उत्तराखंड

हाइब्रिड (संकर) बीज के नाम पर होता है फर्जीवाड़ा।हाइब्रिड (संकर) बीज का सच

डा० राजेंद्र कुकसाल।
मो० 9456590999

उद्यान विभाग राज्य में संचालित योजनाओं यथा जिला योजना, कृषि विकास योजना, हार्टिकल्चर टैक्नोलॉजी मिशन आदि सभी योजनाओं में सब्जियां के हाइब्रिड बीज क्रय कर कृषकों को अनुदान या मुफ्त में बांटते हैं।

*हाइब्रिड (संकर) बीज का सच*–

हाइब्रिड (संकर) बीजों से अधिक उपज प्राप्त होती है किन्तु इन बीजों से कई नुकसान भी हैं।

1.हाब्रिड बीज बहुत मंहगे होते हैं तथा आगामी बर्षौ के लिए कृषक इनसे उसी गुणवत्ता के बीज नहीं बना पाते।

2.हर बर्ष नया बीज क्रय करना होता है। योजनाओं के बन्द होने पर आर्थिक रूप से कमजोर कृषकों के लिए मुश्किलें खड़ी हो जायेंगी ।

3.हाइब्रिड बीजों में अधिक बर्षा व सूखे को सहने की क्षमता उन्नतशील किस्मौ की अपेक्षा कम होती है।

4.हाइब्रिड बीज एक विशेष रोग या वायरस से मुक्त बनाया जाता है किन्तु इन पर अन्य कीट व बीमारियां अधिक लगती है।

5.इनके उत्पादों में पोषक तत्व सामान्य उन्नतशील किस्मों से कम होता है।

6.हाइब्रिड बीजों की खेती में अच्छी उपज लेने हेतु अधिक रसायनिक खाद व कीट व्याधि नाशक दवाओं का प्रयोग होता है जिससे इनसे प्राप्त उपज भी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती है।

7.जैविक खेती में स्थानीय, उन्नतशील प्रजातियां से खेती की जाती है हाइब्रिड बीजों का प्रयोग प्रतिबंधित होता है।

8. हाइब्रिड बीजों से खेती करने पर लागत बहुत अधिक आती है।

9. देश का पैसा विदेशी कम्पनियां को जाता है।

हाइब्रिड सब्जी बीज क्रय करने में की जा रही अनियमितताएं-

1.कृषकों को मिलने वाला अनुदान डीबीटी के माध्यम से कृषकों के खाते में जमा करने का प्रावधान है किन्तु विभाग स्वयं ही बीज क्रय कर कृषकों को बांटते हैं।

2. बिना किसी राज्य स्तरीय या जनपद स्तरीय कमेटी या कृषि विश्वविद्यालय की संस्तुति के हाइब्रिड सब्जी बीज क्रय किए जाते हैं।

3.हाइब्रिड सब्जी बीजों की कोई दरें शासन या निदेशालय द्वारा निर्धारित नहीं की जाती है ।आहरण वितरण अधिकारी अपने कमिशन के चक्कर में निम्न स्तर का महंगा से महंगा हाइब्रिड सब्जी बीज क्रय करते हैं।

4. इन बीजों के क्रय करने की शासन या निदेशालय से कोई वित्तीय व प्रशासनिक स्वीकृत नहीं ली जाती है।

*हाइब्रिड (संकर) सब्जी बीज का कडुवा सच*-

एक रिपोर्ट-

*बहुराष्ट्रीय बीज कम्पनियों के माया जाल में फंसा उद्यान विभाग*।

उद्यान विभाग द्वारा सब्जी उत्पादन को बढावा देने के उद्देश्य से 90 के दशक में बहुराष्ट्रीय बीज कंपनियों द्वारा उत्पादित सब्जी के हाइब्रिड बीजों के निशुल्क प्रदर्शन जिला योजना के अंतर्गत सघन वे मौसमी सब्जी उत्पादन योजना में निशुल्क बांटने का प्राविधान रखा गया।

इस योजना के अंतर्गत विभागीय कर्मचारियों की देख रेख में हाइब्रिड सब्जी उत्पादन की तकनीक सब्जी उत्पादकों को समझाने के उद्देश्य से योजना चलायी गयी जिसके अन्तर्गत कास्तकारौ को निःशुल्क हाइव्रिड सब्जी बीज कीट व व्याधि नाशक रसायन उपलव्ध कराने के साथ उत्पादन के आकडें लेने के भी निर्देश होते थे ।

