उत्तराखंड

उत्‍तराखण्‍ड-लाभकारी उपज हेतु कृषक स्वयंम करे अदरक बीज उत्पादन !

डा० राजेंद्र कुकसाल की कलम से।

पहाड़ी क्षेत्रों में अदरक की व्यवसायिक खेती परम्परागत रूप से  कृषक करते आ रहे हैं। समय पर प्रमाणित/ ट्रुथफुल बीज न मिल पाने के कारण कृषक अदरक की अधिक लाभकारी खेती नहीं कर पा रहे हैं।
अच्छी उपज देने वाले ट्रुथफुल अदरक बीज प्राप्त करने के मुख्य स्रोत हैं –
1  आई.आई.एस.आर प्रयोगिक क्षेत्र केरल ।
2  कृषि एवं तकनीकी वि० वि० पोट्टांगी उडीसा ।
3  डा० वाइ.एस.परमार यूनिवर्सिटी आफ हार्टिकल्चर नौणी सोलन हिमांचल प्रदेश ।
4   भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के मसाला विकास संस्थान।
उद्यान विभाग  वर्षों से टेंडर द्वारा निजी फर्मों के माध्यम से पूर्वोत्तर राज्योंअसम,मणिपुर, मेघालय व अन्य राज्यों से सामान्य किस्म के अदरक को क्रय कर प्रमाणित / Truthful  रियोडी जिनेरियो किस्म बता कर राज्य के कृषकों को बीज के नाम पर बांटता आ रहा है ।
अदरक उत्पादकों का कहना है कि उद्यान विभाग  से प्राप्त अदरक बीज समय पर नहीं मिल पाता साथ ही इस बीज से कई तरह की बीमारियों खेतों में आने का डर रहता है।
उद्यान विभाग द्वारा मसाला विकास के नाम पर कई योजनाएं चलाई जा रही है – हार्टिकल्चर टैक्नालाजी मिशन, पारम्परिक कृषि योजना, कृषि विकास योजना, जिला विकास योजना, राज्य सैक्टर की योजना आदि नाना प्रकार की योजनाएं चल रही है जिन पर हजारों करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं किन्तु कभी भी राज्य मेंअदरक बीज उत्पादन के प्रयास नहीं किए गए जिससे राज्य अदरक बीज में हिमाचल प्रदेश की तरह आत्म निर्भर बन सके।
 प्रगतिशील अदरक उत्पादक स्वयमं अपनी अदरक उपज से अदरक को बीज हेतु भंडारित करते हैं। इसलिए आवश्यक है कि  अदरक की भरपूर उपज हेतु ,कृषक अपनी स्वस्थ उपज से ही अदरक बीज का भंडारण करें।
अदरक उत्पादित क्षेत्रों में कुछ प्रगतिशील कृषक स्वयंम अदरक  बीज का उत्पादन करते हैं । टेहरी जनपद के फगोट विकास खण्ड के अन्तर्गत ,आगरा खाल के कस्मोली ,आगर आदि ग्राम सभाओं के अदरक उत्पादकों के साथ मेंने स्वंम वैठक की  जिसमें हरियाली ग्रामीण कृषक श्रमिक सहकारी समिति के अध्यक्ष ‌श्री हरीश चंद्र रमोला, ग्रामीण श्रमिक कृषक कल्याण सहकारी समिति आगराखाल के अध्यक्ष श्री कुंवर सिंह रावत व अन्य कृषकों ने भाग लिया स्थानीय रूप से उत्पादित अदरक बीज की मागं  काफी रहती है* ।
ग्रामीण कृषक सहकारी समिति आगराखाल के अध्यक्ष  व पूर्व क्षेत्र पंचायत अध्यक्ष श्री वीरेंद्र कंडारी(मोबाइल नंबर- 9412379969) का कहना है कि उद्यान विभाग द्वारा आपूर्ति अदरक बीज समय पर नहीं मिलता ,साथ ही उसमें कई तरह की व्याधियां व कीट लगे होते हैं  *श्री कन्डारी जी ने उद्यान विभाग को  स्थानीय अदरक बीज उत्पादन को बढ़ावा देने व योजनाओं में  स्थानीय अदरक बीज किसानों को वितरित करने की सलाह दी है।*
 अन्य अदरक उत्पादित क्षेत्रौ रुद्रप्रयाग जनपद में बनगढ (पोखरी), देहरादून के चकरौता विकास नगर आदि क्षेत्रों में भी  कुछ प्रगतिशील कृषक अदरक का बीज स्वयंम उत्पादित करते हैं।
