उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय हरिद्वार मे ‘एक दिवसीय संस्कृत चिन्तन शिविर’ का आयोजन
उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय हरिद्वार द्वारा दिनाँक 19- 09-2024 को बद्रीनाथधाम में उत्तराखंड राज्य में अगले 3-4 वर्षों के लिए संस्कृत भाषा के विकास एवं प्रचार-प्रसार के लिए एक दूरगामी कार्ययोजना बनाने के उद्देश्य से ‘एक दिवसीय संस्कृत चिन्तन शिविर’ का आयोजन श्री काशीमठ में किया गया। उक्त कार्यक्रम में देश के सभी राज्यों से संस्कृत के विद्वानों ने भाग लिया। मुख्य अतिथि के रूप में संस्कृत भारती के अखिल भारतीय उपाध्यक्ष दिनेश कामत तथा अध्यक्षता बद्रीनाथ धाम के पूर्व धर्माधिकारी, भुवन चंद्र उनियाल जी ने की। विशिष्ट वक्ता के रूप में डॉ संजीव कुमार राय उपस्थित थे। सारस्वत अतिथि के रूप में संस्कृत भारती के अखिल भारतीय संगठन मंत्री जय प्रकाश गौतम रहे।
वेद पाठ के द्वारा प्रारंभ कार्यक्रम में जय प्रकाश गौतम ने कहा कि आज उत्तराखंड में संस्कृत भाषा विकास के लिए और अधिक कार्य करने की आवश्यकता है। गौतम ने कहा कि उत्तराखंड की द्वितीय राजभाषा संस्कृत है, इसलिए यह राज्य के तीर्थ स्थलों पर दिखाई भी देना चाहिए। उन्होंने कहा कि संस्कृत विश्वविद्यालय ने इस चिन्तन शिविर के माध्यम से इसी दिशा में एक कदम बढ़ाया है यह सराहनीय है।
कार्यक्रम संयोजक डॉ प्रकाश चन्द्र पन्त ने संचालन करते हुए कहा कि उत्तराखंड देव भूमि है इसलिए देवभूमि में देववाणी संस्कृत भाषा के प्रचार प्रसार के लिए संस्कृत विश्वविद्यालय प्रयत्नशील है। डॉ पन्त ने कहा कि यह एक दिवसीय चिन्तन शिविर कार्यक्रम उसी का अंग है। आयोजकों के साथ बदरीनाथ केदारनाथ मन्दिर समिति के माननीय अध्यक्ष उपाध्यक्ष ने देश से आये हुए सभी 60 संस्कृत के विद्वानों के लिए मन्दिर दर्शन आदि व्यवस्था की । माननीय उपाध्यक्ष किशोर पंवार जी ने सभी विद्वानों को उत्तरीय वस्त्र से सम्मानित किया। कार्यक्रम के अध्यक्ष पूर्व धर्माधिकारी भुवन चन्द्र उनियाल ने कहा कि आज संस्कृत बोलने वाले लोग बढ़े हैं इसलिए आज संस्कृत सम्भाषण शिविरों का आयोजन सभी संस्कृत विद्यालयों,महाविद्यालयों में किया जाना चाहिए , यही समय की मांग है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि दिनेश कामत ने कहा कि संस्कृत भाषा के प्रचार के लिए सभी संस्कृत के विद्वानों व संस्कृत की संस्थाओं तथा धार्मिक संस्थानों को आगे आना होगा। कार्यक्रम में श्रीश देव पुजारी, श्री सत्यनारायण भट्ट,
दत्तात्रेय व्रजहल्लि, गौरव शास्त्री समिति के सदस्य डॉ अरविन्द नारायण मिश्र व डॉ अरुण कुमार मिश्र ,डॉ जोगेश्वर पटाले आदि ने विचार व्यक्त किये।
डॉ संजीव कुमार राय ने अपने उद्बोधन में कहा कि संस्कृत भाषा के प्रचार के लिए हर कि पौड़ी परमार्थ निकेतन आदि स्थानो पर संस्कृत भाषा में घोषणा होनी चाहिए। सरकारों को इस दिशा में काम करने की आवश्यकता है। सचिन कठाले ने प्रदेश में आगामी 3 – 4 वर्षों के लिए संस्कृत प्रचार प्रसार और विकास के लिए अपने सुझाव देते हुये कहा है कि राज्य के अन्य धार्मिक स्थलों में संस्कृत भाषा में भी उद्घोषणा संस्कृत भाषा में होनी चाहिए तथा बदरीनाथ केदारनाथ आदि विश्व स्तरीय धार्मिक स्थलों पर संस्कृत में धार्मिक स्थलों की जानकारी के लिए वेनर पोस्टर आदि लगाये जाना चाहिए। संयोजक के द्वारा सभी विद्वानों से संस्कृत भाषा के विकास एवं प्रचार प्रसार के लिए सुझाव मांगे गये है। कार्यक्रम में देश से आये सभी लोगों का धन्यवाद द्रवेश्वर प्रसाद थपलियाल स्थानीय संयोजक ने किया।
चिन्तन शिविर में स्थानीय लोगों के रूप में बद्रीनाथ वेद वेदांग संस्कृत महाविद्यालय के डॉ प्रदीप सेम वाल, जगदीश चंद्र जोशी, डॉ पवन कुमार शर्मा, डॉ चर्चित बालियान, डॉ रितेश वशिष्ट, राजस्थान से चंद शेखर शर्मा, डॉ प्रियदर्शिनी ओली, विवेक शुक्ला, डॉ प्रकाश झा , कविता, बद्रीनाथ धाम के अमित मंदोला, सहित देश भर के 60 संस्कृत के विद्वानों ने अपने सुझाव लिखित रूप में दिए।
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