चमोली

राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में 9 सितंबर 2021 को हिमालय बचाओ गंगा बचाओ की शपथ ली गई

Report Ashok S Bisht

 

राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में नमामि गंगे के तत्वाधान में आज 9 सितंबर 2021 को हिमालय बचाओ गंगा बचाओ की शपथ ली गई यह शपथ महाविद्यालय की प्राचार्य प्रोफेसर आर0 के 0गुप्ता द्वारा महाविद्यालय में उपस्थित छात्र-छात्राओं व अध्यापकों को हिमालय की शपथ दिलाई और शपथ में गंगा हिमालय की प्रमुख धारा है अगर हिमालय जीवित रहेगा और सुरक्षित रहेगा तो गंगा भी सतत बहती रहेगी इसलिए गंगा और हिमालय को बचाना मनुष्य का परम कर्तव्य है इसलिए सभी को हिमालय की सुरक्षा संरक्षण एवं हिमालय की अखंडता को बनाए रखना होगा इस प्रकार महाविद्यालय मैं नमामि गंगे के नोडल अधिकारी डॉक्टर भालचंद सिंह नेगी ने कार्यक्रम का संचालन किया इसके उपरांत हिमालय के महत्व पर प्राचार्य महोदय ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा की हिमालय से निकलने वाली गंगा हमारी जीवनदायिनी है और हमें यह जीवन के साथ-साथ आर्थिक सामाजिक सांस्कृतिक रूप से भी हमें एकजुट करने का प्रयत्न करती है और हमें जीवन जीने का आधार देखिए गंगा ही हमारी संस्कार हैं और गंगा ही हमारा स्वर्ग है इसलिए हमें गंगा को बचाने की साथ-साथ हिमालय को भी सुरक्षित रखना होगा क्योंकि आज जलवायु परिवर्तन की इस दौर में हिमालय असुरक्षित होता जा रहा है पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है जिसका प्रभाव हिमालय पर प्रत्यक्ष रूप से पढ़ रहा है इसलिए आज पर्यावरण को दूषित होने से बचाने की आवश्यकता है हम सभी लोगों को मिलकर पर्यावरण प्रदूषण को रोकना होगा और अवशिष्ट पदार्थों को गंगा में विसर्जित करने से बचना होगा तभी हम गंगा और हिमालय को बचा सकते है इसी क्रम में नमामि गंगे के नोडल अधिकारी डॉक्टर बालचंद सिंह नेगी ने कहा कि गंगा हमारे लिए कितनी आवश्यक है हम सब लोग समझ सकते हैं हमारी जीवन का प्रारंभ और अंत भी गंगा है इसलिए गंगा पृथ्वी पर तभी जीवित रह सकती है जब हिमालय मैं बर्फ रहेगी इस को बचाए रखने के लिए हमने हमें सबसे पहले पर्यावरण प्रदूषण के कारण बढ़ रही वैश्विक तापमान पर नियंत्रण करना होगा अगर हम लगातार वृक्षों का पतन ही प्रकार करते रहे और जंगलों में आग लगती रही तो हमें हिमालय बचाना असंभव हो जाएगा इसलिए हमें सबसे पहले वनों को संरक्षित करना होगा तभी हम तापमान पर भी नियंत्रण का सकते हैं और हिमालय को भी बचा सकते हैं और हमें गतिविधियां भी कम करनी होगी इसके लिए हमें पर्यटक और पर्यटक स्थलों पर हो रही प्रदूषण को रोकने के लिए नित्य नियम बनाने की आवश्यकता है जिससे हिमालय और पर्यावरण बचाने के साथ-साथ हम गंगा को भी बचा सकते हैं इसलिए हम सबको मिलकर तीनों चीजों को बचाने की कसम लेनी होगी तब हम हिमालय के साथ-साथ गंगा को भी बचा सकते हैं कि भारत जैसे देश की संस्कृति सुरक्षित और संरक्षित रह सकती

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