उत्तराखंड

उत्तराखंड योजना माफियाके चंगुल में । उद्यान विभाग ने रचा इतिहास ??

उद्यान विभाग ने रचा इतिहास ??

एक ही दिन में कागजों में औपचारिकताएं पूरी दिखा कर निर्गत कर दिया फल पौधशाला स्वामी का लाइसेंस।

धरा का धरा रह गया
“उत्तराखंड फल पौधशाला (विनियमन) विधेयक, 2019”

रिपोर्ट  डा ० राजेंद्र कुकसाल।

उत्तराखंड योजना माफिया (भ्रष्ट राज नेता नौकरशाह एवं दलालों का गठजोड़) के चंगुल में।

एक ही दिन में कागजों में सारी औपचारिकताएं पूरी दिखा कर मै० अनिका ट्रेड्रस को निर्गत कर दिया पौधालय स्वामी का लाइसेंस।

दिनांक 5 जनवरी 2023 को देहरादून SBI में लाइसेंस फीस जमा कर आवेदन किया जाताहै उसी दिन उद्यान विभाग का वर्ग दो का कर्मचारी सत्यापन करता है, 5 जनवरी 2023 को ही संयुक्त निदेशक उद्यान आवेदन अग्रसारित करते हैं और उसी दिन निदेशक SHI को लाइसेंस बनवाने हेतु निर्देशित करते हैं और उसी दिन 5 जनवरी 2023 को ही फर्म को पौधशाला स्वामी का लाइसेंस निर्गत हो जाता है आश्चर्य जनक रूप से मुख्य उद्यान अधिकारी उत्तरकाशी आवेदन की तिथि से पहले ही बिना कार्यालय पत्रांक के 2 जनवरी को ही अपनी सत्यापन रिपोर्ट संस्तुति सहित निदेशक उद्यान को भेजते हैं।

लगे हाथ निदेशक चंद दिनों बाद करोड़ों रुपए के शीतकालीन फल पौधों को आपूर्ति करने का आदेश भी फर्म को दे दिया जाता है।

एक रिपोर्ट –
फर्म के मालिक श्री नितिन शर्मा ने श्री दिनेश प्रसाद पुत्र श्री ब्रह्मानन्द से लोधन उत्तरकाशी से जमीन लीस पर ली तथा लीज अनुबंध पर 4 जनवरी 2023 को हस्ताक्षर किए।

बिना तिथि अंकित किए हुए श्री नितिन शर्मा द्वारा पौधालय के पंजीकरण एवं लाइसेंस हेतु आवेदनपत्र उद्यान विभाग को उपलब्ध कराया गया। आवेदन पत्र में संलग्न सभी प्रपत्रों में विना तिथि अंकित किए हस्ताक्षर किए गए हैं।

धारा 4 (1) के अनुसार अनुज्ञा पत्र हेतु आवेदन अनुज्ञापित प्राधिकारी को निर्धारित प्रपत्र में और विहित फीस के साथ दिया जायेगा आवेदन पत्र के साथ लाइसेंस फीस जमा की पर्ची भी संलग्न की जाती है। दिनांक 5 जनवरी 2023 को लाइसेंस फीस 5000 रुपये SBI देहरादून में जमा किए गए।

सत्यापन अधिकारी प्रभारी उद्यान सचल दल केन्द्र डामटा उत्तरकाशी द्वारा विना तिथि अंकित किए श्री नितिन शर्मा के आवेदन के सभी प्रपत्रों में हस्ताक्षर किए गए हैं।

पौधालय का सत्यापन प्रभारी उद्यान सचल केन्द्र डामटा उत्तरकाशी ने किया है जो कि वर्ग -2 का कर्मचारी है। उत्तराखंड फल पौधशाला विनियमन विधेयक 2019 के पैरा 2 (च) के अनुसार निरीक्षण अधिकारी वर्ग- 1के अधिकारी से निम्न स्तर पंक्ति से कम का नहीं होना चाहिए याने सत्यापन सक्षम कर्मचारी/ अधिकारी से नहीं करवाया गया। जबकि अधिनियम की धारा 4 (2) के अनुसार अनुज्ञा पत्र (लाइसेंस) हेतु किये गये आवेदन के साथ उपलब्ध कराये गये साक्ष्यों की सत्यता हेतु गठित विभागीय समिति द्वारा पौधशाला का निरीक्षण कराया जाना अनिवार्य है।

