भारतीय झंडा अंगीकरण दिवस 22 जुलाई की हार्दिक शुभकामनाऐ
Report- Narendra Barmola Chamoli
भारतवासियों के दिल में है. तिरंगे में सिर्फ तीन रंग ही सम्मलित नहीं हैं बल्कि इसमें हमारे देश की संस्कृति,सभ्यता, उन्नति , अस्मिता, अखंडता एवं भारतवर्ष के तमाम बलिदानी वीरों का त्याग और समर्पण भी समाहित है। तिरंगा भारत का प्रतिनिधित्व करता है और इस बात का द्योतक है की अब हम स्वतंत्र है. ध्वज अंगीकरण दिवस मनाने के पीछे का ध्येय यह है कि , हम उस दिन को याद करते हैं जिस दिन हमने तिरंगे को अपनाया एवं इस दिन तिरंगे में समाहित अपनी सभ्यता संस्कृति परम्पराओं एवं वीरों के बलिदान को दिल से सलामी एवं सम्मान देते हैं। वैसे तो तिरंगे के सम्मान लिए हमारा हर दिन हर क्षण कुर्बान है किन्तु यह विशेष रूप से समर्पित है.
राष्ट्रीय ध्वज अंगीकरण दिवस कब मनाया जाता है??
झंडा अंगीकरण दिवस 22 जुलाई को तिरंगे को भारत का राष्ट्रीय ध्वज के रूप में स्वीकार करने के उपलक्ष में मनाया जाता है। 22 जुलाई 1947 को भारतवासियों ने तिरंगे को राष्ट्रध्वज के रूप में अपनाया था। २६ जनवरी २००२ को इसमें यह संसोधन किया गया की कोई भी भारत का नागरिक अपने कार्यालय, कारखाने एवं घर में तिरंगे को फहरा सकता है.
राष्ट्रध्वज का डिजाइन किसने तैयार किया था ??
पिंगली वेंकैया को भारतीय राष्ट्र ध्वज तिरंगे के डिजाइन का श्रेय दिया जाता है। 1921 में पिंगली वेंकैया ने ध्वज का निर्माण किया था। भारत के लिए एक बेहतर ध्वज का निर्माण करना इतना भी आसान नहीं था। पिंगली वेंकैया ने साल 1916 से 1921 तक करीब 30 देशों के राष्ट्रीय ध्वज का अध्ययन किया, जिसके बाद उन्होंने तिरंगे को डिजाइन किया था। उस समय के तिरंगे और आज के तिरंगे में थोड़ा फर्क है। तब तिरंगे में लाल, हरा और सफेद रंग हुआ करता था क्रम भी अलग था । वहीं चरखे के चिन्ह को इसमें जगह दी गई थी। लेकिन 1931 में एक प्रस्ताव पारित होने के बाद लाल रंग को हटाकर उसकी जगह केसरिया रंग कर दिया गया। पिंगली वेंकैया के अनुसार झंडे की मूल सरंचना में केसरिया हिन्दुओ का प्रतीक के रूप में था। महात्मा गांधी द्वारा शांति एवं भारत में रहने वाले बाकी समुदायों तथा देश की प्रगति के प्रतीक के रूप में चरखा का प्रतिनिधित्व करने के लिये इस ध्वज़ में एक सफेद बैंड को जोड़ने का सुझाव दिया गया।
भारतीय राष्ट्रध्वज का इतिहास :
भारत का प्रथम राष्ट्रीय ध्वज ७ अगस्त १९०६ को कोलकाता ग्रीन पार्क ( पारसी बगान स्कवायर ) में फहराया गया।
1907 में मैडम भीकाजी कामा एवं भारतीय क्रांतिकारियों द्वारा पहली बार विदेश की धरती( जर्मनी) में भारतीय ध्वज फहराया गय। यह ध्वज लाल पीले हरे रंग की पत्तियों से निर्मित्त था।
१९१७ में होमरूल आंदोलन के दौराज एक अलग ध्वज को अपनाया गया था जिसमे सप्तऋषिविन्यास में सात सितारे थे .
१९३१ को कॉन्ग्रेस समिति की बैठक में तिरंगे को (पिंगली वेंकैया द्वारा प्रस्तावित) कराची में भारत के राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया गया। ध्वज के लाल रंग को केसरिया रंग से बदल दिया गया एवं रंगों का क्रम बदला गया। इस ध्वज की कोई धार्मिक व्याख्या नहीं की गई थी।
तिरंगे के रंगों एवं मध्य में स्थित चक्र का क्या महत्व है ??
ध्वज के सबसे ऊपर स्थित केसरिया रंग ‘शौर्य और साहस’ का प्रतीक है, मध्य में सफेद रंग ‘शांति’ का एवं ध्वज के नीचे स्थित हरा रंग भारत भूमि की “उन्नति एवं उर्वरता” का प्रतीक है।
ध्वज में स्थित चरखे को 24 तीलियों से युक्त अशोक चक्र द्वारा प्रतिस्थापित किया गया। इसका उद्देश्य यह दिखाना है कि ” गति में जीवन है और स्थायित्त्व में मृत्यु है” . राष्ट्रीय ध्वज आयताकार आकर में होना चाहिये जिसकी लंबाई एवं चौड़ाई क्रमश 3:2 के अनुपात में हो।
भारतीय संविधान राष्ट्रध्वज तिरंगे के बारे में क्या कहता है ??
संविधान का भाग IV-A (जिसमें केवल एक अनुच्छेद 51-A शामिल है) ग्यारह मौलिक कर्तव्यों की व्याख्या करता है। अनुच्छेद 51 ए (ए) के अनुसार, भारत के प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य होगा कि वह संविधान का पालन करे और उसके आदर्शों और संस्थानों, राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रगान का सम्मान करे।
एक व्यक्ति जो राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम, 1971 के तहत वर्णित निम्नलिखित अपराधों के लिये दोषी पाया जाता है, उसे 6 वर्ष तक के लिये संसद एवं राज्य विधानमंडल के चुनावों में लड़ने के लिये अयोग्य घोषित किया जाता है। इन अपराधों में शामिल है:
राष्ट्रधज का अपमान करना।
भारत के संविधान का अपमान करना।
राष्ट्रगान गाने से रोकना।