वर्तमान में इस योजना के अन्तर्गत विभाग द्वारा केवल हाइव्रिड बीज क्रय कर कृषकौं को निःशुल्क वितरित किये जाते है ।

शुरू के बर्षौं में बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा उच्च स्तर पर प्रलोभन दिए गए जिसके चलते इस मद में धन का आवंटन अधिक होने लगा । धीरे धीरे निचले स्तर के आहरण वितरण अधिकारियों (DDO) को भी कमिशन में शामिल किया गया आज हाइब्रिड बीज खरीद पर बहुराष्ट्रीय कम्पनियों कम्पनियों 30- 40 प्रतिशत तक का कमिशन खरीददार/आहरण वितरण अधिकारियों ( DDO) को देते हैं।यही कारण है कि उद्यान विभाग में सब्जी उत्पादन पर ज्यादा योजनाएं प्रस्तावित की जाती है। सब्जी उत्पादन की जितनी भी योजनाएं चल रही है (जिला योजना,राज्य सैक्टर की योजनाएं, हार्टिकल्चर टैक्नोलॉजी मिशन,कृषि विकास योजना,पैरी अर्बन सब्जी उत्पादन योजना ,DPAP आदि)यहां तक कि सूखा राहत मैं भी सब्जी हाइब्रिड बीज कृषकों को निशुल्क ( मुफ्त में) बितरित किये जाते रहे हैं।

विभाग सब्जी हाइब्रिड बीजों को 20 हजार से लेकर एक लाख रुपए प्रति किलो की दर से क्रय करता है, जिसे प्रगतिशील व सब्जी की व्यवसाइक खेती करने वाले कृषक नहीं बोते।
हाइब्रिड सब्जी बीज से सब्जी उत्पादन करने वाले कृषक हाइब्रिड सब्जी बीज की व्यवस्था हिमांचल प्रदेश या सीधे बीज उत्पादक कम्पनियों से स्वयमं करते हैं ।

भारत सरकार की गाइडलाइंस के अनुसार योजनाओं में क्रय किए जाने वाला बीज भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, कृषि शोध संस्थान, कृषि विश्वविद्यालय , केन्द्र या राज्य के बीज निगमों से ही क्रय करने के निर्देश है किन्तु उत्तराखंड में ऐसा नहीं होता अधिक तर बीज कमिशन के चक्कर में निजी कम्पनियों या दलालों के माध्यम से ही क्रय किए जाते हैं।

कृषकों को योजनाओं का सीधा लाभ मिल सके भारत सरकार के कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्रालय ने अपने पत्रांक कृषि भवन,नई दिल्ली दिनांक फरबरी,28 2017 के द्वारा कृषि विभाग की योजनाओं में कृषकों को मिलने वाला अनुदान डी. वी. टी. के अन्तर्गत सीधे कृषकों के खाते में डालने के निर्देश सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के कृषि उत्पादन आयुक्त, मुख्य सचिव, सचिव एवं निदेशक कृषि को किये गये।

कृषकों को योजनाओं में मिलने वाले अनुदान का डी०बी०टी० के माध्यम से भुगतान सम्बन्धित भारत सरकार के आदेशों का नहीं हो रहा अनुपालन।

उत्तरप्रदेश , हिमाचल आदि सभी राज्यों में बर्ष 2017 से ही कृषकों को योजनाओं में मिलने वाला अनुदान डी बी टी के माध्यम से सीधे कृषकों के खाते में जा रहा है। इन राज्यों में पंजीकृत/चयनित कृषक भारत सरकार/राज्य सरकार के संस्थानो /पंजीकृत बीज विक्रेताओं जो कृषि विभाग से पंजीकृत हों से स्वेच्छानुसार एम आर पी से अनधिक दरों पर नगद मूल्य पर क्रय कर क्रय रसीद सम्बंधित विभाग से भुगतान प्राप्त करने हेतु उपलब्ध कराई जाती है सत्यापन के बाद धनराशि कृषकों के बैंक खातों में विभाग द्वारा डाल दी जाती है।

