देहरादुन -योजना माफिया की सक्रियता के कारण इस बर्ष कृषकों को नहीं मिल पाया अदरक बीज।

योजना माफिया की सक्रियता के कारण इस बर्ष कृषकों को नहीं मिल पाया अदरक बीज।
डा० राजेंद्र कुकसाल।
मो० 9456590999
योजना माफिया याने भ्रष्ट राजनेता, नौकरशाह एवं दलालों के गठजोड़ के प्रभाव व सक्रियता के कारण इस बर्ष 2022 – 23 में किसानों को उद्यान विभाग द्वारा संचालित योजनाओं में अदरक बीज नहीं मिल पाया।
उत्तराखंड सरकार राज्य के अदरक उत्पादकों को मसाला विकास योजना के तहत दस से पन्द्रह हजार कुन्तल अदरक का बीज अनुदान पर वितरित करती है जिसपर पन्द्रह से बीस करोड़ रुपए का व्यय प्रत्येक वर्ष अदरक बीज खरीद में किया जाता है।
अदरक बीज खरीद में शासनादेशों का नहीं किया जाता अनुपालन।
अदरक बीज खरीद में लगातार हो रहे भ्रष्टाचार के कारण उत्तराखंड नहीं बन सका बीज उत्पादन में आत्मनिर्भर।
एक रिपोर्ट –
राज्य के पहाड़ी क्षेत्रों की असिंचित भूमि में नगदी फसल के रूप में अदरक का उत्पादन कई दशकों से किया जा रहा है।
भारत सरकार की हार्टिकल्चर टैक्नोलॉजी मिशन योजना व अन्य योजनाओं की गाइडलाइंस के अनुसार योजनाओं में क्रय किए जाने वाला बीज भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, कृषि शोध संस्थान, कृषि विश्वविद्यालय से क्रय कर कृषकों को बीज उपलब्ध कराने के निर्देश है जिनसे आने वाले समय में कृषक स्वयं बीज उत्पादन कर आत्मनिर्भर बन सके।
उत्तराखंड सरकार ने भी शासनादेश संख्या : 1633/XVI-1/13/5/16/2013 देहरादून: दिनांक 26 जुलाई, 2013 द्वारा विभिन्न औद्यानिक निवेशों आदि की गुणवत्तायुक्त आपूर्ति हेतु औद्यानिक कैलेण्डर जारी किया है।
अदरक की उन्नत किस्मों के बीज प्राप्त करने के मुख्य स्रोत हैं-
1-आई.आई.एस.आर प्रयोगिक क्षेत्र, केरल ।
2-कृषि एवं तकनीकी वि० वि० पोट्टांगी उडीसा।
3- डा० वाइ.एस.परमार यूनिवर्सिटी आफ हार्टिकल्चर , नौणी सोलन, हिमांचल प्रदेश
किन्तु उत्तराखंड में ऐसा नहीं होता उद्यान विभाग अधिक तर बीज कमिशन के चक्कर में निजी कम्पनियों या दलालों के माध्यम से ही क्रय किए जाते हैं भले ही बीज क्रय करना समितियों या राष्ट्रीय बीज निगम के बिलों पर दिखाया जाता हो।
शासन के स्पष्ट निर्देश हैं कि वित्तीय वर्ष में नवम्बर माह से अदरक बीज खरीद की प्रक्रिया शुरू कर दी जाय तथा मार्च प्रथम सप्ताह तक अदरक बीज कृषकों को उपलब्ध करा दिया जाय। दलालों के चक्कर में निदेशालय द्वारा अदरक बीज खरीद की प्रक्रिया वित्तीय वर्ष के अन्तिम माहों में शुरू की जाती है जिससे शासन प्रशासन पर दबाव बनाकर चहेतों को लाभ पहुंचाया जा सके।
माननीय प्रधानमंत्री मोदी जी के निर्देशन पर भारत सरकार के कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्रालय ने अपने पत्रांक कृषि भवन,नई दिल्ली दिनांक फरबरी,28 2017 के द्वारा कृषि विभाग की योजनाओं में कृषकों को मिलने वाला अनुदान डी. वी. टी. के अन्तर्गत सीधे कृषकों के खाते में डालने के निर्देश सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के कृषि उत्पादन आयुक्त, मुख्य सचिव, सचिव एवं निदेशक कृषि को किये गये।
