अल्मोडा -पहाड मे बिखरी कृषिभूमि को प्रोपर्टी डिलरो से बचाने के लिए चकबंदी की बैठक “चकबंदी” को समझे।
रिपोर्ट जगमोहन जिज्ञासु
अल्मोड़ा जनपद के हवालबाग ब्लाक मुख्यालय में चकबंदी मीटिंग में वक्ताओं ने रखे विचार-
पिछले दिनो अल्मोड़ा जनपद के हवालबाग ब्लाक मुख्यालय में दिन के 11.00 बजे से जोश्याना गाँव के किसानों की बिखरी कृषिभूमि जो उनके एक सहखातेदार द्वारा उसका हक़ दिखाकर प्रापर्टी डीलर को गुप चुप तरीके से बेचने के बिरोध में किसानों द्वारा प्रापर्टी डीलर के खिलाफ मा० न्यायालय में मुकदमा तथा पुलिस था
ने में FIR दायर करने के सम्बन्ध में ग्राम जोश्याना के भूमिधरों द्वारा चकबंदी के माध्यम से अपनी जमीनें बचाए जाने हेतु एक जनजागरण सभा का आयोजन किया गया जिसमें वक्ताओं द्वारा भूमिधरों को सुझाव दिये गये कि,
– शासन प्रशासन द्वारा चकबंदी एक्ट 2016 एवं चकबंदी नियमावली 2020 के नियमों/प्रावधानों के अंतर्गत चकबंदी कराए जाने हेतु 2020 एवं 2021 में जो शासनादेश हुवे हैं, के तहत चकबंदी कराए बिना ही ग्रामीणों के खेतों को वही पुराने गोलखातों में ही उलझाए रखकर उन्हें सहखातेदारों द्वारा उनका भी हक़ दिखाकर चुपके छुपके गैरों को बिकवाने का बिरोध जाहिर करते हुवे सुझाया गया कि राजस्व विभाग चकबंदी शासनादेश 2020-21 के द्वारा उक्त जोश्याना गाँव के सभी परिवारों के हिस्से की जमीनें उनकी आपसी सहमति द्वारा उनको चकों में दिलाकर खरीददार की भूमि रजिस्ट्री में दूसरों के खेत नम्बरों को हटाकर कर उनके बदले इस बेचने वाले व्यक्ति के हिस्से के उन खेतों के नम्बर चढाये जांय जो सभी परिवारों/सहखातेदारों की आपसी सहमती से चकबंदी के द्वारा इस बेचने वाले के हिस्से में आये हैं. इस पकार से सभी परिवारों को भी उनके हिस्से की भूमि व्यक्तिगत चकों में मिल सकती है जिससे वे भी मनचाहे तरीकों से अपने चकों में व्यक्तिगत उद्योग विकसित करने सकेंगे. वर्ना पूरे गाँव की कृषिभूमि बिबादित ही रहेगी तथा परिवारों में मनमुटाव भी बढ़ेंगे.
– इसीप्रकार, पहाड़ में बिना चकबंदी कराये 2020 के बाद जितनी भी रजिस्ट्रियां धोखे से हुई हैं तथा किसान अपने खेत वापस पाने हेतु न्यायालयों में गये हैं उनकी भी शासन/प्रशासन द्वारा समीक्षा करके सिस्टम में गोलखातों वाली समस्याओं को दुरुस्त किया जाना चाहिए ताकि खेतों को बेच-खरीद करने से पहले खेतों का मालिकाना हक़ स्पष्ट हो जिससे भविष्य में गाँवों के विकास की प्रक्रिया बाधित न हो.
– पुन: चर्चा के दौरान यह भी सुझाया गया कि किसानों द्वारा आपसी सहमती से अपने खेतों को परस्पर अदल बदलकर खुद भी छोटे-छोटे 2-2, 4-4 नाली के चक बना लेने चाहिए तथा इन चकों अंतर्गत के खेतों को पुराने गोलखातों से निकालकर आगे के लिए चकबंदी एक्ट एवं नियमावली के द्वारा बिना रजिस्ट्री फ़ीस दिए अपने व्यक्तिगत नाम पर कराए जाने हेतु अपनी अपनी तहसीलों को आवेदन भेजे जाँय.
– उत्तराखंड चकबंदी मंच द्वारा आवेदन फार्म के साथ शासनादेशों की फोटो भी सभा को उपलब्ध कराई गई तथा उत्तराखंड में चकबंदी एक्ट एवं नियमावली को प्रभावी तौर पर शीघ्र लागू किए जाने पर जोर दिया और कहा कि चकबंदी के फायदे को लेकर मंच व्यापक जन जागरूकता अभियान चला रहा है जिसके तहत पर्वतीय क्षेत्र के ग्रामीणों को भी चकबंदी की पहल खुद से शुरू करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है.
सभा में मुख्य अतिथि श्री पी० सी० तिवारी अध्यक्ष उपपा, श्री केवला नन्द तेवाड़ी अध्यक्ष उत्तराखंड चकबंदी मोर्चा/मंच, श्री दीपक ढ़ोंढियाल उद्योगपति, श्री महेंद्र बिष्ट जिलाध्यक्ष बजरंग दल, श्री दीपक करगेती सामाजिक कार्यकर्ता एवं सचिव उत्तराखंड कृषक बागवान उद्यमी संगठन (रजि०) तथा सभा के आयोक श्री मोहन सी० जोशी जी एवं मंच के श्री के.एस. मनराल तथा गिरीश भट्ट के अलावा विभिन्न गाँवों के लगभग 60 भूमिधरों ने भी विस्तार से अपनी बातें रखी तथा चकबंदी मंच को अपना समर्थन दिया और कहा कि इस नेक पहल में वे सदैव उनके साथ रहेंगे! पहाडो की आवाज चैनल का जन्म भी चकबंदी मिशन को लेकर ही हुआ और पहाडो की आवाज द्वारा समय समय पर चकबंदी जनजागरण बैठक एंव लाईव शो किए गए पर पहाड मे हम लोग अपने दो वक्त की रोटी के साथ साथ राजनेताओ की चंगुल मे फसे है अपनी पीढ़ी को हम कल खेत भी नही बता पाऐगे ऐसे चला तो आओ चकबंदी अपनाऐ खेत खेत की दुरी को दुर करे स्वरोजगार करे।
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