सचिव कृषि एवं कृषक कल्याण उत्तराखंड शासन के अनु भाग -2 देहरादून के पत्रांक 535 / Xlll-2/ 2021-5(28)/2014 दिनांक 17 मई 2021के अनुसार कृषि एवं कृषक कल्याण विभाग ( कृषि एवं उद्यान विभाग) द्वारा संचालित समस्त योजनाओं के अंतर्गत समस्त निवेश inputs जो कृषकों को अनुदान पर देय हैं का अनुदान इसी वित्तीय वर्ष 2021 – 2022 से ही प्रदेश के पंजीकृत/चयनित कृषकों को डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डी०बी०टी०) के माध्यम से कृषकों को बैंक खाते में सीधे आर०टी०जी०एस०के द्वारा स्थानान्तरित किये जानें के निर्देश कृषि एवं उद्यान निदेशक को हुए हैं किन्तु उद्यान विभाग इस शासनादेश का भी पालन नहीं करता।

अधिकतर कृषकों का कहना है कि –

1.विभाग द्वारा क्रय किये गये हाइब्रिड बीज की कोई विश्वसनीयता नही है ,क्योंकि विभाग के पास ऐसा कोई तत्रं नही है जो आपूर्ति किये गये बीज की शुद्धता बता सके।

2.जिन किस्मों के बीज की आवश्यक्ता होती है उनका समय पर बीज नहीं मिलता।

3.बिभाग द्वारा दिये गये हाइव्रिड सव्जी बीजों में कभी कभी जमाव ही नहीं होता बीज आपूर्ति क्रताओं द्वारा पुराने बीजों को ही पुनः पैकिगं कर कास्तकारों को बाटं दिये जाते हैं।

4- राज्य में सब्जी के हाइब्रिड बीज उद्यान विभाग द्वारा हिमाचल प्रदेश सरकार की निर्धारित दरों से 20 से 50 प्रतिशत से अधिक दरौ पर क्रय किया जाता है।

हिमाचल सरकार सब्जी हाइब्रिड बीजों की दरें प्रति बर्ष निर्धारित की जाती है
उत्तराखंड में विभाग/शासन द्वारा हाइब्रिड सब्जी बीजों की कोई दरें निर्धारित नहीं की गई है।आहरण वितरण अधिकारी अपने कमिशन के चक्कर में महंगा से महंगा हाइब्रिड सब्जी बीज क्रय करते हैं। बीजों के क्रय करने की शासन या निदेशालय से कोई वित्तीय व प्रशासनिक स्वीकृत नहीं ली जाती है।

उत्तराखंड में sustainable development , निरंतर विकास, सतत् विकास,स्थाई विकास, टिकाऊ विकास, जीरो बजट खेती तथा जैविक फसल उत्पादन समेकित व संतुलित खेती की बड़ी बड़ी बातें की जाती है ,दूसरी तरफ विभागौं द्वारा योजनाओं में निशुल्क हाइव्रिड बीज वितरित किये जा रहे हैं, जिनका प्रयोग जैविक खेती में प्रतिवन्धित है।हाइव्रिड बीजों से कास्तकार आगामी बर्षों के लिये गुणवत्ता वाले बीज नहीं बना सकता है साथ ही इन बीजों से उन्नत परम्परागत बीज भी नष्ट हो रहे हैं ‌।जैविक खेती के लिए स्थानीय परमपरागत किस्में या उन्नतशील open pollinated किस्मों के बीज ही बोये जा सकते है।

हाइव्रिड सव्जी बीज बहुत महगां होता है एक लाख रुपया प्रति किलो तक जब कि Open pollinated उन्नतशील किस्मौ का बीज 200 से 500 रुपये तक ही होता है जिससे ज्यादा वास्तविक कास्तकारों को लाभान्वित किया जा सकता है साथ ही कास्तकार आगामी बर्षौ के लिये अपनी फसल से बीज भी बना सकेगा ।

राज्य में अधिकतर कृषक आलू , मटर,अदरक, लहसुन प्याज की व्यवसायिक खेती करते हैं, विभाग करोड़ों रुपए हाइब्रिड बीज क्रय कर एक ओर सरकारी धन का दुरपयोग कर रहा है वहीं दूसरी ओर कृषकों को समय योजनाओं में आलू ,मटर, अदरक, लहसुन,प्याज की उन्नत शील किस्मौं के प्रमाणित बीज कृषकों की मांग के अनुसार उपलब्ध नहीं करा पा रहा है।

