दिल्‍ली एन सी आर

दिल्‍ली-धरोहर संस्था द्वारा एक विचार गोष्ठी और वृक्षारोपण कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

प्रकृति व पर्यावरण रक्षा का प्रतीक है वैश्विक पर्व हरेला

नई दिल्ली,हरेला महापर्व पर अपनी धरोहर संस्था की ओर से दिल्ली एनसीआर की स्वैच्छिक संस्थाओं के साथ द्वारका के उपकारी अपार्टमेंट में एक विचार गोष्ठी और वृक्षारोपण कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
हरेला राष्ट्रीय अभियान का विषय प्रवर्तन करते हुए अपनी धरोहर संस्था के दिल्ली प्रांत संयोजक व केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के मीडिया सलाहकार डॉ. सूर्य प्रकाश सेमवाल ने कहा कि हमारे दूरदर्शी पूर्वजों ने प्रकृति के सम्मान और पर्यावरण संरक्षण के सूत्र लोकजीवन के अंदर ही दिए हैं,कहीं उन्हें धर्म से जोड़ दिया तो कहीं समाज से लेकिन वे वास्तविक समाधान देते हैं। सनातन काल से देवभूमि उत्तराखंड सहित कई राज्यों में सावन माह के प्रारंभ होते ही हरियाली और वृक्षारोपण से जुड़ा हरेला महापर्व भी इन्हीं में से एक है।
समारोह के मुख्य अतिथि दिल्ली शिक्षक विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.धनंजय जोशी ने कहा कि बढ़ते वैश्विक ताप,जलवायु परिवर्तन और भीषण जल संकट की स्थिति में गांव और देहात से अधिक महानगरों में पौधरोपण का अभियान चलाने की आवश्यकता है। भारत सरकार में विभिन्न पदों पर कार्यरत रहे और शिक्षा मंत्रालय के सलाहकार श्री देवेंद्र सिंह असवाल ने कहा कि पर्यावरण की चिंता हमें सरकार और शीर्ष अदालतों के भरोसे नहीं छोड़नी चाहिए बल्कि जागरूक नागरिक शक्ति को प्रयास पूर्वक भावी पीढ़ी की रक्षा के लिए ये संकल्प लेना चाहिए।


कार्यक्रम के वरेण्य अतिथि सेवानिवृत लेफ्टिनेंट जनरल ए.एस.रावत ने कहा कि पर्यावरण की वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए लोकचेतना से जुड़े हरेला जैसे अभियान प्रभावी सिद्ध हो सकते हैं।
आईटीबीपी के पूर्व महानिदेशक और सॉलिसिटर जनरल जी.एस.विर्क ने कहा कि देवभूमि उत्तराखंड से पूरे देश ही नहीं दुनिया को भी एक सही दिशा और कल्याणकारी संदेश मिलते हैं। अपनी धरोहर का यह हरेला अभियान सुंदरलाल बहुगुणा जी के द्वारा फैलाए चिपको आंदोलन की तरह प्रेरक सिद्ध होगा।
द्वारका उत्तराखंड उत्तरायणी समिति के अध्यक्ष श्री प्रेम सिंह रावत ने कहा कि अपनी धरोहर संस्था दिल्ली में हरेला के इस अभियान के लिए हमसे जो अपेक्षा करेगी हम पूर्ण सहयोग करेंगे।
सुप्रसिद्ध पर्यावरण कार्यकर्ता और अपनी धरोहर संस्था के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री ललित पंत ने कहा कि 2020 से कोरोना के समय से हरेला के अभियान को पूरे पहाड़ में प्रारंभ करने के बाद आज यह देशव्यापी अभियान बन गया है। प्रधानमंत्री जी,पर्यावरण मंत्री और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री सहित सभी नीति नियंताओं को हमने बदलते जलवायु परिवर्तन के परिप्रेक्ष्य और परिस्थितियों में भीषण गर्मी के समय 5 जून के बजाय पर्यावरण दिवस को हरेला पर्व अर्थात सावन की संक्रांति के दिन मनाने का आग्रह किया है।
समारोह की अध्यक्षता करते हुए प्रसिद्ध उद्योगपति और समाजसेवी श्री चंद्र बल्लभ टम्टा ने कहा कि अपनी धरोहर ने पहाड़ में पर्यावरण,शिक्षा और संस्कृति आदि के क्षेत्र में बेजोड़ कार्य किया है। यह सुखद संयोग है कि दिल्ली एनसीआर में पहाड़ के लोगों को एकजुट करने का उत्तरायणी अभियान भी द्वारका से शुरू हुआ और आज अपनी धरोहर के नेतृत्व में प्रकृति से जुड़े हरेला पर्व को राष्ट्रीय अभियान बनाने का श्रीगणेश भी द्वारका से हो रहा है।
इस अवसर पर पर्यावरण के क्षेत्र में योगदान देने वाले कई विशिष्ट जनों को पर्यावरण प्रहरी सम्मान से सम्मानित किया गया। इस अवसर पर कवि बीर सिंह राणा ने अपने सद्यः प्रकाशित गढ़वाली काव्य संग्रह बौड़ी ऐजा की प्रतियां सभी उपस्थित अतिथियों और विशिष्ट जनों को भेंट की। सम्मानित होने वाले प्रमुख लोगों में पूर्व प्रशासक दुर्गा सिंह भंडारी,शिक्षाविद डॉ.कमल मल्होत्रा,वरिष्ठ पत्रकार श्री चंद्रमोहन पपनैं,शिक्षाविद श्रीमती कामायनी जोशी,पत्रकार श्री हरीश लखेड़ा,कवि बीर सिंह राणा,संस्कृत विदुषी प्रो. सुषमा चौधरी,समाजसेवी श्री प्रदीप चंद डंगवाल,उत्तराखंड एकता मंच की अध्यक्ष श्रीमती लक्ष्मी नेगी,श्रीमती वंदना रेड्डी,श्रीमती निधि नौटियाल, समाजसेवी श्री भूपाल राम, आलोचन पुरोहित जी, समाजसेवी श्री नीरज बवाड़ी और श्री दीप चंद्रा मौजुद रहे। समारोह के उपरांत सभी लोगों ने पार्क में जाकर वृक्षारोपण किया।

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