रिखणीखाल के गाँवों में गुलदार का आतंक व हमले लगातार जारी हैं, सुरक्षा व बचाव के उपाय शून्य।
रिपोर्ट प्रभुपाल सिंह रावत /मदन लाल शर्मा
रिखणीखाल के लिए गुलदार एक अभिशाप होति जा रहा है।रोज कुछ न कुछ वारदात हो रही है।आज सुबह ग्राम घेडी, ढाबखाल में नन्दन सिंह बिष्ट की बकरी को गौशाला के अन्दर खिड़की के रास्ते हमला कर बकरी का पीठ का मांस व एक पांव खींच कर ले गया।कल भी गाय नर हमला हुआ है।लोग चैन से सो नहीं पा रहे हैं। जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है।हर जगह गुलदार के हमले जारी हैं। लोग गुलदार से भयभीत हैं, लेकिन गुलदार आदमियों से नहीं डर रहा है।गांवो में स्थिति विकट बनी है।बच्चे घरों में कैद होकर रह रहे हैं। पशुओं के लिए चारा घास भी नहीं काट रहे हैं। अकेले आदमी का बाहर निकलना मुश्किल है।शौचालय आदि जाना भी मुश्किल हुआ है।राशन आदि भी लाना टेढ़ी खीर के समान है।अब लोग पलायन की तैयारी में हैं। जब सरकार सुरक्षा के उपाय नहीं कर रही है तो बचाव का एकमात्र साधन पलायन ही है।
सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध नहीं है।गुलदार के हमले से धीरे धीरे जनसंख्या भी स्वतः कम होती जा रही है।समझ में नहीं आ रहा है कि ये गुलदार इतने ज्यादा आये कहाँ से?पहले समय में तो इक्का-दुक्का ही नजर आते थे वे गुलदार तो मनुष्य से डरते थे।ये तो प्रशिक्षित मालूम पडते है। इनमें मानव जाति कि कोई खौफ नहीं है।लगता है ये कहीं से लाकर गांवों में छोडे गये हैं।
सरकार इनको भगाने का कोई प्रयास करें, ऐसे में तो पूरा रिखणीखाल के गाँव व लोग खाली हो जायेगें। फिर क्या बचा इस बदनसीब रिखणीखाल मेें, सरकार शीघ्र कोई निर्णय ले,तमाशा न देखते रहें।
सोचने वाला विषय है की इसी क्षेत्र मे लगातार यह घटनाऐ हो रही है ऐसा लग रहा जैसे इंसानो और मवेशियों की कीमत कुछ नही है जंगली जानवरो का यहां पर बसेरा खोलने की योजनाऐ चल रही है । लैंसीडाउन विधायक द्वारा गैरसैण मे विधानसभा भवन के बाहर आवाज जरुर सोशल मिडिया मे देखा भी पर शायद सरकारो को पहाड मे रहने वालो की जिंदगी से कुछ लेना देना नही है बच्चे स्कूल जाने से डर रहे लोग बाहर खेती पाती करने जाने से डर रहे कया जिंदगी हो गई है सोचने वाली बात है मजदुर ओर मजबुर बेचारा सरकार की और देख रहा । पार्टी से जुडे नेता बोलने को तैयार नही न ही कोई खास मुआवजा। क्या पहाड मे आदमी जी जिंदगी की कोई कीमत नही । पुरी जिंदगी खेती पाती ओर मवेशियों को पालता है पल भर मे जंगली जानवरो का निवाला बन जाना उस इंसान से पुछे जिसे सरकारो नजरअंदाज करती हे उसकी मेहनत जब ऐसे चली जाए कितना रोता होगा कितना दिल टुटता होगा इंसान ही इस बात को समझ सकता हे । सोचने वाली बात है जल जंगल जमीन हमारी एक एक नारा उत्तराखण्ड को बनाने मे लगा था उत्तराखण्ड बन गया पर आज हमारा कुछ नही बस टकटकी लगाऐ देखे। पार्टी के लोग क्यों चुप है समझ नही आता कया प्रधान जिला पंचायत क्षेत्रीय पंचायत प्रमुख विधायक भी दुन मे बसने की तैयारी मे है ऐसा है तो दुखद है।
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