उत्तरप्रदेश , हिमाचल आदि सभी राज्यों में बर्ष 2017 से ही कृषकों को योजनाओं में मिलने वाला अनुदान डी बी टी के माध्यम से सीधे कृषकों के खाते में जा रहा है। किन्तु उत्तराखंड में कृषकों अभी भी योजनाओं में ईमानदारी से डीबीटी योजना का लाभ नहीं मिल रहा है।
उत्तराखंड सरकार ने शासनादेश संख्या: 535/XIII-2 / 2021-5 ( 28 ) / 2014 कृषि एवं कृषक कल्याण अनुभाग-2 देहरादून, दिनांक: 17 मई, 2021 , कृषि एवं कृषक कल्याण विभाग, उत्तराखण्ड के अन्तर्गत समस्त संचालित योजनाओं यथा एकीकृत बागवानी विकास मिशन, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, अनुसूचित जाति एवं जनजाति कृषको हेतु औद्यानिक विकास एवं अन्य समस्त विभागीय योजनाओं के अन्तर्गत रोपण सामग्री, कृषि निवेश यथा पौध सामग्री, बीज, जैव उर्वरक कीटनाशक आदि समस्त Inputs, जो कृषकों को अनुदान पर देय है का अनुदान प्रदेश के पंजीकृत / चयनित कृषकों को डायरेक्ट बेनीफिट ट्रान्सफर ( डी०बी०टी०) के माध्यम से ही कृषकों को बैंक खाते में सीधे आर०टी०जी०एस० के द्वारा स्थानान्तरित किये जाने के निर्देश दिए हैं।
किन्तु उत्तराखंड में कृषकों को अभी भी योजनाओं में ईमानदारी से डीबीटी योजना का लाभ नहीं मिल रहा है।जिसकी पुष्टि कृषि एवं कृषक कल्याण अनुभाग-1. उत्तराखण्ड शासन के पत्रांक 706122 ई-पत्रावली संख्या 50693/XIII-1/2023 दिनांक 21.03.2023 से की जासकती है जिसमें उल्लेख किया गया है कि कृषि एवं कृषक कल्याण अनुभाग-2. उत्तराखण्ड शासन के पत्रांक 535/X11-2/2021-5(28/2014 दिनांक 17.05.2021 (संलग्नक-2) का विभाग द्वारा अक्षरत अनुपालन नहीं किया जा रहा है।
इस बर्ष याने 2022-23 में भी योजना माफिया के कारण वित्तीय वर्ष के अन्तिम माहों में बीज खरीद की प्रक्रिया शुरू की गयी विगत बर्ष याने बर्ष 2021-22 में अदरक बीज खरीद की जांच लम्बित होने तथा कुछ जागरूक नागरिकों द्वारा बीज खरीद में भ्रष्टाचार का मुद्दा बार बार मीडिया जगत में उठाये जाने से शासन पर बीज खरीद में शासनादेशों का अनुपालन करते हुए पारदर्शिता का दबाव था इसकारण अदरक बीज खरीद स्वीकृति की फाइल निदेशालय एवं शासन की बीच घूमती रही , अन्तिम समय में राष्ट्रीय बीज निगम उत्तराखंड को बीज आपूर्ति हेतु आदेश निर्गत किए गए उन्होंने भी अदरक बीज उपलब्ध कराने से हाथ खड़े कर दिए।
अदरक बीज की खरीद पर कई वार सवाल उठे हैं तथा विवाद भी हुए हैं, समय समय पर जब अदरक बीज खरीद पर सवाल उठते है तो विभाग के एक-दो अधिकारियों को निलंबित कर या बीज आपूर्ति कर्ता को ब्लेक लिस्ट कर प्रकरण वहीं समाप्त कर दिया जाता है।
उद्यान विभाग में योजना माफिया (भ्रष्ट राजनेता नौकरशाह एवं दलालों का गठजोड़) इतना सक्रिय व वेखौफ है कि उसे शासनादेशों एवं अध्यादेशों का कोई डर नहीं है वे अपने हिसाब से शासनादेशों में परिवर्तन कराने व उन्हें रुकवाने में सक्षम है।माननीय मुख्यमंत्री जी का 2025 तक राज्य को अग्रणीय राज्य बनाने का सपना क्या इन योजना माफियाओं की सक्रियता के चलते पूरा हो पाएगा यक्ष प्रश्न।
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