उत्तरायनी का त्योहार , देवताओं का सब से बड़ा उपहार -दया राम ढौंडियाल
गढ़वाली प्रतिनिधि सभा पंजाब( रजी) के चैयरमैन इंजीनियर दया राम ढौंडियाल ने सभी देश वासियों को उतरायणी, मकरैनी और लोहड़ी के पर्व की बहुत बहुत शुभकामनाए दी। इन्होंने बताया की ये पर्व उतराखंड के कुमायूं क्षेत्र में “उतरायनी” के नाम से और गढ़वाल क्षेत्र में “मकरैणी” या “मकर संक्रांति”के नाम से धूम धाम से मनाया जाता है। इस अवसर पर लोग मां गंगा वा अन्य पवित्र नदियों में स्नान कर इस पर्व को मनाते है।
इस दिन से सूर्य दक्षिणायन से मकर रेखा पार कर उतरायण की ओर अग्रसर होते है,इस समय सूर्य की किरणों मे वो पवित्र किरणें होती है,जो प्राणी मात्र को नव ऊर्जा से मजबूत कर देती है, इस त्योहार को खिचड़ी संक्रात के नाम से भी जाना जाता है और इस दिन तिल,गुड, के लड्डू वा उड़द की दाल की खिचड़ी भी बनाई जाती हैं। इस त्योहार का ऐतिहासिक महत्व भी है, इसी दिन सन 1921 में कुमायूं केशरी बद्री दत पांडे ने बागेश्वर में अंग्रेजों के खिलाफ ” कुली बेगार” आंदोलन को छेड़ा था। यह आंदोलन एक वृहद जन आंदोलन था। इस अवसर पर प्रवासी पहाड़ी सभाएं भी इस त्योहार को खूब जोश से मनाते है और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी करते है।
तमिलनाडु में इसे पोंगल , कर्नाटक, केरल तथा आंध्र प्रदेश में इसे केवल संक्रांति के नाम से मनाया जाता हैं।बिहार प्रांत के कुछ जिलों में यह पर्व ‘तिला संक्रांत’ नाम से जाना जाता हैं। नेपाल में भिव्येह त्योहार धूमधाम से मनाया जाता हैं।
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