उत्तराखंड पौडी

उत्‍तराखण्‍ड के किसान प्याज में बोल्टिंग, कैसे करें रोकथाम

 

डा० राजेंद्र कुकसाल।

बल्ब याने प्याज के दाने के उद्देश्य से उगाई गई प्याज की फसल में समय से पहले बीज डंठल बनने को बोल्टिंग कहा जाता है। बोल्टिंग बल्ब को हल्का और रेशेदार बनाता है साथ ही ये बल्ब भंडारण में भी लंबे समय तक नहीं रहते हैं। रबी प्याज (दिसंबर से मई) के पौधों में बानस्पतिक वृद्धि हेतु कम तापमान 15-21°C तथा बल्व बनने व बल्व के विकास हेतु कुछ अधिक 20-25°C तापमान एवं लम्बे प्रकाश अवधि की आवश्यकता होती है। बल्ब बनने व बल्व के विकास के समय मध्यम तापमान की स्थिति बहुत महत्वपूर्ण है। यदि बल्ब बनने और बल्ब के विकास के समय तापमान कम रहता है तो बोल्टिंग हो सकती है। इसी कारण यदि रबी प्याज की पौध को जल्दी लगाया जाता है, तो बोल्टिंग की संभावना अधिक होगी। दिसंबर के अंत से जनवरी में रबी प्याज की रोपाई में कम बोल्टिंग देखने को मिलती है। पौधों में कम बानस्पतिक बृद्धि भी बोल्टिंग को प्रेरित करता है। कम उपजाऊ वाली भूमि में याने जिस भूमि का कार्बन लेवल 0.8 से कम हो बोल्टिंग अधिक देखने को मिलती है।

नियंत्रण के उपाय-
1. स्थानीय किस्मों ( लम्बी प्रकश अवधि) का चयन करें।
2. तापमान की स्थिति के अनुसार रोपाई के समय का समायोजन करें ताकि फसल को बल्ब बनने व बल्व विकास के समय में मध्यम तापमान और बल्ब परिपक्वता के समय रबी मौसम में लगाये गये प्याज के लिए कुछ हद तक उच्च तापमान मिल सके।

3.स्वस्थ एवं 8-10 सप्ताह पुरानी पौध को प्रयोग में लायें।

4. प्याज की खेती उपजाऊ भूमि जिसका कार्वन लेवल 0.8 से अधिक हो में करें। पौधरोपण से ही इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि पौधों में बानस्पतिक वृद्धि अच्छी हो।

5. फसल में अपेक्षाकृत उच्च नाइट्रोजन और सल्फर के प्रयोग से बोल्टिंग कम हो जाती है।

6. प्रारंभिक अवस्था में बीज के डंठल को काट देना चाहिए।

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