बड़थ्वाल कुटुंब द्वारा दिल्ली में दीपावली मिलन समारोह अर दैवज्ञ जयंती
4 नवंबर कुण गढवाल भवन दिल्ली म ज्योतिषाचार्य पं. मुकुंद राम बड़थ्वाल दैवज्ञ जी क जयंती अर हमर संस्कृति कु पावन त्योहार बगवाल मिलन कु कार्यक्रम आयोजित करे गयाई।
कार्यक्रम म अतिथियों कु स्वागत तिलक ढोल दमाऊ क दगड़ करे गयाई। शुरुआत कार्यकारिणी का सदस्य पंकज बड़थ्वाल जी न कार अर मंच पर अध्यक्ष श्री राजकुमार बड़थ्वाल, महासचिव प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल, मुख्य अतिथि प्रो दयाल सिंह पँवार अर श्री अनिल कुमार जोशी जी ते आमंत्रित करी। शुभारंभ अतिथियों न दीप प्रज्वलित करिक कार। ये बगत पर कुटुंब की महिला शक्ति द्वारा माँगल गीत गये गयाई अर हमर संस्कृति कि पहचान ढोल दमाऊ मश्कबाज भी बजिन।
कार्यक्रम क प्रस्तावना अर अतिथियों कू परिचय बड़थ्वाल कुटुंब कि सोच रखण वोल, संस्थापक अर महासचिव प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल जी न रखि। मंचासीन अतिथियों द्वारा दैवेज्ञ ( जयंती 9 नवंबर ) क नाम से अलंकृत संस्कृत का प्रकांड विद्वान और महानतम ज्योतिषियों मध्ये एक स्वर्गीय श्रद्धेय श्री मुकुंद राम बड़थ्वाल “दैवज्ञ” जी की फोटो पर पुष्पांजलि अर्पित करी। दैवज्ञ जी क जन्म स्थली खण्ड गौं बटी श्री हरीश बड़थ्वाल जी न दैवज्ञ जी क स्मरण व उँका व्यक्तित्व पर विचार रखिन। अतिथि श्री अनिल कुमार जोशी जी न उँका बार म वूँकी ज्योतिष की विद्धवता अर पुसतुकों के जानकारी सांझा करी। लालबहादुर संस्कृत विवि क प्राध्यापक अर सक्षम संस्था का राष्ट्रीय सरंक्षक प्रो. दयाल सिंह पँवार जी न दैवज्ञ जी ते उत्तराखण्ड कि महान विभूति बते अर ज्योतिष गणना, व्याकरण क वूँकी महानता क विषय म बते। प्रो दयाल जी न वूँकी पुस्तक पर शोध क वास्ता अर अप्रकाशित पुस्तकों पर कार्य क वास्ता अपर तरफन पूरो प्रयास करना कु भरोसा दयाई।
प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल जी ने बते कि दैवेज्ञ जी न अपर जीवन काल म ज्योतिष क लगभग एक लाख से ज्यादा श्लोक अर 45 महत्वपूर्ण ग्रंथों क रचना कार। यू ग्रंथों म अबी अधा ही ग्रंथों कू प्रकाशन हुयूं च बाकी अप्रकाशित छन। दैवज्ञ जी न 11 टीका ग्रंथ भी लिखिन ज्यों ते पाठ्य पुस्तकों जन पढ्ए जाँदू। अधिकांश पंडितों अर ज्योतिष जानकारों कि पेल पसंद “ज्योतिषतत्त्वम” म 7500 से ज्यादा श्लोक लिख्या.छन। 12 अप्रैल 1967 कुण दैवज्ञ जी ते “अभिनव वराहमिहिर की उपाधि” से सम्मानित किए ग्याई। हिन्दी का प्रथम डी. लिट. डॉ पीताम्बर दत्त बड़थ्वाल जी क जन ही दैवज्ञ जी केवल बड़थ्वाल कुटुंब का गौरव ही नि छिन बल्कि उत्तराखण्ड अर साहित्य व भाषा क विभूति भी छन।
ये सत्र का अंत म अध्यक्ष राजकुमार बड़थ्वाल जी न भी दैवज्ञ जी कि महानता, वे बगत पर वूँकी बुद्धि कौशलता पर अपर विचार रखीन। राजकुमार जी न ब्वाल कि कुटुंब द्वारा वूँक कृतित्व व व्यक्तित्व क प्रचार – प्रसार, सरंक्षण व संवर्धन कू प्रयास करे जालू।
बड़थ्वाल कुटुंब क महिला शक्ति सुश्री पम्मी बड़थ्वाल जी, सुश्री अनुराधा बड़थ्वाल जी अर सुश्री योगिता बड़थ्वाल जी न कार्यक्रम क संयोजक कि भूमिका निभे। उत्तराखण्ड क नौजवान संगीत बैंड पहाड़ी बरदर्स न मनमोहक प्रस्तुति देनी। जे क आनंद सबी उपस्थित बंधुओ न उठाई। कार्यक्रम म अगने “उत्तराखण्ड प्रशनोत्री कार्यक्रम”, “उत्तराखण्ड परिधान प्रतियोगिता”, “तंबोला”, म्यूजिकल चीयर खेलों क बाद अतिथि ढोल दमाऊ मश्कबाज पर खूब नचिन।
कार्यक्रम क अंत म सबी अतिथियों न गढ़वाल भवन म बगवाल क उपलक्ष म सामूहिक दीप प्रज्वलित करिन। कुटुंब न आमंत्रित अतिथियों ते दियू भेंट करिन। कार्यक्रम कू अंत म पूरी, अलू कु साग, अरसा, चाय अर लड्डू कु स्वाद सब्यू न ल्याई।
बड़थ्वाल कुटुंब कू मुख्य उद्देश्य अपर समाज ते जुड़ण, अपरु लुखों कु सामाजिक उत्थान (खास करिक शिक्षा/रोजगार), विरासत ते बचाण अर प्रतिभाओ ते बढ़ाण कु सतत प्रयास क दगड़ उत्तराखण्डे कि भाषा संस्कृति साहित्य सरंक्षण/संवर्धन क वास्ता निरंतर प्रयासरत च। आज बड़थ्वाल कुटुंब अपडू ध्येय वाक्य “सं गच्छध्वम् सं वदध्वम्” ते चरितार्थ करणू च।