभा साहित्य मंच द्वारा भाषाई सरैकारोंक विचार विमर्श पर एक गोष्ठी कु आयोजन करे ग्या। यीं गोष्ठिम उत्तराखंड कि भाषा गढ़वालि कुमाऊनि जौनसारीक गणमान्य साहित्यकार उपस्थित हुई। जैम मंचासीन साहित्यकार सर्व श्री रमेश घिल्डियाल, पूरण चंद कांडपाल, जबर सिंह कैतूरा, प्रतिविंम बड़थ्वाल और मंच संचालक दिनेश ध्यानी छाया। कार्यक्रम जै कैं दस बजि बटि आरंभ हूणु छौ वो ग्यारह बजि बटि शुरु ह्वै। मंच संचालकान कार्यक्रमाक बारिम बताणा तुरंत बाद डा बिहारीलाल जलन्धरी कैं अपणि बात ब्वलणो आमंत्रित करि जैकैं डॉ जलन्धरीन असहमति जतांद बोलि कि पैलि मंचासीन मुख्य अतिथियों द्वारा आजाकु कार्यक्रम पर अपणि बात रखीं वैक बाद ही वो अपनी बात ब्वालला। येक बाद जगमोहन रावत, सुशील जोशी, जबरसिंह कैंतूरा, खजाना चंद शर्मा बाद पूरण चंद कांडपाल ज्यूल कई आरोपोंक दगड़ अपणि बात खत्म करि। जैम दिल्लीम कुछ दिन पैलि एक प्रतिष्ठित संस्थान जौं साहित्यकारों कु सम्मान करि छौ ऊं कैं बोलि कि योन इना लोगों कैं सम्मानित करि जु डिजर्व नि करदा। वैक बाद डा जलन्धरी कैं आमंत्रित करि ग्या। डॉ जलन्धरीक मंच पर पौंछदि कांडपाल जी मंच छोड़िक जब जाण लगीं तो ऊन जु आरोप प्रत्यारोपित करि छाया ऊंकु जवाब दीणा डॉ जलन्धरीन ऊंकै़ केवल पांच मिनटा समय मांग पर ऊंल बात अणसुणि करि तुरंत गीं। डॉ जलन्धरीन बोलि कि आज हम दिल्लीम बड़ा साहित्यकार समझदवा पर दिल्लीम स्थापित गढ़वाली कुमाऊनी जौनसारी अकादमीन हमारि औकात बतै दे। वीं अकादमीम आज तक न क्वी साहित्यकार उपाध्यक्ष बणु न सदस्य। केवल कविता बंचण वाळा कुछ कवि जरूर कुछ लाभ लीणो जुड़्यां छीं।
ऊंन गढ़वाली कुमाऊनी कैं संविधानम जगा दीणा मांग कु स्वागत करि ब्वाल कि उत्तराखंड राज्य बण्यूं आज बाईस वर्ष ह्वै गीं तब बटि य मांग चलणी छ। सतपाल महाराज जीन य बात अपण संसदीय कालम य बात उठै छै। दिल्लीम य संस्था लगभग डेढ़ दशक बटि काम करणी छ, यींल अज्यू़तक क्य भूतलीय काम करि। कतगा लाइब्रेरी स्थापित करीं, कतगा साहित्यकारों कि कितब्योंकु संकलन करि, कतगों कि किताबि छपैं, कतग जगा गढ़वाली कुमाऊनी जौनसारी बोल्यौ कि कितब्यों कि प्रदर्शनि लगैं, दिल्ली म साहित्यकारों कु क्य कल्याण करि। यदि अकादमीन कुछ काम नि करि साकि तो ईं संस्थान क्या करि। पर जैं संस्था कैं अपणा स्थापना काल बटि आजतक क्वी दुसरु संयोजक नि मीलि साकू वो भविष्यम उत्तराखंडाक साहित्य और साहित्यकारोंक हित कि बात कन करि सकंद।
