दिल्‍ली एन सी आर

गढ़वाली और कुमाऊनी समुदाय को अनूसूचित जनजाति (ट्राइबल स्टेट्स) का दर्जा और उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र में संविधान की पांचवीं अनुसूची लागू किए जानी की मांग को लेकर धरना l

उत्तराखंड चिंतन संगठन ने धरना जंतर मंतर में आयोजित किया
संगठन के सुरेश नौटियाल जी ने बताया 

1) भारत के सभी पहाड़ी इलाकों में अनुसूचित जिला अधिनियम 1874 (Scheduled Districts Act,1874) लगा हुआ था l यह एक्ट उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में भी लागू था l बाद में देश के सभी पहाड़ी इलाकों में इस अधिनियम को बदलकर कहीं पांचवीं अनुसूची (5th Schedule) और कहीं छठी अनुसूची (6th Schedule) के रूप में बदल दिया गया l लेकिन उत्तराखंड क्षेत्र में अनुसूचित जिला अधिनियम 1874 (Scheduled Districts Act,1874) को पांचवीं अनुसूची में बदलने की जगह हटा दिया गया l
2. देश के सभी पहाड़ी राज्य के लोगो को जनजातीगढ़वाली और कुमाऊनी समुदाय को अनूसूचित जनजाति (ट्राइबल स्टेट्स) का दर्जा और उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र में संविधान की पांचवीं अनुसूची लागू किए जानी की मांग को लेकर धरना l

उत्तराखंड चिंतन संगठन ने धरना जंतर मंतर में आयोजित किया l
संगठन के सुरेश नौटियाल जी ने बताया l

1) भारत के सभी पहाड़ी इलाकों में अनुसूचित जिला अधिनियम 1874 (Scheduled Districts Act,1874) लगा हुआ था l यह एक्ट उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में भी लागू था l बाद में देश के सभी पहाड़ी इलाकों में इस अधिनियम को बदलकर कहीं पांचवीं अनुसूची (5th Schedule) और कहीं छठी अनुसूची (6th Schedule) के रूप में बदल दिया गया l लेकिन उत्तराखंड क्षेत्र में अनुसूचित जिला अधिनियम 1874 (Scheduled Districts Act,1874) को पांचवीं अनुसूची में बदलने की जगह हटा दिया गया l
2. देश के सभी पहाड़ी राज्य के लोगो को जनजातीय दर्जा मिला हुआ है l तो फिर गढ़वाल एवं कुमाऊं के लोगो को ही इस से वंचित रखा गया है l

3. भारत सरकार की लोकुर समिति (1965) ने जनजातीय दर्जा देने के लिए जो मानक बनाए है l, उनमें उत्तराखंड का पर्वतीय क्षेत्र खरा उतरता है l

पांचवीं अनुसूची के लाभ

* ट्राइबल स्टेटस (Tribal Status) के परिणामस्वरूप युवाओं को शिक्षा, सरकारी नौकरियों जैसे क्षेत्रों में आरक्षण मिलेगा l

* हमारी नदियों, जंगलों, और पहाड़ों पर हमारा अधिकार होगा l

* उत्तराखंड के पर्वतीय इलाकों के विकास के लिए राज्य सरकार और केंद्र सरकार अलग से फंड देंगी l
* अनुसूचित जनजाति अधिनियम (ST Act) जैसे प्रभावी कानून हमारी बहन-बेटियों को सुरक्षा प्रदान करेंगे l
* मूल निवास 1950, भू – कानून, परिसीमन जैसे मुद्दे पांचवीं अनुसूची की व्यवस्थाओं के अंतर्गत स्वत: हल हो जाएंगे l
* भाषा एवं संस्कृति का संरक्षण सुनिश्चित हो पायेगा lय दर्जा मिला हुआ है l तो फिर गढ़वाल एवं कुमाऊं के लोगो को ही इस से वंचित रखा गया है l

3. भारत सरकार की लोकुर समिति (1965) ने जनजातीय दर्जा देने के लिए जो मानक बनाए है l, उनमें उत्तराखंड का पर्वतीय क्षेत्र खरा उतरता है l

पांचवीं अनुसूची के लाभ

* ट्राइबल स्टेटस (Tribal Status) के परिणामस्वरूप युवाओं को शिक्षा, सरकारी नौकरियों जैसे क्षेत्रों में आरक्षण मिलेगा l

* हमारी नदियों, जंगलों, और पहाड़ों पर हमारा अधिकार होगा l

* उत्तराखंड के पर्वतीय इलाकों के विकास के लिए राज्य सरकार और केंद्र सरकार अलग से फंड देंगी l
* अनुसूचित जनजाति अधिनियम (ST Act) जैसे प्रभावी कानून हमारी बहन-बेटियों को सुरक्षा प्रदान करेंगे l
* मूल निवास 1950, भू – कानून, परिसीमन जैसे मुद्दे पांचवीं अनुसूची की व्यवस्थाओं के अंतर्गत स्वत: हल हो जाएंगे l
* भाषा एवं संस्कृति का संरक्षण सुनिश्चित हो पायेगा

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