उत्तराखंड

 यूपी के असभ्य विधायक को उत्तराखण्ड सरकार ने कैसे दी परमिशन लॉक डाउन मे

सत्यपाल नेगी/           पहाड़ो की आवाज”
 ये कैसा लॉक डाउन-?  जहाँ राज्य के भीतर ही अपने लोगों को आने जाने की परमिशन नही है,,,, तो दूसरे राज्य यूपी के दबंग विधायक व उनके साथ 10 अन्य लोग कैसे सीमा पार कर  उत्तराखण्ड मे घुस आये-?
आपकी बता दे कि  यूपी के एक विधायक अमन मणि त्रिपाठी व 10 अन्य लोग बद्रीनाथ एंव केदारनाथ की यात्रा के लिए आये,,उनका कहना था कि वे योगी जी के पिता के पिण्ड दान करने आये है,,, हिंदू धर्म की माने तो  जब  बेटा या परिजन ही इस पितृ कार्य को करते है,,,तो यहाँ हिंदू धर्म की भी धज्जिया उड़ा दी गई, बाहरी लोगों के हाथो,,।
    अब सवाल उत्तराखण्ड की सरकार पर उठने लाजमी है- कि  जिस बद्रीनाथ के दर्शन करने यह दबंग विधायक आये है,उसी बद्रीधाम के कपाट अभी खुले ही नही है,,15 मई को खोले जायेगे,,तो राज्य के  अपर मुख्य सचिव को ये पता नही था कि बद्रीनाथ के कपाट बन्द है वहा कोई भी इस वक्त नही जा सकते-?
      हरिद्वार,ऋषिकेश,पौड़ी,रुद्रप्रयाग का प्रशासन क्यो गम्भीर नही था -?
   आपको बता दे कि  जिला चमोली  के कर्णप्रयाग मे जाकर उन्हें रोका गया व पूछताछ की गई,, जहाँ इस दबंग बाहुबली ,बलात्कारी  पूर्व विद्यायक यूपी के बेटे विद्यायक अमनमणि त्रिपाठी ने तहसील प्रशासन व पुलिस से भी बत्तमीजी की,,जब इसकी रिपोर्ट चमोली डीएम – स्वाति भदौरिया से की गई तो उन्होंने एक कुशल प्रशासक की भूमिका निभाते हुए, उन्हें  जिले से बाहर बैरंग लोटा दिया,, उत्तराखण्ड के सभी सामाजिक लोगों ने  जिला प्रशासन चमोली की तारीफ की है।
   अब बड़ा सवाल आम जनमानस भी उठाने लगा कि राज्य के वेलगाम उच्च अधिकारी  ही लॉक डाउन की धज्जिया उड़ा रहे हो तो,गरीबो व  जरूरत मन्दो पर शक्ति क्यो–?
  यानि साफ है कि यूपी के दबंग विद्यायक से उत्तराखण्ड के बड़े अधिकारी की कोई निजी साठ-गाँठ तो नही है,,,,ऐसे अधिकारीयो से उत्तराखण्ड का भला कैसे हो पायेगा।

  राज्य के सभी बुद्धि जीवियों,,को गम्भीरता से सोचना होगा,,,सरकार से शीघ्र  बड़ी कार्यवाही  करके  सन्देश की मांग  होनी चाहिए।

अपर सचिव उत्तराखण्ड

 यूपी कोरोना संक्रमण से भी जूझ रहा है तथा रेड जोन मे आता है,तो    कैसे उत्तराखण्ड अपर मुख्य सचिव ने परमिशन लेटर दे दिया,,, जबकि चार धामो मे स्थानीय लोगों को जाने की इजाजत तक नही-?
   हमारे बड़े न्यूज चैनलो ने भी हरिद्वार से कर्णप्रयाग तक कोई  खबर उस वक्त नही दिखाई–?

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