कर्णप्रयाग एवं थराली के मध्य 120 गांवों के ईष्ट देवता खाँकर देवता की जात,13 साल बाद 1 -3 जुन संपन्न
Report- Narendra Bermola Chamoli
*ईष्ट देवता खाँकर देवता की जात*= चमोली जिले के दो विधानसभाओ कर्णप्रयाग एवं थराली के मध्य 120 गांवों के ईष्ट देवता खाँकर देवता की जात, इस वर्ष जून माह में शुरू हुई जोकि हमेशा 12 वर्षों में एक बार होती है। मगर इस बार 13 वर्षों में हुई, इसे जून के माह के पहले दिन से शुरू किया गया, जिसमें कि अधिकांश गांवों के भक्तों ने
प्रतिभाग किया, इस जात की शुरुआत कर्णप्रयाग विधानसभा की स्यूनी मल्ली और थराली विधानसभा के खैनोली और मैदूनी गांव से शुरू किया गया जो कि एक खाँकर खेत में जाकर पूजा अर्चना के बाद इसका समापन किया गया। सभी भक्तों ने भगवान खाँकर देवता से आशीर्वाद प्राप्त किया,खाँकर देवता को शिव का ही एक रूप माना जाता हैं और लोक मान्यता के अनुसार पशुओं और लोग जनता की रक्षा करते हैं।
पहले जब लोग अपने पशुओं के साथ जगलों में प्रवास करते थे तो अपने पशुओं कि हिंसक पशुओं से रक्षा के लिए खाँकर देवता की पूजा करते थे और उसके बाद वहां रहने वाले पशुओं की रक्षा की जिम्मेदारी खाँकर देवता को सुपुर्द रहती थी जोकि वर्तमान समय में भी विद्यमान हैं। यहां पर शेर की शांगल अर्थात शेर की जंजीर भी हैं और लोकमान्यता है कि इससे बंधे होने के कारण शेर पालतू पशुओं को नुकसान नहीं पहुंचा पाता है।
हजारों की संख्या में वहां पर लोग पहुंचे हैं। वर्षभर शीत एवं ग्रीष्म ऋतु में यहां लोग पर्यटन के वास्ते पहुंचते रहते हैं। यहां से हिमालय की पूरी पर्वत चोटियों के भव्य दर्शन होते हैं और ये स्थान अपने आप मे भव्य, दिव्य एवं बहुत ही रमणीक है। बहुत प्रयास के बाद भी ये स्थल अभी तक पर्यटन के नख्से में नही आ पाया।
इस स्थल को पर्यटकों के लिए सुविधाजनक बनाने के प्रयास किये जाने चाहिये जिससे यहां पर स्थानीय स्तर पर पर्यटन को बढ़ावा मिलने के साथ आजीविका के अवसर भी पैदा हो सके..
Guman Singh says:
Nice??
जगमोहन जिज्ञासु says:
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