दिल्‍ली एन सी आर

पहाड़ों के साथ-साथ अब मैदानों में भी महकने लगी है फूलदेई की खुशबू

उत्तराखंड के लोकपर्व फूलदेई की छटा अब उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों के साथ-साथ मैदानों में भी बिखरने लगी है। देश-विदेश में रह रहे प्रवासी उत्तराखंडी परिवारों में फूल संग्रांद का त्योहार बड़े उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाने लगा है। ठेड पहाड़ी पर्व फूलदेई अब देश-विदेश में रह रहे उत्तराखंड मूल के परिवारों का अहम त्योहार बनता जा रहा है। फूलदेई त्योहार के बढ़ते प्रचलन के बारे में बताते हुए साहित्यकार एवं पत्रकार प्रदीप कुमार वेदवाल कहते हैं कि वसंत ऋतु हर्ष और उल्लास की ऋतु है ऐसे में बात जब फूलदेई के फूलों की आती है तो फूलदेई का त्योहार पहाड़ी मानुष के लिए खुशियों की सौगात लेकर आता है। साथ ही साथ सोशल मीडिया के व्यापक दायरे को भी प्रदीप कुमार वेदवाल फूलदेई त्योहार की बढ़ती लोकप्रियता की एक अहम वजह बताते हैं।

प्रवास में पहाड़ के तीज त्योहारों पर बीते कई सालों से काम कर रहे चंद्र सिंह रावत ‘स्वतंत्र’ फूलदेई त्योहार को प्रकृति और मानव के अंतर संबंधों पर आधारित पर्व बताते है। चैत्र महीने के पहले दिन से फूलों का त्योहार फूलदेई मनाया जाता है।
फूलसंग्रांद से एक दिन पहले शाम को गांव के बच्चे जंगलों/खेतों में फूल तोड़ने जाते हैं। फ्योंली (रेनवर्डटिया इंडिका), आड़ू, बुरांस, सेमल के फूल जंगलों से लाते हैं। आजकल पूरा पहाड़ वसंतमय हो रखा है। संक्रांति के दिन सभी बच्चे अलग अलग टोलियों में बांस/रिंगाल से बनी टोकरियों में फूल रखकर सबसे पहले गांव के भूमिया थान (मंदिर) में जाते हैं सर्वप्रथम फूल भगवान को चढ़ते हैं उसके पश्चात सभी बच्चे अलग अलग दलों में गांव भर में घूमते हैं और सभी के घरों की देहरी पर फूल डाल कर आते हैं। फिर सभी को इस त्यौहार की शुभकामनाएं देते हैं और उनकी कुशलता की कामना के साथ ही उनके भंडार धन/धान्य/अनाज से भरे रहें की आशीष देते हैं। बदले में उन्हें गुड़/चावल मिलता है हमारे जमाने में तो गुड़/चावल का ही रिवाज था किंतु अब समय के करवट के साथ गुड़/चावल के साथ कुछ रुपया/पाई भी बच्चों को देते हैं। जिन बच्चों की पहली फूल संक्रांति होती है उनके लिए बांस की नई टोकरी रुड़या (बढ़ई) से बनवाई जाती है। उन बच्चों को उनके परिजन गोद में उठाकर गांव भर का चक्कर काटते हैं।
दिल्ली-एनसीआर में इस बार उत्तराखंड लोक भाषा एवं संस्कृति संरक्षण समिति के माध्यम से इंदिरपुरम के शिप्रा सनसिटी कॉलोनी में फूल संक्रांति का आयोजन किया।

उत्तराखंड लोक भाषा एवं संस्कृति संरक्षण समिति के माध्यम से इंदिरपुरम के शिप्रा सनसिटी कॉलोनी में फूल संक्रांति के आयोजन में रूबी नेगी, मंजू धर्मशक्तू, खुशी, अनमोल, हेमा अधिकारी, बिन्नी रावत, मीनाक्षी पांडे, गीता जोशी, सीमा शाही, एकाक्ष कुकरेती, चंद्र सिंह रावत ‘स्वतंत्र’ कनक पांडे, संतोष कुमार जोशी, प्रकाश शाही, एल आर कुकरेती, शकुंतला सजवाण, सीमा शाही, गीता जोशी, मोना जोशी, मीनाक्षी पांडे, मीरा तिवारी, कांता रावत, हेमा फुलोरिया, इला कुकरेती आदि मौजूद रहे।

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