देहरादून-उत्तराखंड क्रांति दल के सैनिक प्रकोष्ठ की कार्यकारिणी का गठन
देहरादून। उत्तराखंड क्रांति दल (यूकेडी) के सैनिक प्रकोष्ठ की कार्यकारिणी का औपचारिक गठन (गठन समारोह) देहरादून में आयोजित किया गया। यह कार्यक्रम सूबेदार मेजर (से.नि.) महिपाल सिंह पुंडीर के सैनिक प्रकोष्ठ अध्यक्ष पद पर नियुक्ति के उपरांत आयोजित हुआ ।
सैनिक प्रकोष्ठ अध्यक्ष महिपाल पुंडीर ने कहा सेवा काल हो या सेवा निवृत्ति के बाद का जीवन—सैनिकों और उनके परिवारों को अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
दुर्भाग्यपूर्ण है कि आज भी पूर्व सैनिकों की पेंशन, वन रैंक वन पेंशन की विसंगतियाँ, शहीद परिवारों का पुनर्वास, स्वास्थ्य सुविधाएँ, रोजगार और भूमि-संबंधी मुद्दे उपेक्षित हैं। सैनिक प्रकोष्ठ इन सभी विषयों पर संगठित और निर्णायक संघर्ष करेगा।
उत्तराखंड क्रांति दल के अध्यक्ष सुरेंद्र कुकरेती ने परिसीमन के मुद्दे पर राज्य सरकार और केंद्र की नीतियों पर गंभीर सवाल खड़े करते हुए कहा कि जब सम्पूर्ण भारत के पहाड़ी राज्यों में परिसीमन जनसंख्या के आधार पर होता है, तो उत्तराखंड में इसे क्षेत्रफल के आधार पर लागू करने की ज़िद क्यों की जा रही है।
उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि यदि इस तरह का परिसीमन किया गया, तो इसका सीधा अर्थ होगा पहाड़ का राजनीतिक प्रतिनिधित्व समाप्त करना। यह पहाड़ के साथ अन्याय और संवैधानिक भावना के विरुद्ध कदम है।
कुकरेती ने कहा कि दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ लोग राजनीतिक स्वार्थों के चलते उत्तराखंड को पहाड़–मैदान, गढ़वाल–कुमाऊं, टिहरी–पौड़ी जैसे खांचों में बांटने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि उत्तराखंड की आत्मा एक है।
उन्होंने दो टूक कहा,
“अगर पहाड़ की बात करना गुनाह है, तो उत्तराखंड क्रांति दल यह गुनाह बार-बार करेगा।”
सुरेंद्र कुकरेती ने स्पष्ट किया कि उत्तराखंड क्रांति दल का मानना है कि उत्तराखंड में रहने वाला हर मूल निवासी पहाड़ी है, चाहे वह किसी भी क्षेत्र में रहता हो। दल किसी भी प्रकार के क्षेत्रीय या सामाजिक भेदभाव को नहीं मानता।
उन्होंने सरकार से सवाल किया कि यदि वास्तव में उत्तराखंड और यहां के लोगों के हित की चिंता है, तो धारा 371 लागू करने और मूल निवास 1950 को प्रभावी करने की इच्छाशक्ति क्यों नहीं दिखाई जाती। इन प्रावधानों के बिना राज्य के संसाधनों और अधिकारों की रक्षा संभव नहीं है।
कुकरेती ने कहा कि उत्तराखंड के जल, जंगल, ज़मीन और अन्य संसाधनों पर पहला अधिकार यहां के नौनिहालों का है, न कि बाहरी ताकतों का।
कार्यक्रम के दौरान सैनिकों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि उत्तराखंड क्रांति दल को अपने कर्तव्य, निष्ठा और अनुशासन के बल पर आगे बढ़ाने में सैनिकों की भूमिका ऐतिहासिक होगी। सैनिकों का अनुशासन और राष्ट्र के प्रति समर्पण ही उत्तराखंड के भविष्य को सही दिशा देगा।
उन्होंने आह्वान किया कि राज्य की अस्मिता, अधिकार और प्रतिनिधित्व की इस लड़ाई में हर उत्तराखंडी को एकजुट होकर खड़ा होना होगा।
भारत राणा को उपाध्यक्ष (सैन्य प्रकोष्ठ), हीरा सिंह फ़रसवान, टीका राम, कलम सिंह को महामंत्री (सैन्य प्रकोष्ठ), धर्मानंद बडोनी को कोषधक्ष की ज़िम्मेदारी दी गई ।
कार्यक्रम में कई वरिष्ठ नेता ए पी जुयाल, संगठन महामंत्री गणेश काला, उत्तरा पंत बहुगुणा, कर्नल सुनील कोटनाला, मेजर संतोष भंडारी, आशुतोष नेगी, मीनाक्षी घिल्डियाल, नैना लखेरा, समीर मुंडेपी, ऊषा रमोला, मधु सेमवाल, सरोज मेहर मौजूद रहे ।
पहाड से जुडी खबरो के लिए हमसे जुडे
- youtube- https://www.youtube.com/@VOICEOFMOUNTAINS
- पेज https://www.facebook.com/VOICEOFMOUNTAINSNews
- whatsup https://chat.whatsapp.com/KX9oESnS9NHE5fGoUMwOs1
- Email –jagjigyasu@gmail.com 885197961





