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उत्तराखंड मानव सेवा समिति ने कोविड से त्रस्त सर्वहारा वर्ग के साथ मनाया हरेला (हरियाली) पर्व

 

उत्तराखंड में हरेला (हरियाली) संक्रांति श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की एक गते को मनाया जाता है। इस दिन पहले से मिट्टी के पात्र में बोए गए मिश्रित अन्न के पौधों को भगवान को अर्पित कर धन-धान्य और खुशहाली की कामना की जाती है। हरेला के दिन दान-पुण्य का बड़ा महत्व होता है। वेदों और पुराणों में गंधर्व, किन्नर, नाग आदि की पूजा और सम्मान के कई उदाहरण मिलते हैं।

इस परंपरा को बढ़ाते हुए उत्तराखंड मानव सेवा समिति के अध्यक्ष श्री वीएन शर्मा ने अपनी कार्यकारिणी जिसमें श्री एमएल थपलियाल, केएल नौटियाल और श्री कोठियाल प्रमुख हैं ने ये निर्णय किया कि इस बार हरेला पर्व मानवता से जुड़े एक विशेष वर्ग के हित में मनाया जाए।

अतः इन्होंने सुमरन और विस्की से संपर्क कर पूर्वी दिल्ली के शशि गार्डन के आसपास झुग्गियों में गुजर-बसर करने वाले किन्नरों को एक माह से अधिक चलने वाले एक परिवार का राशन दिया, जिसमें आटा, चावल, दाल, तेल, आलू-प्याज, मसाले व हरी सब्जियां इत्यादि थी।

इस वितरण कार्यक्रम में श्री विनोद ध्यानी और राहुल सजवाण भी उपस्थित थे। एसडीएम (पूर्व) के संपर्क से पूर्वी दिल्ली में ही 29 किन्नरों के लिए राशन दिया गया।

 

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