उत्तराखंड

उद्यान विभाग एवं निर्माण एजेंसियों की मिली भगत से मानकों के अनुरूप नहीं लग रहे हैं पालीहाउस।

पॉली हाउस  या संरक्षित खेती  एक ऐसी तकनीक है जिसके माध्यम से वाहरी वातावरण के प्रतिकूल होने पर भी इसके अंदर फसलों / बेमौसमी नर्सरी एवं सब्जी को आसानी से उगाया जा सकता है । यह तकनीक प्रतिकूल मौसम परिस्थितियों में एक असरकारक सिद्ध हुई है।
 यह एक संरक्षित खेती है जिसमें सब्जियों में ,  शिमला मिर्च, खीरा, टमाटर, गोभी, आदि तथा फूलों की खेती में जरबेरा, कारनेशन, गुलाब,  आदि को पॉली हाउस में उगाया जाता है। घटती जोत और अधिक मुनाफे के कारण भी किसान इस प्रकार की खेती का रुख कर रहे है।
पॉली हाउस के फायदे –
पाली हाउस के अन्दर के वातावरण को बिना किसी उच्च तकनीक के नियंत्रित करते हुए इसके अन्दर एक वर्ष में तीन से चार बार सब्जी की फसलें उगा सकते हैं।
 सब्जियों को  विपरीत मौसम जैसे पाला कोहरा ओला ,अधिक बर्षा व अधिक ठंड से बचाव किया जा सकता है।
बे मौसमी सब्जी उत्पादन कर अधिक लाभ अर्जित कर सकते हैं।
उच्च गुणवत्ता का उत्पादन प्राप्त होता है जिसका बाजार में अधिक मूल्य मिलता है।
सामान्य खेती की तुलना में प्रति इकाई क्षेत्र फल में उत्पादकता में 3-4 गुना वृद्धि होती है।
बीमारी व कीटों का फसल पर कम प्रकोप रहता है।
पॉली हाउस में वर्ष भर उत्पादन लिया जा सकता है।
पौली हाउस में उच्च तकनीक अपना कर टमाटर व सिमला मिर्च से लगातार 7 – 9 माह तक लगातार उत्पादन लिया जा सकता है।
पॉली हाउस खेती शुरू करने के लिए प्रशिक्षण लेना आवशयक है इसके लिए  नजदीकी कृषि विज्ञान केन्द्र या कृषि विश्वविद्यालय से संपर्क किया जा सकता है।  सफल किसान जिसने  पॉली हाउस लगाया है और खेती कर रहा है, उससे भी इस खेती के बारे में जाना जा सकता है।
मुख्यमंत्री संरक्षित उद्यान विकास योजना –
राज्य के युवाओं को रोजगार देने एवं कृषकों की आय बढ़ाने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री संरक्षित उद्यान विकास योजना एवं मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के   अन्तर्गत उद्यान विभाग प्रत्येक जनपद में 90% अनुदान पर पालीहाउस लगवा रहा है।
मुख्य मंत्री संरक्षित उद्यान विकास योजना में 1219 रुपए प्रति वर्ग मीटर की दर से 100 वर्ग मीटर पौलीहाउस के निर्माण पर 121900 ( एक लाख इक्कीस हजार नौ सौ ) रुपए की लागत आती है जिसमें कृषक को 12190 रुपए का भुगतान करना होता है।
मुख्य मंत्री संरक्षित उद्यान विकास योजना के अंतर्गत 100 वर्ग मीटर याने 15 mt लम्बाई x 7 mt चौड़ाई x 4.5 mt ऊंचाई (बीच से)
 मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के अंतर्गत 50 वर्ग मीटर याने 30 फीट लम्बाई x 11फीट चौड़ाई x 9 फीट ऊंचाई के पौलीहाउसों का निर्माण किया जा रहा है।
मुख्य मंत्री संरक्षित उद्यान विकास योजना के अंतर्गत निर्माण होने वाले पौलीहाउस के आगंणन  जो उद्यान विभाग द्वारा अनुमोदित एवं प्रसारित किया गया है का विवरण –
