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मुंबई -उत्तराखंड में भाषाई एकरूपता हेतु प्रतिनिधि भाषा जरूरी : प्रो. दुर्गेश पंत

रिपोर्ट विनोद मनकोटी

मुंबई वसी के उतराखंड भवन के सम्मेलन कक्ष में देव भूमि स्पोर्ट्स फाउंडेशन और उतराखंड राज्य विज्ञान और तकनीकी परिषद के संयुक्त तत्वावधान में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया । इस कार्यक्रम में देश के विभिन्न प्रदेशों में काम करने वाले उत्तराखंड मूल के विद्वान, वैज्ञानिक, साहित्यकार, संगीतकार आदि क्षेत्रों के कई लोगों को शामिल किया गया। परिषद के महानिदेशक प्रो. दुर्गेश पंत ने देहरादून में देश की पांचवीं साइंस सिटी बनाने की जानकारी दी तथा सभी से पूल बनाकर सरकार के साथ काम करने की अपील की। जिसका सभी ने स्वागत किया। सभी ने आपसी सहयोग और मिलकर काम करने के समर्थन में अपने विचार रखें। उत्तराखंड का विकास कैसा हो उसका पर्यावरण, पर्यटन, जलवायु, रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य, हिमालयन क्षेत्र की जीवनदायिनी दवाइयों आदि पर चर्चा की गई।


भाषा के संबंध में उत्तराखंडी भाषा न्यास से डॉ. बिहारीलाल जलन्धरी ने कहा कि भाषा रोजगार का एक साधन है किंतु पिछले 24 वर्षों से भाषा के पक्ष में सरकार कुछ नहीं कर पाई। उन्होंने उतराखंड के लिए एक प्रतिनिधि भाषा पर काम करने की बात रखी । उन्होंने खड़ी बोली में कई लोकभाषाओं के शब्दों से युक्त साहित्यिक भाषा हिंदी के आरंभिक इतिहास के संबंध में बताया कि हमें भी उतराखंड की भाषा के लिए गढ़वाली कुमाऊनी जौनसारी आदि लोकभाषाओं के साहित्य को आधार मानकर काम करना चाहिए। हमें लोकभाषा और भाषा में अंतर को जानना चाहिए । गढ़वाली कुमाऊनी लोकभाषाएं हैं जिनपर व्याकरण के नियमों का प्रयोग नहीं किया जाता है। लोग स्वछंद रूप से ध्वन्यात्मक शब्दों का प्रयोग करते हैं। जिनके अर्थ का अनर्थ हो जाता हैं। उन्होंने उतराखंड के लिए व्याकरण सम्मत मानक भाषा की बात की। तथा इस पर सरकार को काम करने की आवश्यकता बताई। प्रो. पंत ने इस पर कहा कि यह एक गंभीर विषय है जो उतराखंड की एकरूपता के लिए आवश्यक है।


इस बैठक में शिरकत करने वालों में उत्तराखंड सरकार के प्रतिनिधि प्रो. दुर्गेश पंत के साथ भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र के कई वैज्ञानिक व विद्वानों में डॉ सुधाकर थपलियाल, डॉ वीरेंद्र सिंह, डॉ ए. एस. डिमरी, डॉ जे. एस. बोरा, डॉ. गोविंद सिंह कापड़ी, डॉ भीम सिंह राठोर, पूजा नेगी, सुमित, डॉ दिनेश जोशी, डॉ ललित मोहन पंत, डॉ विजय वेणुगोपाल, डीआईजी रविन्द्र सिंह रौतेला, श्री प्रवीन सिंह ठाकुर, लखनऊ से श्रीमती सुषमा खर्कवाल, गणेश दत्त जोशी, बारहवीं फेल फिल्म की निर्माता श्रीमती श्रद्धा जोशी, भूपेन्द्र चंद, मोहन सिंह सेजवार, बी. के. सावंत, कल्याण सिंह, गोविंद सिंह, उत्तराखंडी भाषा न्यास (उभान्) से सर्वश्री नीलांबर पांडेय, डॉ बिहारीलाल जलन्धरी, चामू सिंह राणा, पृथ्वी सिंह केदारखंडी, सुल्तान सिंह तोमर ने भागीदारी की।

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