दिल्ली मे हरीश पाठक और बाबा मोहन उत्तराखण्ड को दी गई श्रृद्वांजली
उत्तराखण्ड राज्य आंदोलनकारी एंव वर्तमान मे उत्तराखण्ड क्रांति दल के कार्यकारी अध्यक्ष रहे हरीश पाठक जी का निधन ल्म्बी बिमारी के बाद हो गया था 9 जुलाई को दिल्ली के अल्मोडा भवन मे उन्हे श्रद्वांजली दी गई साथ मे उत्तराखण्ड आंदोलन के स्व बाबा मोहन उत्तराखण्ड को भी श्रृद्वांजली दी गई
हरीश पाठक की इंद्रमणी बंडोनी जी के साथ आंदोलन मे साथ थे आंदोलन के बाद उत्तराखण्ड क्रांति दल से जुडे रहे विभिन्न पदो पर रहते हुए विगत सालो से केन्द्रीय कार्यकारी अध्यक्ष के तोर पर कार्य कर रहे थे
अमर शहीद बाबा मोहन उत्तराखंडी को नमन
गैरसैंण को स्थाई राजधानी बनाने की मांग को लेकर शहादत देने वाले अमर सपूत बाबा मोहन उत्तराखंडी का जन्म पौड़ी जनपद के चौंदकोट के ग्राम बठोली में सन 1948 में हुआ। उनके पिता का नाम मनवर सिंह नेगी था। मोहन सिंह नेगी बचपन से ही जनूनी तेवरों के लिये जाने जाते थे। इंटरमीडिएट और उसके बाद आईटीआई करने के पश्चात उन्होंने बंगाल इंजीनियरिंग ग्रुप में बतौर क्लर्क नौकरी की
शुरुआत की। सेना की नौकरी उन्हें ज्यादा रास नहीं आयी। वर्ष 1994 में उत्तराखंड आंदोलन के ऐतिहासिक दौर में बाबा ने सक्रियता से हिस्सेदारी की। दो अक्टूबर, 1994 में मुजफरनगर कांड के बाद बाबा ने आजीवन दाड़ी-बाल न काटने की शपथ ली। उसके बाद मोहन सिंह नेगी बाबा उत्तराखंडी के नाम से प्रसिद्ध हो गये।
अलमोडा भवन कार्यक्रम मे आंदोलनकारी प्रभाप शाही, भाषाविद्व डॉ जालंदरी, उद्योगपति पी सी जोशी, वरिष्ठ पत्रकार विनोद मनकोटी, उक्रांद के वरिष्ठ नेता तेजपाल सिंह रावत, समाजसेवी सुरज रावत, करावल नगर के समाजसेवी लक्षमण सिंह ओर उत्तराखण्ड क्रांतिदल दिल्ली के सदस्य मौजुद रहे