उत्तराखंड

पौडी-विगत कई वर्षों से देख रहे हैं कि उत्तराखंड की वन सम्पदा धूं धूं करके जल रही है

सहयोगी पहाडो की आवाज

आग लगाने वालो के पक्ष बेतुके होते हैं

1- लैंटाना अमेरिकाना कूरी झाड़ी जल कर समाप्त हो जायेगी
2- जंगली हिसंक जानवर भाग जायेंगे
3-खरपतवार नष्ट हो जायेगा
4- अगले बरसात में हरी घास बढ़िया उगेगी
5- जो हर बरसात में हरेला पर्व पर लाखों पौधे लगाए जाते है जब वो आग से नष्ट हो जायेंगे तो नया बजट स्वीकृत होगा और फिर हरेला पर्व मनाया जाएगा और फोटो खींची जायेगी आजकल नहीं दिखाई दे रहे हैं पौधे लगाते हुए फोटो खींचने वाले

वनाग्नि से हानियां

1- प्राकृतिक वन सम्पदा नष्ट हो गई है जिसमें अमूल्य औषधीय जड़ी बूटियां भी सम्मिलित हैं
2- प्राकृतिक संतुलन बनाए रखने में असंख्य जीव जंतु जलकर भस्म हो जाते हैं और विलुप्त हो रहे हैं
3- खरपतवार यदि जंगल में रहता है तो वहीं सड़ जाता है जिससे उपजाऊ जमीन में ह्यूमस बनती है

4- जंगलों में जो नये पेड़ पौधे स्वयं उगते हैं वो हर बार आग लगाने के कारण नष्ट हो गये है

5- जब जंगल में नमी नहीं रहती तो पेयजल स्रोत समाप्त हो जाते हैं
6- जंगली लाभदायक फल काफल,किंनगोड़ा,हिसोला, बेडू तिमला नष्ट हो गये है
7- बड़े हिसंक जंगली जानवर रिहायशी इलाकों में आ रहे हैं तथा मनुष्यो को अपना निवाला बना रहे हैं
8- बाढ़ और भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाएं ज्यादा आती है क्योंकि बड़े पेड़ो की जड़ आग लगाने से कमजोर हो जाती है और जल धारण क्षमता समाप्त हो जाती है

9- पारिस्थितिकी तंत्र टूट जाता है शाकाहारी जीव प्राथमिक उपभोक्ता हैं जो वनस्पतियों से अपना भोजन लेते हैं द्वितीय उपभोक्ता मांसाहारी जीव जंतु है जो शाकाहारी जीव जंतुओं पर निर्भर रहता है तृतीय उपभोक्ता जो मृत जीव जंतुओं पर निर्भर रहता है और अपघटन का कार्य करता है
10- १-उत्पादक – हरी घास -२- प्राथमिक उपभोक्ता हिरन, खरगोश,गाय भैंस बकरी-३- द्वितीय उपभोक्ता बाघ गुलदार,शेर,-४-तृतीय उपभोक्ता गिद्ध

11-प्रकृति में जब आग लगाने से हरी घास नष्ट हो जायेगी, और शाकाहारी जीव जंतु के बच्चे मर जायेंगे तो उत्पादक और प्राथमिक उपभोक्ता समाप्त हो जाते हैं,तो द्वितीय उपभोक्ता बाघ शेर, गुलदार, सुअर मनुष्य और उसके पालतू पशुओं पर ही हमला करेगा और मानव वन्य जीव संघर्ष बढ जायेगा

12-सभी ग्राम सभाओं में कौमिनल फारेस्ट पंचायत गठित है जिसमें फारेस्टर और सरपंच सहित नौ सदस्य होते हैं आजकल सभी सोये हुए हैं

13-सरकार प्रार्थना सभा में बच्चों को वनाग्नि से रोकने की शपथ दिलाकर इति श्री कर लेती है

14- जब शहरों में अग्निशमन यंत्र तथा वाहन है तो पहाड़ों पर क्यों नहीं है

15- जुलाई में हरेला पर्व को मनाने से बेहतर होता कि आजकल हर नागरिक को अपने अपने कौमिनल फारेस्ट को बचाने की जिम्मेदारी सौंपी जाती तो कितनी वन सम्पदा बच जाती

16- फायर सीजन शुरू होते ही पी आर डी, होमगार्ड, पुलिस , राजस्व निरीक्षक, ग्राम प्रहरी, फारेस्टर, सरपंच, प्रधान, क्षेत्र पंचायत सदस्य, जिला पंचायत सदस्य,इन सबको अपने सेवित क्षेत्र में आग नियंत्रण हेतु ड्यूटी लगाई होती तो ये नौबत नहीं आती

17- यदि तब भी स्टाफ की कमी होती है तो आजकल बहुत बेरोजगार युवा है उनको अस्थाई नियुक्ति देते हुए प्रत्येक कौमिनल फारेस्ट में 4-4 युवाओं को भी रखती तो इतनी हानि नहीं होती और बेरोजगार युवाओं को रोजगार भी मिलता,जो कि आजकल वनाग्नि को रोकने में मददगार होते तथा बरसात में हरेला पर्व पर पौधों की देखभाल करते, पेड़ लगाते, तथा सर्दीयो में झाड़ी कटान करते

उत्तराखंड के जंगल धूं धूं करके जल रहे हैं,जल जंगल और जमीन बचानी है तो वनों को आग से बचायें
उत्तराखंड 5-10 वर्षों में रेगिस्तान बन जायेगा
जल ही जीवन है
वन ही जीवन है

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