*कैसे करें  बीज हेतु अदरक का भंडारण*-
 बीज हेतु अदरक को 3 – 4 माह से अधिक समय तक भंडारित करना होता है , इसलिए आवश्यक है भंडारण सही विधि से करें जिससे अदरक सडे नहीं।
अच्छे सुडौल प्रकंदों का चयन करके उन्हें अलग से रखें तथा अच्छी तरह से छाया में सुखा लें।
जिस खेत में अदरक की फसल पर बीमारियों लगी हों उस खेत के अदरक को बीज के लिए भंडारण न करें। स्वस्थ और रोग रहित कन्दों का ही बीज हेतु चयन करें।
प्रकन्दों का भंडारण सूखे, ऊंचे एवं छाया दार स्थान पर एक उचित वायु संचार युक्त गड्ढों में करना चाहिए। भंडारण से पहले गड्ढे को भलीभांति सफाई कर लें तथा उसे एक सप्ताह तक धूप में खुला छोड़ दें जिससे गड्ढे में नमी न रहे। भंडारण करने से पूर्व,गड्ढे के अन्दर घास फूस जलाकर भी गड्ढे को उपचारित किया जा सकता है।
 भंडारण करने से पूर्व प्रकन्दों को कार्बेन्डाजिम ( 100 ग्राम) + मैन्कोजैव ( 250 ग्राम ) को 100 लीटर पानी में  घोल तैयार कर लें इस घोल में 70 – 80 किलोग्राम अदरक को एक घंटे तक उपचारित करें।
यदि रासायनिक दवायें उपलब्ध नहीं हो पा रही है तो , ट्राइकोडर्मा कल्चर से अदरक को छाया में उपचारित करें तेज धूप में ट्राइकोडर्मा जीवाणु मर सकते हैं।
 अदरक पर हल्का सा पानी छिड़क कर, दस ग्राम ट्राइकोडर्मा प्रति किलो अदरक बीज की दर से (याने एक कुन्तल बीज हेतु एक किलोग्राम ट्राइकोडर्मा ) उपचारित करें, जिससे ट्राइकोड्रमा की पर्त अदरक कन्दो पर बन जाय। बीजा मृत से भी बीज उपचारित कर सकते हैं।
उपचारित अदरक को छाया में भली भांति सुखायें। बीज भंडारण से पूर्व गड्ढे में सबसे नीचे एक परत रेत या बुरादा या धान की पुलाव बिछा दें फिर उपचारित बीज को भरें। हवा के संचार के लिये छिद्र युक्त प्लास्टिक के पाईप को गड्ढे के बीच में डालें।  गड्ढे में प्रकन्दों को पूरी तरह से न भरें 1/4 भाग खाली रखें। ऊपर के खाली भाग में सूखी घास रखें तथा गड्ढे को ऊपर से लकड़ी के तख्ते से ढक दें। तख्तों किनारों को मिट्टी से पोत दें।
 हवा के आवा गमन हेतु यदि छिद्र युक्त पौलीथीन पाइप की व्यवस्था नहीं हो पा रही है तो ऊपर से बिछे तखत्तो के बीच में हवा के आव गमन हेतु जगह छोड़ दें।
सही भंडारण के लिए खत्तियों को अच्छी तरह ढकना जरूरी है इसके लिए पत्तियों व घास का रिंगांल  / बांस के साथ कच्चा ढांचा बनाया जा सकता है जिससे बर्षा का पानी खत्तियों में जाने से रोका जा सके।
टेहरी जनपद के आगरा खाल में अदरक उत्पादक खत्तियो में बीज हेतु अदरक भरने के बाद ऊपर से मालू के पत्तों से बने बिशेष आवरण जिसे स्थानीय भाषा में पितलोट कहते हैं , से ढक देते हैं जिससे बर्षा का पानी अन्दर नहीं जा पाता साथ ही हवा का आवा गमन भी बना रहता है जिससे अदरक बीज सुरक्षित रहता है।
टेहरी जनपद के आगरा खाल विकास खण्ड फगोट का कृषक अदरक बीज का भंडारण करता हुआ।
डा० राजेंद्र कुकसाल।
9456590999

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