पौडी

नैनीडांडा-प्रधान प्रत्याशी ग्रामसभा “जमणधार” श्रीमती पूनम पटवाल,क्यों है खास।

रिपोर्ट -सतीश ध्‍यानी धुमाकोट
त्रिस्‍तरीय चुनावो मे चुनाव चिन्‍ह के बाद प्रत्‍याशी जोर शोर से अपना प्रचार प्रसार हर माध्‍यम से करने मे लगे है जिनके पास पैसा है वह पुरा दमखम लगा रहे है। जिन्‍हे पास नही है वह घर घर जाकर वोट मांग रहे है।  गांव के विकास की पहली सीढी है ग्राम सभा और विकास भी यही से होता है पर उत्‍तराखण्‍ड का दुर्भाग्‍य है की उत्‍तराखण्‍ड मे न नीति है न न योजनाऐ , योजनाऐ है वह दम तोड रही है। कारण घर घर की राजनीति स्‍वरोजगार के लिए बिखरी खेती कृषि बागवानी योजनाऐ है पर वह केवल व्‍यवस्‍थाओ पर है । स्‍वरोजगार के लिए आप विकास खण्‍ड मे जाए तो पता चलेगा की की बार बार चक्‍कर लगाओ और यदि मिलती भी है तो खेती चक मे होनी चाहिए या लीज पर एक चक हो 8 नाली या उससे ज्‍यादा योजनाओ के हिसाब से। खैर गांव मे कोई ही ऐसा प्रधान हो जो यह बता सके की ग्राम सभा मे विकास खण्‍ड से कितनी योजनाऐ राज्‍य सरकार की है कितनी केन्‍द्र की शायद एक नही होता जो 10 योजनाऐ गिना सके योजनाऐ वही पता होती जिसमे पैसा कमा सके अपना घोडा गाडी बडा मकान हो पाऐ।
अभिवादनशीलस्य नित्यं वृद्धोपसेविनः।
चत्वारि तस्य वर्धन्ते आयुर्विद्यायशोबलम्॥
ये सारे गुण, हमारे द्वारा समर्थित, हमारे गांव की प्रधान प्रत्याशी ग्राम सभा “जमणधार” श्रीमती पूनम पटवाल के भीतर विद्यमान हैं।
आज के जमाने में,जहां मात्र मिडिल पास लड़की भी,शादी के लिए आजकल तब राजी होती है,जब किसी लड़के की सरकारी जॉब हो,तथा शहर में उसका अपना निजी मकान जरूर हो।
ऐसे जमाने में,श्रीमती पूनम पटवाल ने इंटरमीडिएट पास होने के बाबजूद भी, ऐसा उदाहरण कायम किया,कि हमारे ही गांव के एक साधारण स्थानीय रोजगार में लगे,ग्रामीण लड़के श्री राकेश पटवाल से सहर्ष शादी के लिये राजी हो गई।
अपने मूक-बधिर ससुर,(श्री हुकुम सिंह पटवाल जी) तथा अपनी बुजुर्ग सास की पूरे मन से,पूरी सेवा सुशुर्षा करने में उसे कोई झिझक तथा आपत्ति नहीं होती है।
सभी ग्रामीण बुजुर्गों का यथोचित सम्मान करना,उनकी यथा सम्भव सहायता करने में वह हमेशा तत्पर रहती है।
उनके इसी मिलनसार स्वभाव के कारण वह गांव की सभी बुजुर्ग महिलाओं की चहेती बहू बन चुकी है।
परमात्मा की परीक्षा देखिए,उनकी माता जी को मायके में कैंसर हो गया था,जिससे कारण उनकी अकाल मृत्यु के बाद,उनके पिता का भी देहांत हो गया था,फिर भी इस हौसले वाली बहू ने इस बिकट परिस्थिति में भी,अपनी हिम्मत नहीं हारी,वह अपने छोटे भाई तथा पालतू मवेशियों एवं बकरियों को भी अपने पास अपनी ससुराल कोचियार लेकर आ गई।
भाई की भी देखभाल करती है,इंटर कालेज कोचियार में उसे भर्ती भी करवाया है,जानवरों,बकरियों को भी पालती है,सास ससुर की सेवा भी करती है।
सबसे बड़ी बात हमारे गांव की सबसे बुजुर्ग महिला श्रीमती नीमा देवी पटवाल(उम्र 83 बर्ष)धर्मपत्नी स्व.श्री कुंदनसिंह पटवाल (भूतपूर्व प्रधानाध्यापक एवं भूतपूर्व ग्राम प्रधान)
की सेवा,सुशुर्षा ,देख रेख,खाना-पीना नहाने-धुलाने का काम भी वही करती है,यह बात मुझे खुद ताई जी ने उनसे मेरी मुलाकात पर स्वयं उन्होंने ही मेरे पूछने पर बतलाई।
याने पूनम पटवाल अपने ससुर के पिता के ,तएरे भाई की धर्मपत्नी की भी देखभाल स्वयं करती है।
अब बतलाइये है कोई ऐसी महिला इस जमाने में❓
अब इतना सेवा भाव जिस महिला के भीतर भरा हो,वह आज आम जनता के वोट की हकदार क्यों नहीं???
निश्चित रूप से हर समझदार वोटर मेरे इस पत्र को बार बार पढ़कर भगवान को साक्षी मानकर,इसके हक में वोट देने को वाद्य हो जायेगा।
बाकी वोट देना तो हर नागरिक का निजी अधिकार है,उसे किसी से छीना नहीं जा सकता,वह तो सेवा भाव से किसी का दिल जीतने के बाद ही मिलता है।
हमारा गांव का एक जागरूक नागरिक होने के नाते,फर्ज है कि,अपनी ग्रामसभा की जनता को सच्चाई से रूबरू करवाना।
फैसला आपके हाथ है।
पूनम पटवाल को भारी मतों से विजयी बनाते हुये, ग्राम स्वराज को प्राथमिकता देते हुए महिला सशक्तीकरण को आगे बढ़ाएं…!

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