पुष्प उत्पादन योजना-

राज्य में कृषकों की आय दुगनी करने के उद्देश्य से उद्यान विभाग द्वारा पुष्प उत्पादन की कई योजनाऐं चलाई जा रही है। योजनाओं में हाइब्रिड बीज क्रय कर कृषकों को निशुल्क वितरित किए जा रहे हैं।
गेंदे की खेती पर विशेष जोर दिया जा रहा है इस के पीछे का कड़ुआ सच यह है कि विभाग दस हजार रुपए से लेकर एक लाख रुपए प्रति किलो ग्राम की दर से बहुराष्ट्रीय बीज कंपनियों से हाइब्रिड गेंदें का बीज क्रय कर कृषकों को निशुल्क वितरित कर रहा है। जिस पर बीज क्रय करने वालौं (आहरण वितरण अधिकारियों)को 40 % तक का कमिशन मिलता है।

गेंदे की व्यवसायिक खेती के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा पूसा नारंगी एवं पूसा बसंती दो किस्मौ की संस्तुति की गई है तथा गेंदे की खेती करने वाले कृषक इन्हीं किस्मौं से गेंदे की व्यवसायिक खेती कर रहे हैं। इन किस्मौ का प्रर्याप्त गेंदे का बीज संस्थान में 1200 से 1500 रुपए प्रति किलो ग्राम की दर से उपलब्ध रहता है।
उद्यान विभाग भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की दरों 1200- 1500 रुपए प्रति किलो ग्राम से न क्रय कर बहु राष्ट्रीय कम्पनियों से दस हजार से एक लाख रुपएसे प्रति किलो ग्राम की दर से गेंदे के हाइब्रिड बीज अपने कमिशन के चलते खरीद रहा है।

योजनाओं में खुले आम डाका डाला जा रहा है राज्य में लगता है जैसे कोई देखने वाला है ही नहीं न पहले वाली सरकारों को विकास योजनाओं में कहीं भ्रष्टाचार दिखाई दिया न अब भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस कहने वालौं को दिखाई दे रहा है ।

विभाग योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए कार्ययोजना तैयार करता है कार्ययोजना में उन्हीं मदों में अधिक धनराशि रखी जाती है जिसमें आसानी से संगठित /संस्थागत भ्रष्टाचार किया जा सके या कहैं डाका डाला जा सके।

यदि विभाग को/शासन को सीधे कोई सुझाव/शिकायत भेजी जाती है तो कोई जवाब नहीं मिलता या शिकायत शपथ पत्र के साथ भेजने को कहा जाता है। माननीय प्रधानमंत्री जी /माननीय मुख्यमंत्री जी के समाधान पोर्टल पर सूझाव शिकायत अपलोड करने पर शिकायत शासन से संबंधित विभाग के निदेशक को जाती है वहां से जिला स्तरीय अधिकारियों को वहां से फील्ड स्टाफ को अन्त में जबाव मिलता है कि किसी भी कृषक द्वारा कार्यालय में कोई लिखित शिकायत दर्ज नहीं है सभी योजनाएं पारदर्शी ठंग से चल रही है।

उच्च स्तर पर योजनाओं का मूल्यांकन सिर्फ इस आधार पर होता है कि विभाग को कितना बजट आवंटित हुआ और अब तक कितना खर्च हुआ राज्य में कोई ऐसा सक्षम और ईमानदार सिस्टम नहीं दिखाई देता जो धरातल पर योजनाओं का ईमानदारी से मूल्यांकन कर योजनाओं में सुधार ला सके।

वर्तमान में चल रही योजनाओं से नौकरशाहों एवं योजनाओं में निवेश आपूर्ति कर्त्ताओं (दलालों)का ही आर्थिक लाभ हो रहा है।

कृषकों के हित में जब तक योजनाओं में सुधार नहीं किया जाता व क्रियान्वयन में पारदर्शिता नहीं लाई जाती कितनी भी योजनाएं चला लो कृषकों की आय दुगनी होगी उम्मीद रखना बेमानी होगी।
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मीडिया /सोशल मीडिया में बीज खरीद पर की गई टिप्पणियां* –

जन संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष श्री रघुनाथ सिंह नेगी जी की रिपोर्ट-
8 January 2021

किसानों को विभागीय लूट से बचाने को ऑनलाइन भुगतान करे सरकार- मोर्चा

# प्रतिवर्ष करोड़ों रुपए की होती है सब्जियों व फूल के बीज की खरीद।
#खरीद एवं वितरण में होता है भारी घोटाला |
#20 हजार से 1 लाख रुपए प्रति किलोग्राम तक है सब्जियों के बीज की कीमत |
#किसानों को घटिया क्वालिटी का बीज थमा कर की जाती है खानापूर्ति |
#किसान दिन-प्रतिदिन हो रहा गरीब, अधिकारी रातों-रात रात बन रहे धन्ना सेठ |

