अल्मोड़ा -कुमाऊ मंडल में रक्षाबंधन के साथ साथ जन्यू पून्यू का त्यौहार प्राचीन काल से ही मनाया जाता है।
प्रताप सिंह नेगी
इस श्रावण शुक्ल चतुर्थी 18अगस्त को दो बजे से भद्रा शुरू हो जायेगा ।सोमवार श्रावण पुर्णिमा को एक बजे भद्रा खत्म हो जायेगा एक बजे से राखी बंधन व जनेऊ धारण किया जायेगा।
रक्षाबंधन के साथ साथ कुमाऊं में हर श्रावण पूर्णिमा में जन्यू पून्यू धारण करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है।
एक तरफ श्रावण पूर्णिमा को भाई बहनों का रक्षाबंधन बडी धूमधाम से मनाया जाता है। दूसरी तरफ इस श्रावण पूर्णिमा को कुमाऊं के लोग नये जनेऊ धारण करते हैं।
आइये इस श्रावण पूर्णिमा के दिन नई जनेऊ धारण करने के बारे में आगे बताते चलें। एक महीने पहले से उत्तराखंड के बड़े बुजुर्ग,व ब्रहामण,व ठाकुर लोग अपने पुरोहित के द्वारा बताए गये बिधि बिधान से रुई को कातकर हाथ में लटू के सहारे जनेऊ बनाते हैं।
बहुत से लोग एक दो महीने हाथ से लटू के सहारे से जो जनेऊ बनाते हैं वहीं जनेऊ को निकटतम मार्केट में बेचते हैं,जो जन्यू पून्यू के दिन लोगों को नई जनेऊ धारण करने के काम आती है।
जनेऊ का शुद्धिकरण के लिए किसी नदी के किनारे व किसी मंदिर में पंडित के द्वारा तर्पण किया जाता है संस्कृत भाषा में यज्ञोपवीत कहा जाता है। जनेऊ शुद्धिकरण के लिए तीन सूत्र बोला जाता है ब्रहमा, बिष्णु,महेश,ये तीन सूत्र पितृ ञण,देव ञण,श्रीशी ञण के प्रतीक होते हैं। जनेऊ में पांच गांठ लगाई जाती है ये पांच ज्ञाननद्रियो , पांच यज्ञों व पांच कर्मों के प्रतीक होते हैं।
नेगी ने बताया आज़ से तीस चालीस साल पहले जन्यू पून्यू के लिए नये जनेऊ बनाने के लिए ठाकुर, ब्रहामण, अन्य जाती के लोग एक दो महीने से रुई कातकर लटू के सहारे जनेऊ बनाया करते थे। अपने अपने पंडित के इन जनेऊ का तर्पण करा कर शुद्धिकरण करके जनेऊ धारण करते और अपने आस पास के लोगों को भी दिया करते थे।
लेकिन समय का अभाव व पलायन के कारण अब ये हाथ से जनेऊ बनाने का प्रचलन धीरे-धीरे कम होते जा रहा है।
आइये हम सब मिलकर जुलकर अपनी संस्कृति को आगे बढाये जनेऊ कैसे बनाया जाता अपने बड़े बुजुर्गो से सीखें।
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