1. ग्राउटिंग कम से कम 2x1x3 फिट, C. C. 1:3:6
2. पौलीथीन  200 माइक्रोन की uv stabilized i s q  मार्का की लगी होनी चाहिए।
3. 50% सैड नैट पौली हाउस के क्षेत्र फल के हिसाब से।
4. प्रत्येक वैन्टिलेटर पर कीट अवरोधी जाली लगी होनी चाहिए।
5. प्लास्टिक की टंकी के साथ ड्रिप फिटिंग सहित।
6. दो वेंटीलेटर दो दरवाजे।
7. गरम क्षेत्रों में ऊपर की ओर वेन्टिलेसन अवश्य लगायेंगे।
8. विभागीय अनुबंध के अनुसार यदि पौलीथीन स्वत: फटने, ओला वर्फ या तेज आंधी से क्षति ग्रस्त होने,बोल्ट, नट ,पाइप, फ्रेम आदि के टूटने उखड़ने या जंग लगने पर फर्म निर्माण अवधि से तीन बर्षो तक जिम्मेदार होगी।
पौलीहाउस लगाने वाले कृषकों का कहना है कि-
 पौली हाउस हेतु चयन में कोई भी पारदर्शी प्रक्रिया नहीं अपनाई जाती।
 पौली हाउस के मानकों से कृषकों को अवगत नहीं कराया जा रहा है तथा पौलीहाउस निम्न स्तर के बनाये जा रहे हैं।
पौलीहाउस योजनानुसार जिस माप के बनने चाहिए नहीं बने हैं।
ग्राउटिंग ठीक से नहीं की गई है।
पौलीथीन सीट निम्न स्तर की है तथा 200 माइक्रोन की जगह  मात्र 160-170 माइक्रोन की ही लगाई गई हैं।
वैन्टीलेटर पर जाली नहीं लगी है।
पौलीहाउस का फ्रेम मानकों के अनुरूप नहीं है।
कहीं कहीं सैड नैट पौली हाउस के क्षेत्र फल के अनुसार नहीं दिया गया है।
सिन्टेक्स टैंक व ड्रिप इरिगेशन सिस्टम्स नहीं लगाया गया है।
पौली हाउस निर्माण से पहले ही कृषकों से English में लिखे स्टाम पेपर पर पौलीहाउस का निर्माण मानकों के अनुरूप होगया है का शपथ पत्र पर हस्ताक्षर करा दिए जाते हैं।
कृषकों की  टिप्पणियां-
श्री जसपाल नेगी पौड़ी-
पौलीहाउस लगाना था 100 वर्ग मीटर लगा गये 80 वर्ग मीटर। नट वोल्ट अभी से गिरने लगे हैं। पौलीथीन सीट निम्न स्तर की है।
श्री दिनेश खर्कवाल पौड़ी –
इन्होंने तो जिन शपथ पत्रों पर कृषकों के सहमति के हस्ताक्षर करवाते वो जानबूझकर अंग्रेजी भाषा में टाईट करवाये ताकि  ग्रामीण कृषक  पढ़ न सके  हमने तो पॉली हाउस लगने में लगभग 6000 रूपये ठेकोदार के कहने पर खर्च किये उसके बावजूद भी  वो ढंग से नहीं बना गये।
श्री दिनेश रावत पौड़ी-
सजगता के लिए धन्यवाद।  मानकों पर ध्यान न देकर कार्य हो रहे हैं। काश्तकारों को मानक छुपा कर उसी से अंग्रेजी के फार्म मैं गुणवत्ता व NOC ली जा रही है।रहने, खाने,  रोडी, सीमेन्ट लेता आदि की ब्यवस्था भी काश्तकारों को करनी पड़ता है।  दोषी प्रथम दृष्ट्या बिभाग व बाद में ठेकेदार।
श्री मिन्टू बंगारी पौड़ी- हमारे दो पाली हाउस लगे है यह पाली हाउस भी मापदंड के अनुरूप नहीं बने हैं ना टंकी, ना डबल डोर, ना डिरिप और तो और फ्रेम में दो डंडे भी कम है साल भर से ढुलाई के पैसे भी नहीं मिले।
श्री सूरज रावत पौड़ी-
सही बात है हमने भी लगवाया पास पोली हाउस खड़ा कर के चले गए दरवाजा भी एक ही लगा रखा है ड्रिप भी नही लगाए।
श्री सी पी रावत कोटद्वार पौड़ी –
बिना आंवटन व स्वीकृति पत्र के आधा अधूरा पाली हाउस लगा गये जिसका स्ट्रक्चर एवं पालीथीन सीट निम्न स्तर की है।