देहरादून -जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग द्वारा प्रतिवर्ष करोड़ों रुपए मूल्य के सब्जियों, फूलों के बीज की खरीद की जाती है तथा विभाग द्वारा इन बीजों को प्रदेश के किसानों को निशुल्क वितरित किया जाता है | अगर खरीदे गए बीज की कीमत की बात की जाए तो टमाटर 45-90 हजार प्रति किलोग्राम, फूलगोभी 40-50 हजार, शिमला मिर्च 80- 90 हजार, बंद गोभी 20- 30 हजार, गेंदा फूल बीज 6-20 हजार, ब्रोकली 50-60 हजार, खीरा 40-50 हजार ,हाइब्रिड गेंदा फूल बीज 10- 25 हजार प्रति किलोग्राम तथा अदरक 5-10 हजार प्रति कुंतल की दर से खरीदा जाता है | नेगी ने कहा कि विभाग द्वारा कागजों में खरीद उच्च क्वालिटी की दर्शाई जाती है तथा इसके विपरीत खरीद बिल्कुल घटिया क्वालिटी की होती है, जोकि बामुश्किल 20-30 फ़ीसदी ही धरातल पर उगती है | इसके साथ साथ वितरण में भी भारी अनियमितता बरती जाती है | अन्य खरीद के मामले में भी विभाग ने बड़े-बड़े कारनामे कर रखें हैं | इस खरीद एवं वितरण के घोटाले की तुलना कर्मकार कल्याण बोर्ड से की जा सकती है |
मोर्चा सरकार से मांग करता है कि किसानों को बीज के बदले ऑनलाइन भुगतान की व्यवस्था करे,जिससे ये लूट-खसोट बंद हो तथा किसानों को शत-प्रतिशत लाभ मिल सके |
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श्री विजेन्द्र सिंह रावत बरिष्ठ पत्रकार –
उत्तराखंड बागवानी विभाग का कमीशन करिश्मा, घटिया टमाटर के बीज से किसानों की लाखों की मेहनत पर पानी फेरा…!
इसीलिए प्रदेश का कोई भी बागवान अनुदान के बावजूद बागवानी विभाग से नहीं लेता, बीज, खाद व कीटनाशक।
मोटा कमीशन लेकर घटिया कम्पनियों से होती है, करोड़ों की खरीद।
यों लुटता है जनता का पैसा और चौपट होती हैं फसलें।
हिमाचल प्रदेश में सिर्फ नामी और प्रतिष्ठित कंपनियों से होती है खरीद।
लगता है इस सरकारी महा घोटाले के खिलाफ हाईकोर्ट की शरण में जाना पड़ेगा…….और जिम्मेदार अधिकारियों पर ठोका जायेगा किसानों की बर्बादी का करोड़ों का मुकदमा…!
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श्री नीरज उत्तराखण्डी पत्रकार-
20अगस्त 2020 त्यूनी देहरादून ।
बोलती तस्वीर!
—खराब निकले टमाटर के बीज ने काश्तकारों की मेहनत और उम्मीदों पर पानी फेरा पानी
आसमान से छूटे खजूर पर अटके ।जी हां ऐसी ही कुछ हालत है टमाटर की फसल खराब हुए किसानों की। उद्यान विभाग की लापरवाही और गैरजिम्मेदारी किसानों की आजीविका पर भारी पड़ रही है। और उद्यान विभाग द्वारा काश्तकारों को निम्न गुणवत्ता का बीज दिये जाने का खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ रहा है।
किसानों ने उद्यान अधिकारी को ज्ञापन भेजकर उचित मुआवजे की मांग की है ।
जनपद देहरादून के पर्वतीय जनजाति क्षेत्र जौनसार बावर की तहसील त्यूनी के ग्राम पंचायत कुल्हा के विऊलोग तथा मुन्धोल ग्राम पंचायत के चांदनी वस्ती खेड़ा में एक दर्जन से अधिक किसानों ने टमाटर की नगदी फसल की खेती इस उम्मीद से की थी कि उनकी आर्थिक मजबूत होगी और घर का खर्चा भी चलेगा साथ ही दवा खाद का व्यय भी वसूल होगा । लेकिन उन्हें क्या पता था की उद्यान विभाग ने जो टमाटर का कथित जैविक बीज उन्हें उपलब्ध करवाया है वह निम्न गुणवत्ता का होगा और उनकी मेहनत और उम्मीद पर पानी फेर देगा।