डॉ जलन्धरीन उत्तराखण्ड कि प्रतिनिधि भाषाक संबंधम बोलि कि हम भाषाई आधार पर जोड़णा कु काम करणा छवा त्वड़णा कु न । हमारु उद्देश्य उतराखण्ड और उत्तराखंड कि भाषा से छ। हम तो उतराखण्ड कि चौदह बोल्योंकु संरक्षण संवर्धन कि बात करणा छवां, हमकै़ गढ़वाली कुमाऊनी कैं संविधानम जगा दीणम बाधक मानणु बहुत ही ग़लत छ।
इई़ संस्था द्वारा एक खबर एक प्रतिष्ठित समाचार पत्रम प्रकाशित करवाई जैम डॉ जलन्धरी कै़ अपण उद्देश्य से समर्पण करद दर्शये ग्या, जु बिलकुल गलत छ । जौं मनख्योंन ये कार्यक्रमम अपणि बात रखी ऊं कि बात ये समाचार म कखि नि छीं। जैम खजान दत्त शर्मा न बोलि कि गढ़वाली कुमाऊनी दगड़ जौनसारि थै बि संविधान म जगा मिलणाकि बात हूण चैंद। हम उतराखण्डी छौं जु आज बोलि भाषा नौं परैं आपसम बंटण्या छवां जैसे हमरि ताकत कम हूणी छ और सरकार भि अणसुणि करणी छ। डॉ पृथ्वी केदारखंडीन बोलि कि हर व्यक्ति अपणि बात ब्वलणा कणि स्वतंत्र छ, यदि क्वी शोध करण वालु समग्र उत्तराखण्डियों कैं इकट्ठा करणा कणि कुछ काम करणू छ तो वैकि बात भि सुणण चैंद वैकै़ आरोपित करण बाधक मनणु ठिक नी छ। एक मनखि कैं घ्यरणा प्रपंच नि हूण चैंदा। श्री चंद्र सिंह रावत स्वतंत्र जी कु ब्ललणु छ कि उत्तराखंड कि एक भाषा हुण चैन्द। ऊन पूरा सदन मा डॉ जलन्धरी द्वारा अपणि बात जोरदार ढंग से रखणा कु स्वागत करि। ऊन बोलि कि कुछ लोग गढ़वाली कुमाऊनी बोली थै आठवीं अनुसूचीम रखणाक वास्ता काम कना छिन उ कैरो। कांडपाल ज्यूल अपण भाषणम धमकि तक देइ कि क्वी भि उत्तराखंडी भाषा कि बात नि कैरो। रावत जी कु ब्ललणु छ कि यु आयोजन इन लगणु छो कि डॉ0 जलंधरी थै घेरणाक वास्ता हि दर्यों छौ। जैम आयोजक सफल नि व्हे साका। ऊं कु ब्ललणु छ कि जु लोग गढ़वाली कुमाऊनी थै आठवीं अनुसूची म धारणा कु काम कना छिन उ कैरो पर डॉ0 जलंधरी थैं उतराखण्ड कि भाषाई एकता नौ परैं काम करण द्यावा। ऊंल बोलि कि डॉ0 जलंधरी अभि अपण बात पर अडिग छिन। गलत प्रचार नि करा सस्ती लोकप्रियता वास्ता।
उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारि श्री प्रताप सिंह शाहीकु मनणु छ कि सबि अपणु काम उतराखण्डा हितम करणा छीं, कै थैं आरोपित करणु बहुत हि ग़लत छ, यो दुर्भाग्यपूर्ण छ कि कैकु काम कै़ खारिज करणा कणि इनि तरोंका कार्यक्रम करे जाउ। चांद पर पौछणा कणि तैयारि भि तो उनि तरों हूण चांदी। आप तो दिल्लीम उत्तराखंडाक साहित्य कि आज तक एक लाइब्रेरि नि बणै साका अपणु दुसरु संयोजक तक नि बणै साका। य सस्ति लोकप्रियता पूरु उत्तराखंड समाज कैं केवल बदनाम हि कारली।
काम करण वालु कै एक मनखि कैं टारगेट करणा कणि कै कार्यक्रम कु आयोजन करणु य वीं संस्था और वीं कैं पोषित करण वालों परैं एक प्रश्न चिन्ह खड़ु करद। जु खबर प्रकाशित कर ग्याई वो ग़लत छ हम वैकु पूर्ण रूप से खंडन करणा छवा।