रिखणीखाल -नावेतल्ली के काश्तकारों की जंगली जानवरों से खेती के बचाव के लिए तारबाड चेन लिंकिग फेसिंग लगाने की मांग।

रिपोर्ट प्रभुपाल सिंह रावत
ग्राम नावेतल्ली लगभग 30-35 परिवारों का गाँव है,जो कि काफी बड़े क्षेत्रफल में गाँव के चारों तरफ फैला हुआ है।गाँव में लगभग सभी फसलें, सब्जियाँ व तरकारियां उगाई जाती हैं, जैसे गेहूँ, जौ, मंडुवा, झंगोरा कौणी, मरसू, हल्दी, अदरक, मिर्च, अरबी,मक्का, गोभी,मूला,मूली,कद्दू, प्याज, धनिया आदि। दूर दराज के खेत तो लोगों ने छोड़ दिये हैं, लेकिन गाँव के नजदीक 400-500 मीटर तक के खेत तो कर ही रहे हैं। लेकिन जैसे ही फसल पकने को तैयार होती है जंगली जानवर सूअर,भालू,सौला, लंगूर, बन्दर, हिरन आदि फसल को रौंद कर या खाकर नुकसान करते हैं। लोगों को उनका मेहनताना नहीं मिलता।सिर्फ मेहनत ही करते हैं।
इस सीमांत व पिछड़े क्षेत्र के लोगों ने अभी तक तारबाड नहीं देखी,सिर्फ नाम ही सुना है कि सरकार तारबाड भी करवा कर फसलों को बचाती है।आजतक गाँव वालों ने इस सुविधा का लाभ नहीं लिया, और न कृषि व भूमि संरक्षण विभाग ने इस ओर झाँककर देखा।
अब जैसे जैसे परिवर्तन चल रहा है या लोग कोटडीसैण, रथुवाढाब, कर्तिया आदि की तरफ देखते हैं तो उनके मन में भी ये विचार आया कि यदि ऐसा हमारे गाँव में भी हो जाता तो कुछ जंगली जानवरों से राहत मिलती।
अब ग्रामीणों की इच्छा है कि गाँव के आसपास चारों तरफ तारबाड चेन लिंकिग फेसिंग का कार्य हो जाता तो हम भी कुछ राहत पा सकें।
क्या कृषि व भूमि संरक्षण विभाग धुमाकोट व रिखणीखाल हम पिछड़े गाँव वालों की आवाज व गुहार को भी सुनेगा,या हम दूसरे लोगों की खेती को ही देखते रहेगें?
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