आवेदन पत्र एवं संलग्न प्रपत्रों में फल पौधालय का क्षेत्रफल (है०) 0.5 है० जबकि अनुवन्ध पत्र के अनुसार श्री नितिन शर्मा द्वारा लीज पर ली गई कुल भूमि 0.444 हैक्टेयर ही है।

प्रपत्र संख्या 1(क) सत्यापन अधिकारी हेतु प्रारूप में सत्यापन की तिथि अंकित नहीं है साथ ही प्रपत्र में सत्यापन अधिकारी द्वारा पौधालय से संबंधित कोई भी आख्या स्पष्ट नहीं की गई है।

मुख्य उद्यान अधिकारी उत्तरकाशी द्वारा विना अपने कार्यालय के पत्रांक के श्री नितिन शर्मा के आवेदन को दिनांक 2 जनवरी 2023 को संस्तुति सहित निदेशक उद्यान को पौधशाला स्वीकृति हेतु अग्रसारित किया गया है। उल्लेखनीय है कि श्री नितिन शर्मा द्वारा लीज पर जमीन 4 जनवरी 2023 को ली गई। लाइसेंस फीस दिनांक 5 जनवरी 2023 को जमा किया गया। याने श्री नितिन शर्मा के नाम पर विना जमीन व बिना लाइसेंस फीस जमा किये पहले ही निदेशक को स्वीकृति हेतु संस्तुति पत्र भेज दिया।

निदेशालय में मुख्य उद्यान अधिकारी उत्तरकाशी द्वारा श्री नितिन शर्मा के आवेदन पत्र में संयुक्त निदेशक दिनांक 5 जनवरी 2023 को श्री विष्ट SHI को लाइसेंस निर्गत हेतु आदेश करते हैं तथा निदेशक 5 जनवरी 2023 को श्री नितिन शर्मा को पौधशाला का लाइसेंस निर्गत कर देते हैं।

सारे काम एक ही दिन में।आवेदन पत्र की फीस दिनांक 5 जनवरी 2023 को SBI देहरादून में जमा की गई स्वाभाविक है आवेदन पत्र, फीस जमा करने के बाद ही जमा किया गया होगा आवेदन के साथ उपलब्ध कराये गये साक्ष्यों का सत्यापन भी उसी दिन याने 5 जनवरी 2023 को हुआ होगा, दिनांक 5 जनवरी 2023 को ही संयुक्त निदेशक SHI को लाइसेंस जारी करने हेतु निर्देशित करते हैं उसी दिन याने दिनांक 5 जनवरी 2023 को ही निदेशक श्री नितिन शर्मा को पौधशाला का लाइसेंस निर्गत कर देते हैं।

मुख्य उद्यान अधिकारी उत्तरकाशी द्वारा आवेदन जमा होने की तिथि से पहले ही दिनांक 2 जनवरी 2023 आवेदन पत्र सभी साक्ष्यों के साथ निदेशक को भेजना दिखाया गया है जो कि सरासर जालसाजी प्रतीक होती है।

प्रथमदृष्टया लाइसेंस जारी करने में उद्यान विभाग के अधिकारियों/कर्मचारियों द्वारा पद का दुर्पयोग कर जालसाजी की गई है।

उत्तराखंड में योजना माफिया (भ्रष्ट राजनेता नौकरशाह एवं दलालों का गठजोड़) इतना सक्रिय व वेखौफ है कि उसे शासनादेशों एवं अध्यादेशों का कोई डर नहीं है। यह तो एक बानगी भर है , माननीय मुख्यमंत्री जी का 2025 तक राज्य को अग्रणीय राज्य बनाने का सपना इन योजना माफियाओं की सक्रियता के चलते पूरा हो पाएगा ?

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