सरकार कि मनसा पर संदेह संस्कृत विवि मे लगातार एक ही व्यक्ति को बनना चाहते है कुलपति

करिपोर्ट कपिल शर्मा जौनसारी
हरिद्वार। उत्तराखंड संस्कृत विवि के कुलपति दिनेश चन्द्र शास्त्री का कार्यकाल अगस्त माह में समाप्त हो जायेगा जिसको लेकर शासन द्वारा अभी तो कोई भी विज्ञापन जारी नहीं किया गया। जबकि दिनेश चंद शास्त्री आपने कार्यकाल के दौरान संस्कृत विरोधी गतिविधि कार्य करते रहे संस्कृत छात्रों का शोषण किया गया जिसमें अभी तक कुलपति दिनेश चंद्र शास्त्री पर मुकदमे दर्ज है वही 2022 से कुलपति रहते हुए इनके द्वारा उत्तराखण्ड मूल निवासियों के अधिकार दबाने का कार्य शुरू किया पीएचडी प्रकिया 2023-24 मे राज्य sc/ st और राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति ने कुलपति दिनेश चंद शास्त्री के द्वारा संस्कृत विवि किए आरक्षण विरोधी कार्य के लिए नोटिस और आयोग के समक्ष तालाब भी किया था उसके बाद वही उत्तराखण्ड राज्य के मूल निवासियों के अधिकार छीनने वाले व्यक्ति को राज्य के एक मात्र प्रतिष्ठित संस्कृत विवि मे कुलपति के पद बनाए रखा जिससे राज्य के संस्कृत छात्रों को मानसिक आहत हुयी है जानकी संस्कृत शिक्षा सचिव के समक्ष छात्रों द्वारा लिखित शिकायत शपथपत्र मे दिया गया उसके बाबजूद भी उत्तराखण्ड शासन और मा0 राज्यपाल महोदय द्वारा इन शिकायतों पर करवाई नहीं की है जिससे संस्कृत छात्र संदेह व्यक्त कर रहे
पं कपिल शर्मा जौनसारी का कहना है बार बार संस्कृत प्रेमी छात्रों द्वारा राजभवन में पत्राचार किये गये है उसके उपरांत भी शासन द्वारा अभी तक कोई विज्ञापन जारी नहीं किया गया जिसको लेकर छात्रों द्वारा आशंका जताई जा रही है की कही ऐसा तो नहीं है की कही वर्तमान के कुलपति का कार्यकाल कुछ महीनो के लिए बढ़ाया जा रहा हो।
कपिल शर्मा जौनसारी ने राजभवन की मेल आई डी पर पुनः एक चिट्टी भेजी है जिसमे माननीय राज्यपाल महोदय जी से आग्रह किया है की संस्कृत विवि के कुलपति का कार्यकाल अगस्त माह में समाप्त हो रहा है जिसक़ो लेकर अभी तक शासन द्वारा नवीन कुलपति के लिए कोई भी शासनादेश के माध्यम से अभी तक कोई भी विज्ञापन जारी नहीं किया गया।
पं कपिल शर्मा जौनसारी ने कहा की दिनेश चन्द्र शास्त्री संस्कृत भाषा से द्वेष रखते है इसलिए यदि शासन द्वारा इनका कार्यकाल कुछ माह के
लिए बढ़ाया जाता है तो इसके लिए छात्रों द्वारा विरोध प्रदर्शन किये जायेगे कपिल जौनसारी का स्पष्ट कहना है की जो व्यक्ति संस्कृत का सम्मान नहीं कर सकता वो इस पद पर नहीं रहना चाहिए।
कुलपति द्वारा यूजीसी के नियमों को ताक मे रखा कर अपने मनमाने नियम लागू किए जब ये दिनेश चंद शास्त्री इस पद बने है तब लगातार भष्टाचार जैसे कार्य किए गए है
जबकि यूजीसी द्वारा इनके नोटिस किया गया था उसके बाबजूद भी इनका भ्रष्टाचार संस्कृत विवि हरिद्वार मे कम नहीं हुआ है