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श्री विजेन्द्र सिंह रावत वरिष्ठ पत्रकार (विकास का हम राही)।
14 Desember 2021
बागवानी और कृषि विभाग में देहरादून से लिखी जा रही है करोड़ों के भ्रष्टाचार सबसे घृणित इबादत!
विभाग के करोड़ों के घोटालों के कुछ छोटे कारनामें!
उत्तराखंड का यमुना घाटी में बागवानी का अग्रणी गांव नैणी। किसान ने बागवानी विभाग से लिया सबसे महंगी बिकने वाली पीली शिमला मिर्च का बीज 10 ग्राम बीज की कीमत थी नौ हजार रूपये, बोया तो निकली अचार वाली सस्ती मिर्चें!
– मैंने बागवानी विभाग द्वारा कश्मीर से मंगवाए अखरोट के पेड़ खरीदे, कीमत थी, साढ़े चार सौ रुपए पेड़, सालभर में फल देने का वादा था, पर सात साल बाद भी फल नहीं!
– कोबिट काल में ड्रिप सिंचाई योजना के सिस्टम बांटे गये, कम्पनी को सिस्टम खेतों में स्टाल करके देना था, सौ से ज्यादा सिस्टम सिर्फ मेरे एक गांव में लगे जिसमें सिर्फ लोगों को पाईप पकड़ा दिए गये, खेतों में फर्जी फोटो खींचे और माल अंदर। लोगों ने भी विरोध इसलिए नहीं किया कि चलो पाइप के टुकड़े तो मिले, फ्री का चंदन घिसे रघुनंदन!
जब एक गांव में इतना घपला तो पूरे प्रदेश में कितना हुआ होगा?
– अभी अभी रेनवाटर हार्वेस्टिंग के लिए वाटर टैंक के लिए बड़े स्तर पर त्रिपाल और बांस के कुछ टुकड़े बांटे गये, मैने कृषि अधिकारी के कहा एक यूनिट लगाकर दिखाओ, इसमें पानी कैसे रूकेगा? बोला साहब यह सब ऊपर से आया है, हमें तो इसको बांटना है। किसी गांव में एक भी यूनिट स्टाल नहीं हुआ।पूरे पहाड़ में कितने बंटे होंगे, लोग उन त्रिपालों में खलियान में बस अनाज सुखा रहे हैं।
– इस समय बागवानी विभाग में अनुदान के टनों मट्टर का बीज खरीदा गया कोई भी प्रगतिशील किसान 50 रुपए किलो का यह बीज खरीदने को तैयार नहीं बल्कि कास्तकार बाजार से विदेशी कम्पनियों का 250 रुपए किलो वाला बीज खरीद रहे हैं। क्योंकि धोखा खाए किसानों को सरकारी बीज पर विश्वास नहीं रहा।
– इस अखबार की खबर देखिए सरकारी टमाटर के बीज बोने से साल भर की मेहनत के बाद गांव वालों के खेत बंजर रहे।
– करोड़ों की इन खरीदों में टेंडर के नाम पर घटिया सामान खरीद कर करोड़ों का घोटाला देहरादून के एसी कमरों में हो रहा।
– भारी अनुदान के बावजूद कोई प्रगतिशील किसान सरकारी सामान नहीं लेता और जो हम जैसे लोग लेते हैं मारे जाते हैं।
– इन दोनों विभागों में खरीद की सीबीआई जांच हो जाए तो जनता के पैसे की बंदरबांट का बड़ा कांड सामने आ सकता है।
– अगर ये जनता के लुटेरे नहीं संभले तो सारे तर्क अदालत के सामने रखकर सीबीआई जांच की मांग अदालत के निर्देश पर करवाने को मजबूर हो जाएंगे। पहाड़ का शोषण अब सीमा के बाहर हो चला है।
– अगर आपके साथ भी इन विभागों से किसी तरह की ठगी हुई तो कमेंट में जरूर लिखें और पोस्ट को शेयर करें ताकि जनता का पैसा लूटने वाले लुटेरे जनता के सामने बेनकाब हो सकें।

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