श्री दिनेश जोशी रुद्रप्रयाग-
सब जानते है उधान विभाग के अधिकारी मालामाल होते हैं भ्रष्टाचार कर, कम्पनी से 60% कमीशन खाते हैं एक बार सीबीआई जांच हो तो इन भ्रटाचार मै लिप्त अधिकारी और दवाई कम्पनियों को आजीवन जेल रहना पडेगा,
श्री प्रवीण शर्मा रामगढ़- Not Only that even after 50 % Subsidy it is a loot at the price farmers r getting the substandard quality in some case the water tanks r swollen by the contractor and their partners in govt
The farmers should be allowed to get the polyhouse constructed of their on from the best in the market. All Subsidy should be DBT to the farmers. This is the only way to root out corruption
श्री मनोज उपाध्याय अल्मोड़ा-
पाली हाउस में ड्रिप व  सिन्टेक्स टैंक  नही लगाया औऱ ना ही वेंटिलेशन पर जाली की फिटिंग की।
श्री भुवन चंद्र भट्ट ,नैनीताल -जानकारी देने के लिए धन्यवाद सर जो भी पॉलीहाउस इनके द्वारा लगाए गए हैं । वह 1 साल भी नहीं चल रहे हैं। नट बोल्ट  और एंगिल जंग से खतम हो चुके है । पॉलीहाउस की पॉलिथीन  जगह जगह फटनी शुरू हो गई है।
श्री हरि चन्द्र रमोला , असमोली आग्राखाल जनपद टेहरी गढ़वाल का कहना है कि उनके पाली हाउस में न तो पानी की टंकी लगाईं है और नहीं ड्रिप की फिटिंग की गई है। एक कट्टे सीमेंट से ही पाली हाउस का स्ट्रक्चर खडा कर दिया जिसमें रोडी एवं बजरी मेरे द्वारा उपलब्ध कराई गई। दरवाजा भी ठीक से नहीं लगाया गया है।
श्री संजय बुढाकोटी ऋषिकेश – जब सीधा 20 से 25% कमीशन विभाग निर्माण एजेंसी से ले लेगा तो निर्माण एजेंसी क्या खाक सही मानकों से निर्माण करेगी।
यदि विभाग /शासन को सीधे कोई सुझाव/ शिकायत भेजी जाती है तो कोई जवाब नहीं मिलता या शिकायत शपथ पत्र पर लिखने के लिए कहा जाता है।प्रधानमंत्री  / मुख्यमंत्री के समाधान पोर्टल पर सुझाव/ शिकायत अपलोड करने पर शिकायत शासन से संबंधित विभाग के निदेशक को जाती है वहां से जिला स्तरीय अधिकारियों को वहां से फील्ड स्टाफ को अन्त में जबाव मिलता है कि किसी भी कृषक द्वारा  कार्यालय में कोई लिखित शिकायत दर्ज नहीं है सभी योजनाएं पारदर्शी ठंग से चल रही है।
उच्च स्तर पर योजनाओं का मूल्यांकन सिर्फ इस आधार पर होता है कि विभाग को कितना बजट आवंटित हुआ और अब तक कितना खर्च हुआ राज्य में कोई ऐसा सक्षम और ईमानदार सिस्टम नहीं दिखाई देता जो धरातल पर योजनाओं का ईमानदारी से मूल्यांकन कर   योजनाओं में सुधार ला सके।
योजनाओं के क्रियान्वयन में जबतक ऐसा ही भ्रष्टाचार होता रहेगा  गरीब कृषकों की आय बढ़ेगी व वे रोजगार युवाओं को स्वरोजगार मिलेगा , सोचना वेमानी है।
मानकों के अनुरूप पाली हाउस के निर्माण न होने से गरीब कृषकों को योजनाओं का पूरा लाभ नहीं मिल  रहा है।
कृषि एवं उद्यान विशेषज्ञ।
डा० राजेंद्र कुकसाल।
मो ०-  9456590999

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