देहरादून

देहरादून-UPL फाइनल में स्थानीय कलाकारों न बुलाया तो स्टेडियम में करेंगे प्रदर्शन

मूल निवास, भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति ने की सीएयू के अधिकारियों से मुलाकात ।

देहरादून। मूल-निवास, भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति ने क्रिकेट एसोसिएशन उत्तराखंड के कार्यालय में एसोसिएशन के पदाधिकारियों से मुलाकात कर क्रिकेट लीग के उद्घाटन समारोह में उत्तराखंड के स्थानीय कलाकारों और गायकों को की उपेक्षा किये जाने पर क्रिकेट एसोसिएशन से जवाब मांगा। इस मौके पर समिति ने क्रिकेट प्रतियोगिताओं में स्थानीय खिलाड़ियों को वरीयता देने की मांग भी जोर-शोर से उठाई। समिति की ओर से क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड के अध्यक्ष गिरीश गोयल और सचिव महिम वर्मा को पत्र भी दिया गया।

मूल निवास, भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति के संयोजक मोहित डिमरी ने कहा कि क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड के पदाधिकारियों को क्रिकेट लीग (UCL) के उद्घाटन समारोह में उत्तराखंड के लोक कलाकारों और गायकों को ना बुलाने पर उत्तराखंड की जनता से लिखित में माफ़ी मांगनी चाहिए। उन्होंने कहा कि क्रिकेट लीग के समापन अवसर पर स्थानीय लोक कलाकारों को ससम्मान आमंत्रित किया जाय। जिससे उत्तराखंड की संस्कृति से देश-दुनिया परिचित हो सके। ऐसा न होने उत्तराखंड के लोग स्टेडियम में प्रदर्शन के लिये मजबूर हो जायेंगे।

संघर्ष समिति के सह संयोजक लुशुन टोडरिया, सचिव प्रांजल नौडियाल ने कहा कि उत्तराखंड क्रिकेट लीग मैचों में शामिल टीमों में दूसरे प्रदेश के खिलाडियों की संख्या सीमित हो, जैसे इंडियन प्रीमियर लीग मैचों में शामिल टीमों में विदेशी खिलाड़ियों की सीमित संख्या होती है। इसी तरह बाहर के खिलाड़ियों की संख्या भी सीमित होनी चाहिए।

संघर्ष समिति के गढ़वाल सह संयोजक विपिन नेगी, पहाड़ी स्वाभिमान सेना अध्यक्ष मंडल के सदस्य पंकज उनियाल, राकेश नेगी, कपिल रावत, अंकित नौनी ने कहा कि उत्तराखंड की सांस्कृतिक पहचान को खत्म करने का षड्यंत्र चल रहा है। बाहर के कलाकारों को मंच देकर उन्हें लाखों रुपए दिए जा रहे हैं। अपने ही राज्य में स्थानीय कलाकारों का अपमान किया जा रहा है। इसे किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।

देवभूमि युवा संगठन के अध्यक्ष आशीष नौटियाल, श्रेय नौटियाल ने कहा कि उत्तराखंड प्रीमियर लीग में पर्वतीय जनपदों की टीमों को शामिल नहीं किया गया है। पहाड़ी जनपदों की उपेक्षा की जा रही है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड राज्य कई लोगों के बलिदान से बना है और यहां के हर संसाधनों पर मूल निवासियों का पहला अधिकार है ।

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