राष्ट्रीय एकता दिवस 2025 जनता इण्टर कॉलेज कमलपुर संगलाकोटी 31 अक्टूबर 2025
यह दिन महान स्वतंत्रता सेनानी और भारत के प्रथम गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती के रूप में मनाया जाता है।
सरदार पटेल को “भारत के लौह पुरुष” के रूप में जाना जाता है। उन्होंने स्वतंत्रता के बाद भारत के लगभग 565 स्वशासी रियासतों को भारत संघ में मिलाने का अद्भुत कार्य किया, जिससे देश में एकता और अखंडता बनी रहे । सरदार वल्लभभाई पटेल, जिन्हें भारत के “लौह पुरुष” के नाम से जाना जाता है, का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के नडियाद गांव में हुआ था। वे स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नेता और स्वतन्त्र भारत के प्रथम उपप्रधानमंत्री एवं प्रथम गृह मंत्री थे। पटेल ने भारतीय रियासतों को एक सूत्र में बांधने में अभूतपूर्व योगदान दिया, जब स्वतंत्रता के बाद भारत के लगभग 565 रियासतें अलग-अलग देश बनने की कोशिश कर रही थीं। उनकी कठोर इच्छाशक्ति, कुशल प्रशासनिक शैली और दूरदर्शिता के कारण उन्होंने कई रियासतों को बिना बड़े संघर्ष के भारतीय संघ में मिलाया।सरदार पटेल ने “भारतीय सिविल सेवा (ICS)” को “Indian Administrative Service (IAS)” के रूप में परिवर्तित किया और देश की एकता के लिए अदम्य प्रयास किए। गांधीजी ने उन्हें भारत का बिस्मार्क कहा था। उनकी उस दृढ़ता और नेतृत्व के कारण उन्हें “लौह पुरुष” की उपाधि मिली। 2018 में उनकी स्मृति में गुजरात में “स्टैच्यू ऑफ यूनिटी” बनायी गई, जो विश्व की सबसे ऊंची मूर्ति है। उन्हें मरणोपरांत वर्ष 1991 में भारत रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उनका जन्मदिन 31 अक्टूबर को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाया जाता है।

सरदार पटेल का व्यक्तित्व सरल और कड़ा था, जिसमें वे बड़े भाषणों या दिखावे में विश्वास नहीं रखते थे, बल्कि कर्म से राष्ट्र निर्माण में विश्वास रखते थे। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और स्वतंत्र भारत के स्थापनाकाल में अक्षय योगदान दिया। उनका जीवन देश की एकता, अखंडता और विकास के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उनका निधन 15 दिसंबर 1950 को मुंबई में हुआ था।मुख्य तथ्य सारांश:सरदार वल्लभभाई पटेल की जीवन गाथा और उनके कार्य आज भी भारत की एकता और अखंडता के प्रतीक हैं, इसलिए उन्हें “लौह पुरुष” के रूप में याद किया जाता है। उनकी दूरदर्शिता और प्रशासनिक क्षमता ने आधुनिक भारत की नींव मजबूत की ।





