देहरादून

देहरादून -कृषक कल्याण योजनाओं का अमृत पी गये/पी रहें हैं, विचौलिये और दलाल।

डा० राजेंद्र कुकसाल।

भारत सरकार कृषक कल्याण योजनाओं में डीबीटी याने अनुदान की धनराशि सीधे कृषक के खाते में डालने को कृषकों का अमृत काल बता कर प्रचारित प्रसारित कर रही है। उत्तराखंड मे कृषक कल्याण योजनाओं में ईमानदारी से डीबीटी लागू न होने के कारण अभी भी करप्सन काल चल रहा है।

उत्तराखंड में कृषक कल्याण योजनाओं का अमृत पी गये/पी रहें हैं विचौलिये और दलाल।

प्रधानमंत्री श्री मोदी जी ने बर्ष 2017 में किसानों की आय बर्ष 2022 – 23 तक दुगनी करने का संकल्प लिया, किसानों की आय दोगुनी (डबलिंग फारर्मस इनकम DFI) करने के लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु किसानों के हित में केन्द्र सरकार द्वारा राज्य सरकारों के लिए कई कृषक कल्याणकारी योजनाओं की घोषणाएं की गई।
1.प्रधान मंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) ।
2.बागवानी मिशन की योजना।
3.परम्परागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई)।
4.फार्म मशीनीकरण योजना।
5.प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना ।
6. पीएम किसान सम्मान निधि।
7.किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड उपलब्ध कराना।
8.राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन और शहद मिशन (एनबीएचएम)
9.प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यम उन्नयन योजना (पीएम एफएवाई) आदि।

केन्द्र सरकार की इन योजनाओं में राज्य के कृषकों के लिए हजारों करोड़ बजट का प्रावधान रखा गया तथा अनुदान राशि डीबीटी योजना के माध्यम से सीधे किसानों के खाते में डालने के निर्देश दिए गए। उत्तराखंड में कृषकों के कल्याणार्थ चलाईं गई इन योजनाओं में केवल बन्दर बांट की गई।

उत्तरप्रदेश हिमाचल आदि सभी भारतीय जनता पार्टी शासित राज्यों में बर्ष 2017 से ही कृषकों को योजनाओं में मिलने वाला अनुदान डी बी टी के माध्यम से सीधे कृषकों के खाते में जा रहा है।

भारत सरकार के निर्देश के पांच साल बाद कृषि सचिव उत्तराखंड शासन के पत्रांक 535/X11-2/2021-5(28/2014 दिनांक17 मई 2021से राज्य के कृषकों को देय अनुदान आधारित योजनाओं को डीबीटी द्वारा क्रियान्वयन के आदेश निर्गत किए गये, उक्त शासनादेश के साथ उत्तरप्रदेश एवं हिमाचल सरकार के शासनादेशों को संलग्न कर इस आशय से प्रेषित किया गया है कि उन्ही के अनुरूप उत्तराखंड में भी डीबीटी लागू की जाय।

किन्तु यह शासनादेश विभागौं में अभी भी कार्य रूप में लागू नहीं हुआ जिसकी पुष्टि स्वयंम कृषि एवं कृषक कल्याण अनुभाग-1. उत्तराखण्ड शासन के पत्रांक 706122 ई-पत्रावली संख्या 50693/XIII-1/2023 दिनांक 21.03.2023 से की जासकती है जिसमें उल्लेख किया गया है कि कृषि एवं कृषक कल्याण अनुभाग-2. उत्तराखण्ड शासन के पत्रांक 535/X11-2/2021-5(28/2014 दिनांक 17.05.2021 का विभाग द्वारा अक्षरत अनुपालन नहीं किया जा रहा है।

विभागों के मुखिया भ्रष्टाचार में संलिप्तता के कारण, राज्य की विषम भौगोलिक परिस्थितियों, छोटी जोत, किसानों की आर्थिक स्थिति अच्छी न होना व अभी पोर्टल बन रहा है का वहाना बना कर डीबीटी लागू नहीं होने दे रहे हैं।

जबकि राज्य में 7,60,148 (सात लाख साठ हजार) कृषकों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि प्रति बर्ष 06 हजार रुपए की धनराशि डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के माध्यम से प्रदान की जा रही है क्योंकि ये Mandatory अनिवार्य है। किन्तु अन्य योजनाओं में राज्य में ऐसा नहीं होता यहां पर विभाग टेंडर प्रक्रिया दिखा कर या फर्मों की सूचीबद्धता के नाम पर निम्न स्तर का सामान उच्च दरों पर चहेती फर्मों के दलालों के माध्यम से कृषकों को बांटना दिखाते है।

पद्मश्री, श्री प्रेम चंद शर्मा, जी का कहना है कि कृषि व उद्यान में पूर्ण रूप से डीबीटी आवश्यक है। किसानों को स्वतंत्र रखिए, ताकि वह अपनी पसंद का पौध बीज दवा आदि खरीद सकें। डीबीटी का लाभ उन्हें ही दें, जो काम कर रहे हैं, जो पक्का बिल दे रहे है। केन्द्र सरकार भी लगातार इसके लिए जोर दे रही है। उत्तर प्रदेश व हिमाचल में यह व्यवस्था लागू है। इस संबंध में पूर्व उद्यान निर्देशक एचएस बवेजा से भी बातचीत हुई थी लेकिन कोई ठोस कार्यवाही नहीं हो सकी।

कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्री माननीय गणेश जोशी जी का कहना है कि शतप्रतिशत डीबीटी को लेकर सरकार प्रतिबद्ध है। इसके लिए लगातार प्रयास हो रहे है। उपकरणों समेत कई मामलों में किसानों को डीबीटी का लाभ मिल रहा है। शेष को जल्द ही डीबीटी के दायरे में लाया जाएगा। केन्द्र के निर्देशों का हर हाल में पालन किया जाएगा।

योजनाओं में डीबीटी लागू होने से कई लाभ होंगे।
1.उद्यान / कृषि विभाग में दलाली पर रोक लगेगी।
2.किसानों को उचित दरों पर अच्छी गुणवत्ता वाला सामान मिलेगा जिससे किसान अधिक उत्पादन कर सकेंगे।
3. क्षेत्र विशेष में दवा बीज खाद आदि कृषि निवेश आपूर्ति हेतु स्थानीय पढ़ें लिखे बेरोजगारों को व्यवसाय करने एवं रोजगार के अवसर मिलेंगे साथ ही कृषकों को उनके मनपसंद कृषि निवेश समय पर व घर पर ही स्थानीय बाजार में उपलब्ध हो पायेंगे।

भारत सरकार द्वारा किसानों के हित में कृषक कल्याण योजनाओं में डीबीटी लागू करने के 2017 के निर्देश के 6 बर्षो बाद भी यदि उत्तराखंड में डीबीटी लागू नहीं हो पाती है तो माननीय मुख्यमंत्री जी का राज्य को बर्ष 2025 तक अग्रणीय राज्य बनाने का सपना कैसे पूरा होगा यक्ष प्रश्न ??

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